जेएनयू में 93 फीसदी शिक्षकों ने कुलपति को हटाने के पक्ष में किया मतदान

जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा बाहरी पर्यवेक्षकों की निगरानी में कराए जनमत संग्रह में जवाहर लाल नेह​रू विश्वविद्यालय के 586 सूचीबद्ध शिक्षकों में से 300 वोट डालने पहुंचे. इनमें से 279 ने कुलपति को हटाए जाने के पक्ष में वोट डाला.

/
जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार. (फोटो साभार: फेसबुक)

जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा बाहरी पर्यवेक्षकों की निगरानी में कराए जनमत संग्रह में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के 586 सूचीबद्ध शिक्षकों में से 300 वोट डालने पहुंचे. इनमें से 279 ने कुलपति को हटाए जाने के पक्ष में वोट डाला.

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार. (फोटो साभार: फेसबुक)
जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के 90 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों ने मंगलवार को एक जनमत संग्रह में कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग के पक्ष में वोट डाला.

जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने एक बयान में कहा कि बाहरी पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजर्स) की निगरानी में हुआ यह जनमत संग्रह बताता है कि वर्तमान कुलपति को अपने पद पर नहीं रहना चाहिए.

इस जनमत संग्रह में शामिल लोगों से दो सवाल पूछे गए थे. पहला, क्या जेएनयू के कुलपति को अपना पद छोड़ देना चाहिए? दूसरा, क्या जेएनयू को हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (एचईएफए) लोन लेना चाहिए?

जेएनयूटीए ने कहा, ‘जेएनयू शिक्षकों के 93 फीसदी हिस्से ने जनमत संग्रह में कुलपति के विरोध में मतदान किया. जेएनयू के 586 सूचीबद्ध शिक्षकों में से 300 शिक्षक वोट डालने पहुंचे. उनमें से 279 ने कुलपति को हटाए जाने के पक्ष में वोट डाला. आठ वोट अवैध घोषित किया गया और पांच वोट रोक दिए गए थे.’

दूसरे सवाल के जवाब में 288 लोगों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के एचईएफए लोन लेने के ख़िलाफ़ वोट किया और चार लोगों ने इसके पक्ष में वोट किया. इनमें से पांच वोट अवैध थे और तीन वोटों को रोक दिया गया.

इस दौरान जेएनयूटीए ने वर्तमान प्रशासन पर भय का माहौल पैदा करने और अकादमिक मुद्दों पर असंतोष प्रकट करने पर खास शिक्षकों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया.

वहीं, 96 प्रतिशत शिक्षक हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (एचईएफए) से करोड़ों रुपये का लोन लिए जाने के खिलाफ हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जेएनयूटीए ने बाहरी पर्यवेक्षक के तौर पर जाने माने भूगोलविद् एमएच कुरैशी, प्रख्यात वैज्ञानिक पीके यादव, अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार और प्रो. चमनलाल सहित सभी सेवानिवृत्त प्रोफेसर ओर संघ के पूर्व अध्यक्षों को भी बुलाया था.

जेएनयूटीए के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा डर का वातावरण पैदा किया जाने के बावजूद ऐसे परिणाम आना चौंकाने वाला है.

मालूम हो कि यह जनमत संग्रह ऐसे समय आया है जब आज (आठ अगस्त) ही जेएनयू में 46 साल बाद दीक्षांत समारोह को आयोजन किया जा रहा है. समारोह के मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य और वैज्ञानिक वीके सारस्वत हैं.

हालांकि इस आयोजन का भी विरोध हो रहा है. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने इस आयोजन का बहिष्कार करने की घोषणा की है.

दरअसल, पहले दीक्षांत समारोह के 46 साल बाद जेएनयू पीएचडी छात्र-छात्राओं को डिग्री देने के लिए अपना दूसरा दीक्षांत समारोह आयोजित करने जा रहा है. छात्रसंघ ने अपने बयान में कहा है कि छात्र-छात्राओं और शिक्षक उसी दिन समानांतर कार्यक्रम आयोजित करेंगे.

छात्र-छात्राओं ने कुलपति एम. जगदीश कुमार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और कैंपस की पहचान को सुनियोजित तरीके से ख़त्म करने का आरोप लगाया है.

छात्र-छात्राओं का कहना है, ‘कुलपति जी, हमने अपने प्रयासों और हमारे शिक्षकों की प्रतिबद्धता के कारण डिग्री अर्जित की है. हमारी डिग्री जेएनयू की ‘लोकतांत्रिक संस्कृति’ के लिए है और जेएनयू को ख़त्म करने वाले इंसान को हमारी डिग्री बांटने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq