भीमा-कोरेगांव हिंसा में दर्ज सभी मामले वापस होंगे: मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विधानसभा में कहा कि गंभीर मामलों पर निर्णय सरकार की एक कमेटी द्वारा लिया जाएगा.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णनवीस. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विधानसभा में कहा कि गंभीर मामलों पर निर्णय सरकार की एक कमेटी द्वारा लिया जाएगा.

पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा के दौरान जलाई गईं गाड़ियां (फोटो: पीटीआई)
पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा के दौरान जलाया गया वाहन (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में इस साल के शुरुआत में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएंगे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बीते मंगलवार को विधानसभा में यह भी स्पष्ट किया था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े गंभीर मामले वापस लेने का निर्णय जांच के लिए गठित समिति द्वारा ही लिया जाएगा.

हालांकि मुख्यमंत्री फड़णवीस ने हिंसा भड़काने के आरोपी और शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े के बारे में कुछ नहीं कहा. मालूम हो कि संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे हिंसा भड़काने के आरोपी हैं.

फड़णवीस ने कहा है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी कानून-व्यवस्था) की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी और उसके बाद निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने यह भी साफ कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

मराठी अखबार लोकसत्ता की खबर के अनुसार, भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 58 मामले दर्ज किए गए थे और कुल 162 गिरफ्तारी हुई थी.

मुख्यमंत्री ने बताया कि भीमा-कोरेगांव हिंसा में राज्य को लगभग 13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. विशेष तौर पर भीमा-कोरेगांव में 9 करोड़ 45 लाख और 15 रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें दलितों को एक करोड़ से ज्यादा, मुस्लिम समुदाय का लगभग 85 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

उन्होंने यह भी साफ किया है कि हिंसा के दौरान जिनका नुकसान हुआ है, उनको सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी.

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, फड़णवीस ने सदन को बताया कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कोलकता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जेएन पाटिल से कराई जा रही है. जांच समिति में राज्य के मुख्य सचिव सुमित मलिक बतौर सदस्य शामिल किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद 622 मामले दर्ज किए गए और 1,199 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. दर्ज मामले में 350 लोगों के खिलाफ गंभीर मामले और 17 के खिलाफ एट्रॉसिटी एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. प्रतिबंधात्मक कार्रवाई 2,254 लोगों के खिलाफ की गई. इसमें से 22 लोगों के अलावा सभी को जमानत मिल चुकी है.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विपक्ष ने वहां पर ‘एल्गार परिषद’ का आयोजन किया, जिसमें बाहरी लोग आए. उनके बयानों से यहां का माहौल बिगड़ा और स्थिति चिंताजनक बन गई थी. ऐसा वातावरण बनाया गया कि जैसे सभी को लड़ाई पर जाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भीमा-कोरेगांव के पास वधु गांव में स्थित छत्रपति संभाजी महाराज की समाधि स्थल को प्रदेश सरकार अपने कब्जे में लेगी. समाधि स्थल पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

इसके अलावा भीमा-कोरेगांव लड़ाई के प्रतीक स्मृति स्थल के पास श्रद्धालु को आने-जाने के लिए एक पुल बनाया जाएगा. स्मृति स्थल तक जाने के लिए बहुत ही संकरा मार्ग है, जिसे चौड़ा किया जाएगा. इसके लिए जमीन अधिग्रहण करना पड़ा, तो सरकार करेगी.

मुख्य आरोपी मिलिंद एकबोटे गिरफ्तार 

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में मुख्य आरोपी मिलिंद एकबोटे की अग्रिम जमानत को ख़ारिज हो गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, पुणे पुलिस ने बुधवार को एकबोटे को हिरासत में ले लिया है.

मिलिंद एकबोटे (फोटो: फेसबुक)
मिलिंद एकबोटे (फोटो: फेसबुक)

हिंदू एकता अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोते को पुणे ग्रामीण पुलिस ने आज यहां से गिरफ्तार कर लिया. एकबोते भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपियों में से एक हैं.

अधिकारी ने बताया कि एकबोते को दिन में पहले उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज किये जाने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया.

अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने एकबोते को उनके यहां स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कल अदालत में पेश किया जाएगा.’

पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने एकबोते को गिरफ्तारी से संरक्षण बढ़ाते हुए पुणे ग्रामीण पुलिस से मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था और उन्हें एकबोते से पूछताछ करने की इजाजत दी थी.

अदालत के निर्देश के बाद एकबोते पांच बार शिक्रपुर पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित हुए थे.

बुधवार को पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की और एकबोते से  हिरासत में पूछताछ की मांग की और उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया.

अधिकारी ने कहा, ‘अदालत ने उनसे हिरासत में पूछताछ की हमारी मांग स्वीकार कर ली और उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.’

उच्चतम न्यायालय में रिपोर्ट पेश करने से पहले पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘मामले की सही ढंग से जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है.’

पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास गत एक जनवरी को कथित रूप से हिंसा भड़काने के मामले में एकबोते और हिंदुत्व नेता सांभाजी भिड़े के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी

मिलिंद एकबोटे एक हिंदूवादी संगठन समस्त हिंदू अघाड़ी के संस्थापक हैं और महाराष्ट्र में एक जनवरी को हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी हैं. पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के मौके पर एक जनवरी को भड़की हिंसा महाराष्ट्र के कुछ दूसरे शहरों तक फैल गई थी. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.

भीमा-कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 को लड़ी गई थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में अधिकांध दलित (महार) समुदाय के सैनिक शामिल थे. इसलिए दलित समुदाय के लोग हर साल ब्रिटिश सेना की इस जीत का जश्न मनाते हैं.

कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई को पिछड़ी जातियों के उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं.

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