ये मोदी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का नतीजा है कि हमारा रुपया लुढ़क रहा है

अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपया तेजी से कमज़ोर हो रहा है. इसके तमाम बाह्य कारण भी हैं लेकिन पिछले चार सालों के दौरान बेहतर परिस्थितियों का फ़ायदा न उठा पाने और हर बात के लिए पिछली सरकार के करे-धरे को ज़िम्मेदार ठहराने की प्रवृति के चलते अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हुई है.

Indian Prime Minister Narendra Modi (R) listens to Finance Minister Arun Jaitley during the Global Business Summit in New Delhi, India, in this January 16, 2015 file photo. After a drubbing in a state poll in November, Modi wants to overhaul his cabinet to weed out underperformers and improve his government's image. Problem is, several sources said, he can't find the right replacements. REUTERS/Anindito Mukherjee/Files

अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपया तेजी से कमज़ोर हो रहा है. इसके तमाम बाह्य कारण भी हैं लेकिन पिछले चार सालों के दौरान बेहतर परिस्थितियों का फ़ायदा न उठा पाने और हर बात के लिए पिछली सरकार के करे-धरे को ज़िम्मेदार ठहराने की प्रवृति के चलते अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हुई है.

Indian Prime Minister Narendra Modi (R) listens to Finance Minister Arun Jaitley during the Global Business Summit in New Delhi, India, in this January 16, 2015 file photo. After a drubbing in a state poll in November, Modi wants to overhaul his cabinet to weed out underperformers and improve his government's image. Problem is, several sources said, he can't find the right replacements. REUTERS/Anindito Mukherjee/Files
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

पिछले कुछ दिन से डॉलर के मुकाबले रुपया तलहटी पर चल रहा है. सोशल मीडिया या मुख्य धारा की मीडिया में उस तरह का हल्ला नहीं मच रहा, जिस तरह 2013 में मचा था. उस समय जो लोग हल्ला मचा रहे थे या रोज नए-नए मुहावरे गढ़ रहे थे, वही आज सत्ता में हैं और उनके क्रिया-कलापों पर ही रुपये की चाल निर्भर कर रही है.

खैर, रुपया क्यों गिर रहा है, यह निम्न कुछ बिंदुओं से समझा जा सकता है.

अमेरिकी फेडरल रिजर्व (यानी अमेरिकी रिजर्व बैंक) ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं और मुक्त पूंजी प्रवाह को धीमा कर रहा है. इसके चलते विदेशी पूंजी निवेशक भारत से पैसा निकाल कर वापस अमेरिका ले जा रहे हैं.

इसका मतलब यह हुआ कि हमारे बाजार में डॉलर की उपलब्धता कम होती जा रही है. राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले साल टैक्स में जो भारी कटौती की, उसके चलते अमेरिकी सरकार को बाजार से उधारी लेनी पड़ रही है.

बढ़ी ब्याज दरों के चलते यह एक आकर्षक निवेश बन गया है. यानी दुनिया भर से डॉलर पहुंच रहा है अमेरिका और अपने यहां से भी.

कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं यानी अपने देश को अब तेल आयात के लिए ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं. इसकी वजह से भी डॉलर की मांग बढ़ रही है.

भारत का निर्यात उस तेजी से नहीं बढ़ रहा, जिस तेजी से आयात बढ़ रहा है और इसके चलते चालू खाते में बढ़ता घाटा. इसे पाटने के लिए डॉलर चाहिए.

अमेरिका ने जो व्यापार युद्ध शुरू किया है, उससे निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ रही है और वे सुरक्षित निवेश की ओर जा रहे हैं. इसके अलावा हमारे निर्यात पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ने के आसार हैं. इसलिए आसानी से यह कहा जा सकता है कि ये सब बाह्य कारक हैं जिन पर हमारी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं. इन्हीं बाह्य कारकों के चलते रुपया गिर रहा है.

मौजूदा केंद्र सरकार हर बात के लिए पिछली सरकार के करे-धरे को जिम्मेदार ठहराती रहती है. देखते हैं कि इस मामले में 2014 से पहले की यूपीए सरकार और मौजूदा एनडीए सरकार का प्रदर्शन क्या रहा है.

