केंद्रीय मंत्री हरसिमरत बादल ने किसानों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस के ‘कुशासन’ को जिम्मेदार ठहराया, शरद पवार ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया, सरकार को आड़े हाथ लिया.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ कई राज्यों में किसानों का विरोध प्रदर्शन आज पांचवें दिन में प्रवेश कर गया. इस दौरान कुछ शहरी क्षेत्रों में कृषि से जुड़े उत्पाद सहित सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखी गई तो कहीं सामान्य तरीके से इन वस्तुओं की आपूर्ति जारी रही. किसानों के विरोध प्रदर्शन की स्थिति अब तक शांतिपूर्ण है.
पंजाब के किसानों ने छह जून को अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने का फैसला किया है जबकि अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
एक अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में जहां पिछले साल छह जून को छह किसानों की मौत पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में हो गई थी, वहां किसानों के प्रदर्शन का असर देखने को मिला. हालांकि, कारोबारियों का दावा है कि ताजा कृषि उत्पादों की कमी नहीं है.
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ (विरोध प्रदर्शन कर रहे 130 किसान संगठन का संघ) ने विदिशा प्रशासन द्वारा कथित तौर पर परेशान किए जाने के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन किया. पुलिस महानिरीक्षक (खुफिया) मकरंद देउस्कर ने संवाददाताओं से बताया कि मध्य प्रदेश में अब तक शांतिपूर्ण स्थिति है.
पुलिस ने बताया कि मंदसौर जिले के पिपिलिया मंडी में छह जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा से पहले सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. राज्य कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ ने आरोप लगाया कि प्रशासन राहुल गांधी की रैली को फ्लॉप कराने की तैयारी कर रहा है.
नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से प्रदर्शनकारी ने दम तोड़ा
नागपुर: दूध की कम खरीद कीमत के मुद्दे पर हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कुछ देर बाद एक शख्स ने सोमवार को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने के कारण दम तोड़ दिया. प्रदर्शन आयोजित करने वाले जय जवान जय किसान पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत पवार ने कहा, ‘शरद खेड़िकर नाम के एक प्रदर्शनकारी ने प्रदर्शन खत्म होने के बाद बेचैनी की शिकायत की और फिर दिल का दौरा पड़ने से उसने दम तोड़ दिया. उसे उसके घर छोड़ा गया, लेकिन उसकी सेहत बिगड़ती ही जा रही थी. उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.’
बादल ने किसानों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस के ‘कुशासन’ को जिम्मेदार ठहराया
नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों में किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सोमवार को कहा कि किसान वर्ग की मौजूदा दिक्कतें कांग्रेस के 70 साल के ‘कुशासन’ की देन हैं जबकि वह पार्टी दूसरों पर हस रही है.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पूरे देश में बदलाव लाने की बात करने के पहले पंजाब में कृषि संकट का समाधान करना चाहिए जहां किसान हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं.
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेता भी हैं. उन्होंने कहा, किसानों की वर्तमान दुर्दशा मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के 70 साल के कुशासन के कारण है. बादल ने कहा कि चार साल के राजग शासन के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और यह देश के विकास और 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने में योगदान देने के लिए भारत में सबसे मजबूत क्षेत्र बनने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि पिछले शासनकाल में, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पूरी तरह से अस्त व्यस्त था और उद्योग नई परियोजनाओं या उत्पादों को शुरु करने से डर रहे थे और प्रतिबद्ध हुई परियोजनाओं को शुरु करने में देरी हो रही थी.
उन्होंने कहा, चार सालों के बाद, हमने कारोबारी माहौल को बदल दिया है और इसे सबसे उत्साही और घटनाक्रमों से भरे क्षेत्र के रूप में बदल दिया है.
पवार ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया, सरकार को आड़े हाथ लिया
मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने आंदोलनरत किसानों को समर्थन देते हुए कहा कि मांगे पूरी होने तक वह अपना आंदोलन जारी रखें. हालांकि, भाजपा ने उनके इस बयान की आलोचना की और उनपर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया.
पवार ने कहा कि किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार ने उनसे जो वादे किये वह पूरे नहीं हुए. उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन राजनीतिक नहीं है.
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, मैं एक किसान के रूप में आंदोलन का समर्थन करता हूं. हालांकि, उन्होंने प्रदर्शनकारियों से आग्रह किया कि वे कृषि उपज सड़कों पर नहीं फेंकें बल्कि इसे गरीबों में बांट दें.
देश के किसान एक जून से 10 दिन की हड़ताल पर हैं. किसान अपनी उपज के लिए लाभकारी मूल्य और कृषि ऋण माफी की मांग कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन के रूप में किसान दूध, टमाटर, आलू जैसे कृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंक रहे हैं.
उन्होंने कहा, किसानों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पिछले चार साल के दौरान उन्हें जो आश्वासन दिए गए उन्हें पूरा नहीं किया गया. कर्ज माफ करने की मांग कोई नई नहीं है, भाजपा ने इसका वादा किया था. किसान जो वादे किए गए उन पर अमल करने की मांग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘चार साल पहले किसानों को उनकी फसल का लागत से 50 प्रतिशत ज्यादा मूल्य दिलाने का वादा किया गया था. यही वजह है उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा.’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि किसानों को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है और उन्हें उनके आंदोलन का समर्थन करना चाहिए.
हालांकि, पवार ने किसानों से अपील की कि वे दूध जैसी अपनी ऊपज को सड़क पर नहीं फेंकें. इसके बजाय, वे अपने उत्पाद गरीब लोगों को दे सकते हैं. पवार ने किसानों से उनकी मांग पूरी होने तक अपने आंदोलन को जारी रखने के लिए कहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)