दिल्ली: डीएलएफ कॉम्प्लेक्स में सीवर साफ करते समय दम घुटने से पांच लोगों की मौत

नई दिल्ली के मोती नगर की घटना. प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि मैनेजमेंट ने हाउसकीपिंग के लिए रखे गए कर्मचारियों को टैंकों की सफाई के लिए मजबूर किया गया था. कार्रवाई की मांग को लेकर मृतकों के परिजनों ने किया प्रदर्शन.

(फोटो साभार: फेसबुक/Dlf Capital Greens Moti Nagar)

नई दिल्ली के मोती नगर की घटना. प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि मैनेजमेंट ने हाउसकीपिंग के लिए रखे गए कर्मचारियों को टैंकों की सफाई के लिए मजबूर किया गया था. कार्रवाई की मांग को लेकर मृतकों के परिजनों ने किया प्रदर्शन.

(फोटो साभार: फेसबुक/Dlf Capital Greens Moti Nagar)
(फोटो साभार: फेसबुक/Dlf Capital Greens Moti Nagar)

नई दिल्ली: पश्चिम दिल्ली के मोती नगर इलाके में सीवेज टैंक साफ करते समय दम घुटने की वजह से रविवार को पांच लोगों की मौत हो गई. घटना दोपहर साढ़े तीन बजे हुई.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतकों की पहचान विशाल, सरफराज, पंकज, राजा और उमेश के रूप में हुई है. इन लोगों की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी.

पुलिस ने बताया कि पीड़ितों की मौत सीवर की जहरीली गैस में दम घुटने से हुई है. पुलिस ने इस सिलसिले में मामला दर्ज कर लिया है और इस बात की जांच की जा रही है कि किसकी लापरवाही के कारण यह घटना हुई.

पुलिस के अनुसार, यह घटना मोती नगर इलाके में डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स आवासीय परिसर के केपी टावर में हुई, जहां पांचों लोग बेसमेंट में स्थित टैंक की सफाई में लगे थे. ये टैंक लगभग 30 फीट गहरा है.

पुलिस ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सफाईकर्मी सुरक्षा उपकरण नहीं पहने थे. वहीं मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि परिसर द्वारा लगाई गई मैनेजमेंट ने हाउसकीपिंग के लिए रखे गए इन कर्मचारियों को टैंकों की सफाई के लिए मजबूर किया था.

वहीं डीएलएफ ने एक बयान में कहा कि सुविधा प्रबंधन कंपनी जेएलएल द्वारा परिसर में सेवाओं की देखरेख की जाती है. जेएलएल के प्रतिनिधियों ने अभी तक इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है.

बता दें कि डीएलएफ का ये रिहायशी कॉम्प्लेक्स चार भागों में बंटा हुआ है. इसमें से फेस 1 और फेस 2 में लोग रहते हैं जबकि फेस 3 और फेस 4 निर्माणाधीन है. ये घटना फेस 2 में हुई है.

पीड़ितों में से एक विशाल की बहन सत्या ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वे 12,000 रुपये प्रति माह पर कॉन्ट्रैक्ट आधार पर एक निजी कंपनी के साथ काम कर रहे थे. लेकिन उनका काम सेप्टिक टैंक को साफ करना नहीं था. मुझे नहीं पता कि यह कैसे हुआ. किसी ने उन्हें अंदर जाने के लिए मजबूर किया होगा.’

वहीं विशाल के भाई अंगद ने कहा, ‘जब उन्हें हॉस्पिटल लाया गया था तो वे जिंदा थे. उन्होंने डॉक्टर को बताया था कि उनका दम घुट रहा था. लोगों ने उन्हें अस्पताल में ले जाने में देरी की.’

वहीं मौके पर मौजूद एक मजदूर जितेंद्र ने जेएलएल पर आरोप लगाया कि घर की देखभाल करने वाले कर्मचारियों को अन्य काम करने के लिए मजबूर किया गया.

एक और कर्मचारी विनोद गुप्ता ने बताया कि सुपरवाइजर ने सभी मजदूरों को टैंक साफ करने का निर्देश दिया था.

डीएलएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘सुविधा प्रबंधन कंपनी जेएलएल द्वारा कॉम्प्लेक्स का कामकाज संभाला जाता है. जेएलएल अपने उच्च गुणवत्ता वाले सुरक्षा मानकों और सेवा के लिए जाना जाता है. हम अभी भी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर जेएलएल की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. हमें यकीन है कि जेएलएल प्रभावित परिवारों की देखभाल करने के लिए सभी उपाय करेगा.’

इस घटना के बाद मृतकों के परिजनों के साथ लगभग 200 लोगों की भीड़ ने डीएलएफ कॉम्प्लेक्स की एंट्री गेट के बाहर प्रदर्शन किया और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई मांग की.

इस दौरान मृतकों में शामिल 19 वर्षीय सरफराज के पिता मोहम्मद हय्युल ने कहा, ‘उसका काम हाउसकीपिंग का था. ठकेदार को ये जवाब देना चाहिए कि वो क्यों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गया था. वो मेरा इकलौता बेटा था.’