सबसे पहले कच्चे तेल की कीमतों की बात कर लेते हैं क्योंकि तेल बिल ही सबसे ज्यादा डॉलर खाता है- पिछली यूपीए सरकार के पांच साल के दौरान तेल की औसत कीमत 99.2 डॉलर प्रति बैरल रही.

मौजूदा एनडीए सरकार के चार साल में औसत दर 52.5 डॉलर प्रति बैरल रही. वर्ष 2018-19 के दौरान तेल बिल 110 अरब डॉलर रहने की संभावना है जबकि 2017-18 में यह बिल 88 अरब डॉलर रहा.

वर्ष 2016-17 में तेल बिल 68 अरब डॉलर और 2015-16 में 64 अरब डॉलर रहा था. यानी चार साल में तेल बिल कुल मिलाकर मोटा-मोटी 330 अरब डॉलर बैठेगा.

यूपीए के समय वर्ष 2011-12 में तेल बिल 139.7 अरब डॉलर, 2012-13 में 144.3 अरब डॉलर, 2013-14 में 143 अरब डॉलर और 2014-15 में 112.7 अरब डॉलर रहा था. यानी चार साल में कुल मिलाकर 540 अरब डॉलर.

यानी यूपीए के मुकाबले एनडीए को तेल बिल पर 210 अरब डॉलर का फायदा हुआ. यह फायदा और बढ़ सकता था यदि घरेलू स्तर पर कच्चे तेल व गैस का उत्पादन बढ़ाया जाता. लेकिन कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन 2012 से लगातार हर साल गिरा है.

इसके चलते, 2012 में तेल के मामले में आयात पर हमारी निर्भरता 75 फीसदी थी, वह इस साल बढ़कर 83 फीसदी हो गयी. प्राकृतिक गैस के मामले में भी घरेलू उत्पादन इस दौरान 20 फीसदी गिरा. 2012 में जहां यह 85.7 एमएमटीओई (मिलियन मीट्रिक टन ऑफ ऑयल इक्विवैलेंट) था, 2018 में 68.3 एमएमटीओई रह गया.

आइये अब देखते हैं विदेशी मुद्रा भंडार यानी फॉरेक्स रिजर्व को. 2014 में फॉरेक्स रिजर्व 304 अरब डॉलर था जो इस समय 412.23 अरब डॉलर (1 जून, 2018) है. यूपीए के समय वर्ष 2010 से 2014 तक कुल मिलाकर व्यापार घाटा 770 अरब डॉलर था.

एनडीए के चार साल में यह घाटा 530 अरब डॉलर है. यह घाटा पांच साल में 700 अरब डॉलर तक पहुंचने का आकलन है. ऐसा तब है जब एनडीए सरकार के समय तेल बिल 210 अरब डॉलर कम रहा और सोना आयात बिल 100 अरब डॉलर कम रहा. अगर यह कमी न होती तो घाटा 1000 अरब डॉलर से ज्यादा रहता.

सवाल यह है कि व्यापार घाटा इतना ज्यादा क्यों रहा. जवाब भी साफ है कि पिछले चार साल में भारत का वस्तु निर्यात बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ा जबकि आयात उसके मुकाबले काफी तेज रफ्तार से बढ़ा.

2014 से 2018 तक हमारा निर्यात (सोना व कच्चे तेल को छोड़कर) 251 अरब डॉलर से बढ़कर सिर्फ 266 अरब डॉलर तक पहुंचा जबकि आयात (सोना व कच्चे तेल को छोड़कर) 252 अरब डॉलर से 319 अरब डॉलर पहुंच गया. यानी निर्यात जहां डेढ़ फीसदी सालाना से हिसाब से बढ़ा, वहीं आयात 6.07 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा. स्पष्ट है कि हमारी इंडस्ट्री पहले जितना प्रतिस्पर्धी नहीं रह गई.

कच्चे तेल की कम कीमतों के बावजूद टैक्स बढ़ाकर हमारी सरकार ने इन सालों में जो 6,50,000 करोड़ रुपये वसूले, उसे वित्तीय घाटे की भरपाई में खपाया गया. यानी वित्तीय कुप्रबंधन का नतीजा है कि 300 अरब डॉलर का आयात बिल कम होने के बाद भी हमारा रुपया लुढ़क रहा है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq