नई दिल्ली: बांग्लादेश के विवादास्पद राजद्रोह मामले के केंद्र में बने हुए हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को इस्कॉन से निलंबित कर दिया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके नाबालिगों के साथ संपर्क करने और कीर्तन आयोजित करने पर भी रोक लगा दी गई है.
बांग्ला आउटलुक समाचार पोर्टल के अनुसार, इस्कॉन में अंतरराष्ट्रीय बाल संरक्षण कार्यालय, जो इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्ण कॉन्शसनेस (इस्कॉन) से जुड़ा है, ने पिछले साल अक्टूबर में चिन्मय कृष्ण को निलंबित कर दिया था और अन्य पाबंदियों के अलावा उन्हें सार्वजनिक पूजा में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया था.
इस्कॉन बाल संरक्षण कार्यालय के निदेशक कमलेश कृष्ण दास ने बांग्ला आउटलुक को बताया कि आरोपों की प्रकृति के कारण जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए ये निलंबन आवश्यक था.
हालांकि, दास ने चिन्मय कृष्ण के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर विशेष जानकारी नहीं दी, लेकिन इस्कॉन बांग्लादेश के अधिकारियों ने गुरुवार (28 नवंबर) को ढाका में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें ‘निष्कासित’ कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने बच्चों द्वारा लगाए गए दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद संगठन की गतिविधियों में भाग लेने से परहेज करने के आदेशों का उल्लंघन किया था.
अखबार प्रोथोम एलो के अनुसार, उनके खिलाफ कदाचार के आरोप लगाए गए हैं. अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस्कॉन चिन्मय कृष्ण के बयानों या भाषणों की जिम्मेदारी नहीं लेगा.
बांग्ला आउटलुक ने दास के हवाले से कहा, ‘चिन्मय कृष्ण के खिलाफ जांच में देरी उनके सहयोग के स्तर सहित कुछ अन्य चुनौतियों के कारण हुई है.’
इस संबंध में शुक्रवार (29 नवंबर) को भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी को लेकर कहा कि भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश की कानूनी प्रणाली उनके और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामलों को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाएगी.
इसमें यह भी कहा गया कि इस्कॉन सामाजिक सेवा के मजबूत रिकॉर्ड वाला विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संगठन है.
विदेश मंत्रालय ने कट्टरपंथी बयानबाजी के बढ़ने के साथ-साथ देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की. साथ ही कहा कि इन घटनाओं को मीडिया अतिशयोक्ति के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है.
मालूम हो कि चिन्मय कृष्ण को 25 नवंबर को ढाका में गिरफ्तार किया गया था और अगले दिन चट्टोग्राम अदालत ने राजद्रोह के आरोप में उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया था. इसके बाद उनके समर्थक उन्हें जेल ले जा रही पुलिस वैन के आसपास जमा हो गए थे और पुलिस के साथ उनकी झड़पें भी हुईं थीं.
इस हिंसा के बीच अभियोजक के रूप में पहचाने जाने वाले एक मुस्लिम वकील की मौत भी हो गई थी.
ज्ञात हो कि इस्कॉन से जुड़े और बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण पर अक्टूबर में बांग्लादेशी ध्वज का अपमान करने का आरोप है.
प्रोथोम एलो के अनुसार, मामले में दिए गए बयान में आरोप लगाया गया है कि जिस दिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर निकली थीं, उस रोज प्रभु और अन्य ने चटगांव में एक भीड़ को उकसाया था कि वह बांग्लादेशी झंडे की जगह इस्कॉन का भगवा रंग का झंडा लगा दे.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और लक्षित हमलों को लगातार दृढ़ता से उठाया है.
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है – अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.’
इस मामले को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को संसद में एक लिखित बयान भी दिया, जिसमें कहा गया कि भारत सरकार ने हसीना के निष्कासन के समय और साथ ही दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और मंदिरों पर हमलों की रिपोर्टों का संज्ञान लिया है.
इस बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी शुक्रवार को एक बयान जारी कर गुरुवार (28 नवंबर) को कोलकाता में देश के उप उच्चायोग के बाहर हिंदू प्रदर्शनकारियों द्वारा अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस का पुतला जलाने की कड़ी निंदा की.
बांग्लादेश ने उप उच्चायोग में बांग्लादेशी झंडे को जलाने की भी निंदा की. बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हालांकि स्थिति फिलहाल नियंत्रण में दिख रही है, लेकिन उप उच्चायोग के सभी सदस्यों में असुरक्षा है.’