पढ़ाई छोड़ने वालों में दलित और मुस्लिम बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा: सरकार

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा में अनुसूचित जाति के बच्चों की औसत ड्रॉप आउट दर 4.46, अनुसूचित जनजाति की 6.93 और मुस्लिम समुदाय की 6.54 फीसदी है.

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School children try to watch a cultural event through a temporary divider as others wait for their bus at a school in Mumbai January 30, 2014. REUTERS/Danish Siddiqui (INDIA - Tags: EDUCATION SOCIETY)

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा में अनुसूचित जाति के बच्चों की औसत ड्रॉप आउट दर 4.46, अनुसूचित जनजाति की 6.93 और मुस्लिम समुदाय की 6.54 फीसदी है.

School children try to watch a cultural event through a temporary divider as others wait for their bus at a school in Mumbai January 30, 2014. REUTERS/Danish Siddiqui (INDIA - Tags: EDUCATION SOCIETY)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: देश में स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ने (ड्रॉप आउट) वाले बच्चों में अनुसूचित जाति, जनजाति और मुस्लिम समुदायों के छात्रों की संख्या सर्वाधिक होती है.

लोकसभा में राजू शेट्टी के प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली के अनुसार, मुस्लिम और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों का ड्राप आउट देश के औसत ड्राप आउट से अधिक है.

इस संदर्भ में  उन्होंने आंकड़ा भी पेश किया.

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, प्राथमिक स्तर पर देश के सभी वर्गों के बच्चों की औसत ड्रॉप आउट दर 4.13 फीसदी है तो अनुसूचित जाति की 4.46, अनुसूचित जनजाति की 6.93 फीसदी और मुस्लिम समुदाय की 6.54 फीसदी है.

इसी तरह उच्च प्राथमिक शिक्षा में सभी श्रेणियों की औसत ड्रॉप आउट दर 4.03 फीसदी है तो अनुसूचित जाति की 5.51 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की 8.59 फीसदी और मुस्लिम समुदाय की ड्रॉप आउट दर 9.49 फीसदी है.

माध्यमिक स्तर पर सभी श्रेणियों की औसत ड्रॉप आउट दर 17.06 फीसदी है, तो अनुसूचित जाति की 19.36 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की 24.68 फीसदी और मुस्लिम समुदाय की 24.12 फीसदी है.

सरकारी विद्यालयों की संख्या में कमी आई

सरकार ने सोमवार को बताया कि देश में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की संख्या में कमी आई है, हालांकि यह कमी मामूली है. लोकसभा में जन अधिकार पार्टी के सांसद राजेश रंजन के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह जानकारी दी.

उन्होने कहा, ‘एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआरएसई) के अनुसार, प्राथमिक विद्यालयों की संख्या में थोड़ी कमी आई है. यह 2014-15 में 7.12 लाख से घटकर 2015-16 में 7.08 लाख हो गई है.’

कुशवाहा ने यह भी कहा, ‘स्कूलों को खोलना और बंद करना राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों का विषय है.’