नई दिल्ली: भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में नियमों को ताक पर रखकर ‘अंतिम मंजूरी के बिना’ एक नए कांवड़ यात्रा का रास्ता बनाने के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, नए 111 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों में कुल 17,607 पेड़ काटे गए हैं.
पिछले साल एनजीटी द्वारा यह पता लगाने के लिए कि क्या परियोजना के लिए पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था, चार सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया गया था, जिसमें एफएसआई भी एक सदस्य था.
लेकिन एफएसआई की 20 फरवरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी राय मेरठ जिलाधिकारी (डीएम) द्वारा एनजीटी को सौंपी गई संयुक्त समिति की ‘अंतिम रिपोर्ट’ में शामिल नहीं थी.
20 फरवरी की एफएसआई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से प्राप्त संचार में पुष्टि की गई है कि परियोजना को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई थी, जो कि पेड़ काटने का काम शुरू होने से पहले जरूरी है.’
हालांकि, संयुक्त समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि उसे पेड़ों की कटाई में कोई अवैधता नहीं मिली है, 20 जनवरी को एनजीटी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट पर एफएसआई की संयुक्त निदेशक मीरा अय्यर द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे.
एनजीटी ने कहा कि अगर उनका रुख अलग है तो वह अलग से रिपोर्ट पेश कर सकती हैं. इस संबंध में 20 फरवरी को मीरा अय्यर ने अपनी प्रतिक्रिया दायर की, जिसमें दोहराया गया कि एफएसआई की राय को ग्रीन पैनल को सौंपी गई रिपोर्ट में मेरठ डीएम द्वारा शामिल नहीं किया गया था.