ग़रीबों के लिए एफआईआर दर्ज करा पाना असंभव: दिल्ली उच्च न्यायालय

दहेज उत्पीड़न के मामले में साल 2016 में बेटी के लापता होने की शिकायत के बावजूद दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

दहेज उत्पीड़न के मामले में साल 2016 में बेटी के लापता होने की शिकायत के बावजूद दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था.

(फोटो: पीटीआई)
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नई दिल्ली: एक महिला के लापता होने के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर नाराज़गी जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय कहा कि ग़रीबों के लिए ऐसा करा पाना ‘नामुमकिन’ है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने तब नाराज़गी जताई जब पता चला कि जून 2016 में ससुराल से बेटी के लापता होने के बारे में महिला की शिकायत के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई.

पीठ ने महिला की ओर से उसे लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया. इसमें ससुराल में उत्पीड़न के बाद उसकी बेटी के लापता होने का विवरण है .

अपने पत्र में महिला ने यह भी आरोप लगाया कि ज़्यादा दहेज नहीं लाने के लिए उसकी बेटी के साथ मारपीट भी की जाती थी.

पीठ ने दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता पर नाराज़गी जताई. अदालत ने कहा कि इससे पता चलता है कि इस संबंध में शिकायत किए जाने के बावजूद उदासीनता बरतते हुए पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

इसके बाद, महिला की शिकायत पर वरिष्ठ अधिकारियों का जवाब मांगा है. पीठ ने उस इलाके के पुलिस उपायुक्त को इस संबंध में उठाए गए क़दमों के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया है जहां महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी.

29 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई के समय हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह लापता महिला और उसके पति की अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित करें.