योगी सरकार द्वारा मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 131 मामले वापस लेने की प्रक्रिया शुरू

पिछले महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, बुढ़ाना विधायक उमेश मालिक और खाप नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 179 मामलों रद्द करने की सूची सौंपी थी.

Lucknow: UP Chief Minister Yogi Adityanath coming out after the cabinet meeting at Lok Bhawan in Lucknow on Tuesday. PTI Photo by Nand Kumar (PTI4_4_2017_000182B)

पिछले महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, बुढ़ाना विधायक उमेश मालिक और खाप नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 179 मामलों रद्द करने की सूची सौंपी थी.

Lucknow: UP Chief Minister Yogi Adityanath coming out after the cabinet meeting at Lok Bhawan in Lucknow on Tuesday. PTI Photo by Nand Kumar (PTI4_4_2017_000182B)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की योगी आदित्यनाथ सरकार 2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 131 मामले वापस लेने की तैयारी शुरू कर दी है. शामली और मुज़फ़्फ़रनगर में हुए दंगों से जुड़े 131 मामलों में से 13 मामले हत्या और 11 हत्या करने की कोशिश से संबंधित हैं. दंगों की वजह से तकरीबन 62 लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग विस्थापित हो गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जांचे गए दस्तावेज़ों के अनुसार, भारतीय दंड संहिता के अनुसार दंगों के संबंध में बहुत सारे गंभीर मामले हैं, जिनमें न्यूनतम सात साल की सजा का प्रावधान है. 16 अन्य मामले धारा 153ए (सांप्रदायिकता के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत दर्ज हैं. दो मामले ऐसे हैं, जिनमें जबरन किसी की धार्मिक भावना को आहत के चलते 295 ए के तहत दर्ज किए गए हैं.

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय सितंबर 2013 में हुए दंगों के संबंध में मुज़फ़्फ़रनगर और शामली पुलिस थानों में 1455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज किए गए थे.

मामला वापस लेने की प्रक्रिया तब शुरू हुई, जब मुज़फ़्फ़रनगर और शामली के खाप नेताओं के प्रतिनिधि मंडल के साथ केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद संजीव बालियान और बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक ने इस साल पांच फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर 179 मामलों की सूची सौंपी थी.

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुख्यमंत्री को सौंपी गई अपराधियों की सूची सिर्फ हिंदू समुदाय के लोगों की है.

रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद बीती 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के कानून विभाग ने मुज़फ़्फ़रनगर और शामली के ज़िलाधिकारियों को को पत्र लिखकर 13 बिंदुओं के तहत 131 मुक़दमों का ब्योरा मांगा था. इस पत्र पर विशेष सचिव राजेश सिंह के हस्ताक्षर थे.

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि ज़रूरी ब्योरे के लिए ज़िलाधिकारियों ने इस पत्र को पुलिस अधीक्षक और संबंधित अधिकारियों को भेज दिया था.

हालांकि, राज्य के मुख्य सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने बताया कि उन्हें मुकदमा वापस लेने के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह मामला कानून विभाग देखता है. कानून विभाग के विशेष सचिव ने इंडियन एक्सप्रेस को इस संबंध में बयान देने से मना कर दिया. हालांकि विभाग के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि पत्र को भेजा गया है.

जबकि बालियान ने कहा, ‘पिछले महीने मुख्यमंत्री के साथ हुई मीटिंग में मैंने उनसे 179 मामलों को रद्द करने का आग्रह किया था जिसमें 850 हिंदुओं को आरोपी बनाया गया है. ये सभी मामले मुज़फ़्फ़रनगर और शामली ज़िलों में दर्ज हैं. ये मामले हत्या से संबंधित नहीं बल्कि आगज़नी, हत्या का प्रयास और संपत्ति के नुकसान से जुड़े हैं.’

हालांकि बालियान के बयान के उलट भाजपा विधायक उमेश मलिक ने कहा है कि मामले रद्द करने की सूची में हत्या के मामले भी शामिल हैं. मलिक ने आगे कहा, ‘सूची लेने के बाद मुख्यमंत्री इस पर विचार करने के लिए क़ानून विभाग के पास भेजने की बात कही है. मैं नहीं जानता कि अब उस सूची की क्या स्थिति है.’

पांच जनवरी को राज्य सरकार ने मलिक के खिलाफ नौ मामलों को वापस लेने पर मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन से एक रिपोर्ट मांगी थी, जिनमें दंगों के दो मामले शामिल थे.

नवभारत टाइम्स के अनुसार प्रतिनिधि मंडल ने सीएम को बताया था कि दंगों के बाद आगजनी के 402 फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए थे, जिनमें 100 से ज्यादा निर्दोष महिलाएं भी नामजद हैं.

सांसद संजीव बालियान ने बताया कि सीएम से मिलने वालों में बालियान, अहलावत और गठवाला खाप के लोग शामिल थे. बालियान ने दावा किया कि दंगों के बाद वहां के लोगों ने घरों में रजाई में आग लगाकर, यह दिखा दिया गया कि उनके घर में आगजनी हो गई है.

बालियान ने बताया कि पिछली सरकार ने उन्हें पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा भी दे दिया, जबकि आगजनी की घटनाएं सिर्फ मुआवजा हासिल करने के लिए की गई थीं.

2017 में दोनों पक्षों के लोगों ने दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर समझौता करने का प्रयास किया था. जिसके लिए एक कमेटी का गठन भी हुआ था, जिसमें बालियान के साथ पिछली सरकार के दो मंत्री भी शामिल थे.

बैठक में शामिल दोनों पक्षों के लोगों का कहना है कि वे ऐसा सौदा चाहते हैं कि दोनों समुदाय पर चल रहे मुक़दमे वापस हो जाएं.

राजनीति से प्रेरित पाए गए तो वापस होंगे मुक़दमे: उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार सांप्रदायिक दंगों के राजनीति से प्रेरित पाए जाने वाले मुक़दमों की वापसी पर विचार कर सकती है.

पाठक ने कहा, ‘भारतीय दंड विधान के तहत दंगों के मुक़दमे भी आते हैं. ऐसे मुक़दमे अगर राजनीति से प्रेरित पाए गए तो हम उन्हें वापस लेने के बारे में निश्चित रूप से विचार करेंगे.’

कानून मंत्री मुज़फ़्फ़रनगर समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में पूर्व में हुए कथित सांप्रदायिक दंगों से संबंधित मुक़दमों के सिलसिले में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.

हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल वे ही मुक़दमे वापस लिए जाएंगे जो राजनीतिक बदले की भावना से दर्ज कराए गए थे.

बहरहाल, पाठक ने मुज़फ़्फ़रनगर और शामली में वर्ष 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े 131 मुकदमे को राज्य सरकार द्वारा वापस लिये जाने की प्रक्रिया शुरू होने के दावे संबंधी मीडिया रिपोर्टों पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया.

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