चार सालों में विभिन्न दलों को मिले 637.54 करोड़ के चंदे में से 488.94 करोड़ रुपये भाजपा के नाम

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा दिए गए कुल चंदे में से 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपये पांच राष्ट्रीय दलों की जेब में गए हैं. वहीं क्षेत्रीय दलों के खाते में सिर्फ 7.70 प्रतिशत या 49.09 करोड़ रुपये की राशि गई.

(फोटो: पीटीआई)

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा दिए गए कुल चंदे में से 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपये पांच राष्ट्रीय दलों की जेब में गए हैं. वहीं क्षेत्रीय दलों के खाते में सिर्फ़ 7.70 प्रतिशत या 49.09 करोड़ रुपये की राशि गई.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नौ चुनावी न्यासों (इलेक्टोरल ट्रस्ट) ने 2013-14 से 2016-17 के दौरान चार साल में राजनीतिक दलों को 637.54 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. सबसे अधिक 488.94 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिला है. उसके बाद कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार चुनावी न्यासों द्वारा दिए गए कुल चंदे में से 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपये पांच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की जेब में गए हैं. वहीं क्षेत्रीय दलों के खाते में सिर्फ 7.70 प्रतिशत या 49.09 करोड़ रुपये की राशि गई है.

राष्ट्रीय दलों में सबसे अधिक 488.94 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को मिला है. उसके बाद कांग्रेस का नंबर रहा है. कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ भाजपा और कांग्रेस ही दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्हें प्रत्येक वित्त वर्ष में चंदा मिला है.

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 में चुनावी न्यासों ने राजनीतिक दलों को 85.37 करोड़ रुपये का चंदा दिया. 2014-15 में यह आंकड़ा 177.40 करोड़ रुपये, 2015-16 में 49.50 करोड़ रुपये और 2016-17 में 325.27 करोड़ रुपये रहा.

इसमें कहा गया है कि 2013-14 से 2016-17 के दौरान नौ पंजीकृत इलेक्टोरल ट्रस्टों ने कुल 637.54 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इनमें से सिर्फ दो न्यासों प्रूडेंट और समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दो बार से अधिक चंदा दिया.

कुल पंजीकृत 21 चुनावी न्यासों में से 14 अपने पंजीकरण के बाद से उनके द्वारा दिए गए चंदे की रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को दे रहे हैं. सत्या-प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट और जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट ने चारों वर्षों के लिए अपने योगदान का ब्योरा दिया है.

सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2016-17 के दौरान अपना नाम बदलकर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट कर दिया. कुल 11 ऐसे चुनावी न्यास हैं जिन्होंने या तो यह घोषणा की है कि उन्हें किसी तरह का योगदान नहीं मिला या फिर उन्होंने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है.

कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट ने अपने पंजीकरण के बाद से एक बार फिर रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को नहीं सौंपी है. सरकार द्वारा तय नियमों के अनुसार चुनावी न्यासों को एक वित्त वर्ष में अपनी कुल आय का 95 प्रतिशत राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देना होता है.

एडीआर के अनुसार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पास पंजीकृत 21 चुनावी न्यासों में से 14 ने निर्वाचन आयोग को 2016-17 के लिए अपने योगदान का ब्योरा सौंपा है. इनमें सिर्फ छह ने यह घोषणा की है कि उन्हें साल के दौरान किसी तरह का योगदान या चंदा प्राप्त हुआ. एक जनशक्ति इलेक्टोरल ट्रस्ट सितंबर, 2017 में पंजीकृत हुई है.

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान भाजपा को कुल में 89.22 प्रतिशत यानी 290.22 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. अन्य नौ राजनीतिक दलों को सिर्फ 35.05 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. इसमें से कांग्रेस को 16.5 करोड़ रुपये और शिरोमणि अकाली दल को 9 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.