हापुड़ लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से मांगा जवाब

शीर्ष अदालत ने हमले में बच गए समीउद्दीन को सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया है. बीते 18 जुलाई को मांस कारोबारी क़ासिम क़ुरैशी पर भीड़ ने गोकशी के संदेह में पी- पीट कर मार डाला था. पुलिस ने भीड़ के हमले की बजाय रोड रेज का मामला दर्ज किया है.

(फोटो: पीटीआई)

शीर्ष अदालत ने हमले में बच गए समीउद्दीन को सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया है. बीते 18 जुलाई को मांस कारोबारी क़ासिम क़ुरैशी पर भीड़ ने गोकशी के संदेह में पी- पीट कर मार डाला था. पुलिस ने भीड़ के हमले की बजाय रोड रेज का मामला दर्ज किया है.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हापुड़ में गोवध के संदेह में दो व्यक्तियों पर कथित रूप से उग्र भीड़ के हमले की घटना के सिलसिले में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया.

इस हमले में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी. न्यायालय ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को इस मामले की जांच कर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है.

प्रधाान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने इस हमले में जख्मी हुए समीउद्दीन की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया.

इस याचिका में सारी घटना की विशेष जांच दल से जांच कराने और इससे संबंधित मुकदमे की सुनवाई राज्य से बाहर कराने का अनुरोध किया गया है. पीठ ने हापुड़ जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह इस हमले में बच गए समीउद्दीन को सुरक्षा प्रदान करने के उसके अनुरोध पर विचार करें.

न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले में 28 अगस्त को आगे विचार करने का निश्चय किया है. पीठ ने समीउद्दीन के वकील के इस कथन पर विचार किया कि उनके मुवक्किल और मांस के कारोबारी कासिम कुरैशी पर 18 जून को उग्र भीड़ ने इस संदेह में हमला किया कि वे गोवध में शामिल हैं जबकि पुलिस ने भीड़ के हमले की बजाय रोड रेज का मामला दर्ज किया है.

इस हमले में 45 वर्षीय कुरैशी की बाद में मृत्यु हो गई थी. याचिका में इस घटना के मुख्य आरोपी युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया और अन्य आरोपियों की जमानत रद्द करने का भी अनुरोध किया गया है.

याचिका में एक मिनट का एक वीडियो सामने आने का भी जिक्र किया गया है जिसमें यह बताया गया है कि यह रोड रेज का नहीं बल्कि भीड़ द्वारा पीटने का मामला था.

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