दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन को विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए हिरासत में पैरोल की मंज़ूरी दी

एआईएमआईएम के मुस्तफ़ाबाद प्रत्याशी ताहिर हुसैन ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए ज़मानत याचिका दायर की थी, पर मंज़ूरी नहीं मिली थी. इसके बाद उन्होंने पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने की इजाज़त मांगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंज़ूर कर लिया है.

सुप्रीम कोर्ट और ताहिर हुसैन की तस्वीर. (फोटो साभार: Wikimedia Commons and X/@tahirhussainaap)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 जनवरी) को साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को राहत देते हुए कस्टडी पैरोल की मंजूरी दे दी है. अदालत ने उन्हें आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए 29 जनवरी से 3 फरवरी तक हिरासत में पैरोल की अनुमति दी है.

ताहिर हुसैन दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

मालूम हो कि ताहिर हुसैन ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई थी. अब उन्होंने पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने देने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है.

इंंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की विशेष पीठ ने कहा कि हुसैन को पुलिस एस्कॉर्ट सहित सुरक्षा व्यवस्था के खर्च का अग्रिम भुगतान करना होगा. पीठ ने उन्हें मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र के पास स्थित अपने घर नहीं जाने का भी निर्देश दिया है. ये वही घर है, जो अभियोजन पक्ष के अनुसार दंगों की साजिश का केंद्र था.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत ताहिर हुसैन सिर्फ दिन में जेल से बाहर जाकर चुनाव प्रचार करने की इजाजत मिलेगी और हर रात को उन्हें जेल वापस जाना होगा. उन्हें हर दिन 12 घंटे की कस्टडी पैरोल के लिए 2,07,429 रुपये की अग्रिम राशि जमा करनी होगी, जो उनकी सुरक्षा पर होने वाले खर्च का हिस्सा होगी. इसके अलावा अदालत ने हुसैन को अपने मामले के गुण-दोष पर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी करने से भी रोक दिया, जो कि विचाराधीन है.

इससे पहले दिन में पीठ ने दिल्ली पुलिस से हुसैन के लिए की जाने वाली सुरक्षा और ऐसी व्यवस्था की लागत के बारे में सूचित करने के लिए कहा था, अगर उन्हें 5 फरवरी के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए हिरासत में पैरोल की अनुमति दी जाती है.

ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 22 जनवरी को 2020 दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर खंडित फैसला सुनाया था. ताहिर हुसैन ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसे जस्टिस पंकज मित्तल द्वारा खारिज कर दिया गया था. वहीं, दूसरे जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कुछ शर्तों के साथ इसे 4 फरवरी तक के लिए मंजूरी दी थी.

इसके बाद दो जजों की पीठ के इस खंडित फैसले के चलते इस मामले को आगे के विचार के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखा गया था, जिसके बाद मामले पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने की विशेष पीठ ने इस पर सुनवाई की.

मंगलवार को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि हुसैन दो और मामलों को लेकर हिरासत में है और अगर मौजूदा मामले में अंतरिम जमानत भी मिल जाती है, तो भी वह बाहर नहीं आ पाएंगे. एसवी राजू ने ये भी कहा कि हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने से कई और लोगों के लिए दरवाजे खुल जाएंगे क्योंकि कई अन्य लोग भी इसी तरह की राहत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष कहा कि ‘चुनाव प्रचार में अब सिर्फ चार-पांच दिन का ही समय बचा है, ऐसे में उन्हें पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने की इजाजत दे दी जाए.’

ताहिर हुसैन ने अपनी अपील में कहा था कि ‘वह चुनाव प्रचार के दौरान अपने घर भी नहीं जाएंगे और होटल में ठहरेंगे.’

ताहिर हुसैन का घर मुस्तफाबाद इलाके में स्थित है, जहां दंगा हुआ था. पीठ के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वरिष्ठ वकील ने कहा कि राहत के लिए आवेदन अन्य मामलों में भी लंबित हैं.

जब अदालत ने जानना चाहा कि हुसैन के लिए जेल से बाहर आना कितना सुरक्षित होगा, तो सीवी राजू ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है कि इसके लिए  कितनी सुरक्षा की आवश्यकता होगी? इस पर वरिष्ठ कानून अधिकारी निर्देश लेने और पीठ को सूचित करने के लिए सहमत हुए.

गौरतलब है कि ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व सदस्य हैं और फिलहाल हिरासत में हैं. इस बार उन्हें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी ने मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन नामांकन दाखिल करने के लिए हिरासत में पैरोल दी थी.