सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हमने मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाने का सोचा है. हम अब तक नजीब अहमद का पता नहीं लगा पाए हैं. लेकिन, अन्य पक्षों का आकलन करने का एक और प्रयास कर रहे हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को इशारा किया कि वह जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के गायब होने के मामले की जांच बंद कर सकता है क्योंकि उसे इस मामले में कोई सबूत हाथ नहीं लगा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ को एजेंसी द्वारा बताया गया कि वह संदिग्धों के मोबाइल फोन से कोई सुराग नहीं पा सकी है.
सीबीआई के वकील निखिल गोयल ने कहा, ‘आज की तारीख तक हमारे पास कोई सुराग नहीं है. जांच रिपोर्ट नकारात्मक हैं. हम अब तक नजीब अहमद का पता नहीं लगा पाए हैं.’
उन्होंने साथ ही कहा कि कुछ मोबाइल फोन की जांच नहीं हो सकती है क्योंकि उनमें सुरक्षा की दृष्टि से पैटर्न लॉक डाला गया है.
गोयल ने कहा, ‘अन्य दो मोबाइल काम करने की स्थिति में नहीं हैं. इसलिए उनकी भी जांच नहीं हो सकती है. हमने मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाने का सोचा है. लेकिन, हम अन्य पक्षों का आकलन करने का एक और प्रयास कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से से नजीब के पता होने की कोई भी जानकारी अब तक नहीं मिली है.
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि इंटरपोल की मदद भी यलो नोटिस जारी करने के लिए मांगी गई. उससे संबंधित जानकारी देने वाले को दस लाख रुपये की इनाम की घोषणा भी की गई है.’
सीबीआई ने कोर्ट को यह भी बताया कि अभी तक उसकी जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो दिखाए कि कोई अपराध हुआ है. न ही उसे ऐसी कोई सामग्री मिली है जिसके आधार पर वह उन नौ छात्रों को गिरफ्तार करे या कोई कार्रवाई करे, जिन पर नजीब के परिवार को शक है कि उन्होंने ही उसे गायब किया है.
वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजालवेज ने नजीब की मां फातिमा की ओर से पेश होते हुए कहा कि सीबीआई ने हॉस्टल वार्डन और सुरक्षा गार्ड सहित 18 लोगों से तो पूछताछ की ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि जिन्होंने नजीब के गायब होने से एक दिन पहले उसे धमकाया था उन्हें अब तक हिरासत में नहीं लिया गया है और मांग की कि जांच की निगरानी अदालत करे.
अदालत ने सीबीआई को सुनवाई की अगली तारीख 4 सितंबर तक मामले में दर्ज सभी बयानों का संकलन पेश करने का निर्देश दिया है.
हालांकि, अदालत ने नजीब की मां द्वारा लगाई इस याचिका पर अक्टूबर 2016 से सुनवाई करने का जिक्र करते हुए कहा, ‘नजीब की मां की बेचैनी समझी जा सकती है.’
नजीब जेएनयू के माही मांडवी छात्रावास से 15 अक्टूबर 2016 को गायब हो गया था. घटना से एक रात पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े कुछ छात्रों के साथ उसका विवाद हुआ था.
उसकी मां ने अदालत पहुंचकर गुहार लगाई थी कि उसके बेटे को पुलिस खोजे, ऐसे निर्देश जारी किए जाएं.
हालांकि, जब दिल्ली पुलिस को सात महीने बाद भी उसके मिलने की कोई जानकारी नहीं मिली, तो हाईकोर्ट ने मामले की जांच पिछले साल 16 मई को सीबीआई को सौंप दी.
गौैरतलब है कि मामले में सीबीआई की जांच पर अंगुली पहले से उठती रही हैं. इस संबंध में हाईकोर्ट सीबीआई को फटकार भी लगा चुका है.