संप्रग सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ ने कहा कि कश्मीर घाटी में मौजूदा हालात के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियां ज़िम्मेदार हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज़. (फोटो साभार: फेसबुक)
जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज़ ने कहा है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने एक दशक पहले ठीक ही कहा था कि कश्मीर के लोगों को अगर एक मौका दिया जाए तो वे अब भी आज़ादी लेना ही पसंद करेंगे.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये उनके निजी विचार हैं और पार्टी से इसका कोई लेना- देना नहीं है.
संप्रग सरकार में मंत्री रहे सोज़ ने यह भी दावा किया कि घाटी में मौजूदा हालात के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियां ज़िम्मेदार हैं.
उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों के लिए शांतिपूर्ण माहौल की स्थापना ज़रूरी है, जिससे यहां के लोग शांति से रह सकें.
अपनी आने वाली किताब में सैफुद्दीन सोज़ ने बताया है कि कश्मीर मुद्दे पर किसी मुख्यधारा की पार्टी के साथ बातचीत करने से पहले केंद्र सरकार को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के साथ बातचीत की पहल करनी चाहिए.
हर्रियत कॉन्फ्रेंस एक अलगाववादी धड़ा है जो अक्सर कश्मीर की आज़ादी की बात करता रहता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सैफुद्दीन सोज़ ने दावा किया है कि 1953 के बाद से आईं केंद्र सरकारों ने इस मामले को लेकर बड़ी-बड़ी गड़बड़ियां की हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरान रहीं सरकारों, जिसमें जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकारें भी शामिल हैं, ने कश्मीरियों को भारत से अलग-थलग करके रखा.
अपनी किताब ‘कश्मीर: ग्लिम्प्स आॅफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी आॅफ स्ट्रगल’ नाम की सोज़ की किताब अगले हफ़्ते में रिलीज़ होनी वाली है. किताब का प्रकाशन रूपा पब्लिकेशन की ओर से किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘10 साल पहले परवेज़ मुशर्रफ़ ने कश्मीर को लेकर जो कुछ भी कहा था, वह मौजूदा हालातों पर बिल्कुल सटीक बैठता है. कश्मीर के लोगों को अगर ये मौका दिया जाए तो वे बजाय भारत या पाकिस्तान में शामिल होने की बजाय आज़ाद होना पसंद करेंगे.’
सोज़ ने कहा कि केंद्र की पहली ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि वह कश्मीर समस्या का समाधान खोजे. ऐसा समाधान जिसमें यह नज़र आए कि ये सब कश्मीर के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए किया जा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, अपनी किताब में सोज़ ने कथित ‘मुशर्रफ़-वाजपेयी-मनमोहन’ फॉर्मूले की बात करते हुए कहा है कि परिकल्पना की गई थी कि सीमाएं तो रहें लेकिन पूरे क्षेत्र में मुक्त आवाजाही हो. दोनों ओर स्वायत्तता हो और मिलिट्री का हस्तक्षेप न हो.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सोज़ ने दावा किया है कि मुशर्रफ़ ने सेना और उससे बाहर के अपने शीर्ष सहयोगियों को इसके लिए मना लिया था और कश्मीर समस्या का यही एकमात्र हल है.
बहरहाल सैफुद्दीन सोज़ के इस बयान पर राजनीतिक गलियारों में बवाल मच गया है.
As central minister he (Saifuddin Soz) benefited from Centre's power when his daughter was kidnapped by JKLF. There's no use helping these ppl. Whoever wants to stay here can stay abiding by the Constitution,if they like Musharraf we'll give them a one-way ticket(to Pak): S.Swamy pic.twitter.com/2CsQZ0x21L
— ANI (@ANI) June 22, 2018
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है, ‘सैफुद्दीन सोज़ जब केंद्रीय मंत्री थे तब जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के द्वारा उनकी बेटी का अपहरण किए जाने के समय केंद्र की शक्तियों की वजह से ही उन्हें फायदा मिला था. ऐसे लोगों की मदद करने का कोई मतलब नहीं है. जिन लोगों को यहां रहना है, वे संविधान के अनुसार यहां रह सकते हैं, अगर वे मुशर्रफ़ को पसंद करते हैं तो हम उन्हें पाकिस्तान का वन-वे टिकट दे देंगे.’
वहीं शिवसेना की मनीषा कायंदे ने कहा, ‘सैफुद्दीन सोज़ के इस बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष को स्पष्टीकरण देना चाहिए. अगर उन्हें पाकिस्तान और मुशर्रफ़ से ज़्यादा लगाव है तो फिर उन्हें पाकिस्तान जाकर उनका सेवक बन जाना चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)