गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव: भाजपा को ‘ख़त्म’ करने के लिए बसपा ने सपा को दिया समर्थन

गोरखपुर और इलाहाबाद की फूलपुर सीट पर होने वाले लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों को समर्थन देने का बसपा ने किया ऐलान.

गोरखपुर और इलाहाबाद की फूलपुर सीट पर होने वाले लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों को समर्थन देने का बसपा ने किया ऐलान.

MayaAkhilesh

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले लोकसभा चुनाव उपचुनाव में पहले बड़े राजनीतिक उलटफेर का संकेत नज़र आ रहे हैं. रविवार सुबह से राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि लोकसभा उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी को समर्थन दे सकती हैं.

अब इस चर्चा की औपचारिक घोषणा हो चुकी है. प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने हाथ मिला लिए हैं.

बसपा के इलाहाबाद में ज़ोनल कोआॅर्डिनेटर अशोक गौतम ने रविवार को कहा, ‘उपचुनाव में हमारे पार्टी कार्यकर्ता भाजपा को ‘ख़त्म’ करना चाहते हैं, इसलिए बहुजन समाज पार्टी ने फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नागेंद्र सिंह पटेल को अपना समर्थन देगी.’

इसके अलावा गोरखपुर सीट के लिए भी बसपा ने सपा को समर्थन की घोषणा कर दी है. बसपा के गोरखपुर प्रभारी घनश्याम चंद्र खरवार ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.

इस गठबंधन के होने के पहले रविवार सुबह सपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट किया था, ‘फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव में बसपा समाजवादी पार्टी को समर्थन देगी. यह मायावती जी का बहुप्रतीक्षित फैसला है. हम साथ लड़कर एक मजबूत बहुजन और सेकुलर मोर्चा बनाएंगे.’

वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह यादव ने भी कहा था, ‘हर कोई जानता है कि बसपा उपचुनाव में शिरकत नहीं करती है. अब गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव हो रहे हैं और सपा जरूर भाजपा को दोनों जगहों पर कड़ी टक्कर देगी.’

गौरतलब है कि इसके पहले उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा खाता नहीं खोल पाई थी जबकि विधानसभा चुनावों में उसकी करारी हार हुई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी की भी दोनों चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था.

बता दें कि इससे पहले 1993 में सपा और बसपा एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. तब इस गठबंधन को 176 सीट मिली थी. लेकिन एक बार गठबंधन टूटा तो आज तक दोनों दल साथ नहीं आ पाए हैं. हालांकि, अखिलेश कई बार खुले मंच से गठबंधन का प्रस्ताव दे चुके हैं, लेकिन मायावती ने इनकार ही किया है.

गौरतलब है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को चुनाव होने हैं और 14 मार्च को मतगणना होगी. ये दोनों सीटें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई हैं, इसलिए दोनों ही सीटें भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.

गोरखपुर से भाजपा ने जहां उपेंद्र दत्त शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी और डॉ. अयूब की पीस पार्टी के साथ इस सीट के उपचुनाव में गठबंधन किया है.

सपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को गोरखपुर में अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने डॉ. सुरहिता करीम को चुनावी मैदान में उतारा है.

वहीं, फूलपुर में भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है, तो सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र पर अपना दांव आजमाया है.