वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीते मंगलवार को राजनीतिक दलों के लिए चुनावी बॉन्ड का ऐलान किया. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनावी बॉन्ड से कॉरपोरेट एवं राजनीतिक दलों के बीच की सांठगांठ को तोड़ने में सफलता भी नहीं मिलेगी.
हैदराबाद/नई दिल्ली: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनावी बॉन्ड संबंधी केंद्र की मोदी सरकार की नई योजना से चुनावी चंदे में पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं मिलेगा और इससे कॉरपोरेट एवं राजनीतिक दलों के बीच की सांठगांठ को तोड़ने में सफलता भी नहीं मिलेगी.
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में यह अग्रगामी कदम नहीं है. यह चुनावी बॉन्ड धनबल की समस्या का समाधान नहीं है, इससे चंदे में पारदर्शिता की दिक्कत भी दूर नहीं होगी.’
उन्होंने कहा, ‘इससे चुनावी बॉन्ड सार्वजनिक तौर पर पारदर्शिता नहीं बढ़ेगी. इससे दाता और चंदा लेने वाले के बीच ही पारदर्शिता बढ़ेगी. लोगों को फिर भी इस बात की जानकारी नहीं मिलेगी कि धन कौन दे रहा है और कितना दे रहा है. यह पारदर्शिता नहीं है. लोगों को इसकी जानकारी मिलनी चाहिए.’
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘इससे कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच सांठगांठ बनी रहेगी, जो नहीं चाहिए. यह अच्छी व्यवस्था नहीं है. इससे दलों में संभवत: धनबल का बोलबाला बढ़ जाएगा.’
बीते मंगलवार को केंद्र सरकार ने चुनावी चंदे के लिए चुनावी बॉन्ड स्कीम का ऐलान कर दिया है. राजनीतिक पार्टियों को बॉन्ड के ज़रिये चंदा देने की योजना का ऐलान पिछले बजट में किया गया था.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में इसका ऐलान करते हुए कहा कि भारत का कोई भी नागरिक या कोई कंपनी या संस्था चुनावी चंदे के लिए बॉन्ड ख़रीद सकेंगे.
ख़ास बात यह है कि ये बॉन्ड्स 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य में भी उपलब्ध होंगे. ये बॉन्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विशेष शाखाओं में मिलेंगे.
चुनावी बॉन्ड पर दानदाता का नाम नहीं होगा, इसे केवल अधिकृत बैंक खाते के ज़रिये 15 दिनों के भीतर भुनाया जा सकेगा. जेटली ने बताया था कि बॉन्ड ख़रीदने वाले को एसबीआई को केवाईसी की जानकारी देनी होगी.
लोकसभा में इसका ज़िक्र करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड् को अंतिम रूप दे दिया गया है और इस व्यवस्था के शुरू होने से देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पूरी प्रक्रिया में काफी हद तक पारदर्शिता आएगी.
जेटली ने कहा था कि राजनीतिक दलों को चंदे के लिए ब्याज मुक्त बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों तक खरीदे जा सकेंगे. आम चुनाव वाले साल में यह विंडो 30 दिनों के लिए खुली रहेगी.
वित्त मंत्री की घोषणा के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में पूछा था कि जब बॉन्ड पर दानदाता का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाएगा तो फिर बॉन्ड का मकसद क्या है?
इस पर जेटली ने कहा कि दानादाता की बैलेंस शीट में बॉन्ड की जानकारी दर्ज रहेगी. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी गलतफहमियों को दूर करना चाहता हूं. मैंने बजट के भाषण में घोषणा की थी कि चुनावी फंडिंग को पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है. राजनीतिक पार्टियों को मिल रहे बड़े डोनेशन का स्रोत नहीं पता होता है… चुनावी बॉन्ड इस सिस्टम को साफ-सुथरा बनाएगा.’
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान जेटली ने चुनावी बॉन्ड जारी करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले लोग भारतीय स्टेट बैंक की कुछ तय शाखाओं से ये बॉन्ड ख़रीद सकेंगे और इन बॉन्ड की मियाद 15 दिनों की होगी. इस मियाद के भीतर पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर बॉन्ड देने होंगे.
वित्त मंत्री ने कहा था कि ये चुनावी बॉन्ड्स उन्हीं पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जा सकेंगे, जिनको पिछले चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिला हो.
जेटली ने कहा था कि वर्तमान समय में राजनीतिक दलों में ज़्यादातर चंदा नकदी में मिलता है और इसमें पारदर्शिता न के बराबर होती है, लेकिन चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था से काफी हद तक पारदर्शिता आएगी.
वित्त मंत्री ने मंगलवार को संसद में कहा, ‘भारत का कोई भी नागरिक या संस्था ये बॉन्ड ख़रीदने के योग्य होगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)