जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए

मौजूदा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद तीन अक्टूबर को रंजन गोगोई अपना पदभार ग्रहण करेंगे. इस पद पर पहुंचने वाले गोगोई पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं.

New Delhi: Chief Justice of India Justice Dipak Misra (R) and Justice Ranjan Gogoi at the farewell ceremony of Justice Adarsh Kumar Goel, in New Delhi on Friday, July 6, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI7_6_2018_000148B)

मौजूदा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद तीन अक्टूबर को रंजन गोगोई अपना पदभार ग्रहण करेंगे. इस पद पर पहुंचने वाले गोगोई पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं.

New Delhi: Chief Justice of India Justice Dipak Misra (R) and Justice Ranjan Gogoi at the farewell ceremony of Justice Adarsh Kumar Goel, in New Delhi on Friday, July 6, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI7_6_2018_000148B)
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इस महीने के शुरुआत में जस्टिस रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश की थी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जस्टिस रंजन गोगोई को गुरुवार को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद तीन अक्टूबर को रंजन गोगोई अपना पदभार ग्रहण करेंगे.

जस्टिस गोगोई का 13 महीने से थोड़ी अधिक अवधि का कार्यकाल होगा और वह 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस गोगोई की नियुक्ति संबंधी वारंट पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई.

18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की.

उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इसके बाद उनका नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया.

जस्टिस गोगोई को 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्याधीश नियुक्त किया गया था. वह 23 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए.

जस्टिस मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश के बाद के वरिष्ठतम जज के नाम की सिफारिश करने की परंपरा के अनुसार इस महीने के शुरुआत में जस्टिस गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर की थी.

गौरतलब है कि अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस गोगोई की नियुक्ति पर उस वक्त अटकल लगने लगी थीं, जब रंजन गोगोई समते चार वरिष्ठतम जजों ने 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस की थी और खास पीठों को मामलों के आवंटन के तौर तरीकों को लेकर न्यायमूर्ति मिश्रा की आलोचना की थी.

जस्टिस जे. चेलमेश्वर (अब सेवानिवृत), जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ अन्य तीन न्यायाधीश थे, जिन्होंने संवाददाताओं को संबोधित किया था. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में संभवत: यह ऐसी पहली घटना थी.

कांग्रेस ने जस्टिस रंजन गोगोई को देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने का स्वागत किया है.

पार्टी ने आधिकारिक ट्वीट में कहा, ‘हम जस्टिस रंजन गोगोई के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का स्वागत करते हैं. हम आशा करते हैं कि अपने कार्यकाल के दौरान वह न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे जैसे उन्होंने अपने अब तक करियर में किया है.’

न्यायपालिका के शीर्ष पद पर पहुंचने के लिए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने लंबा सफर तय किया 

देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के शीर्ष पद तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया है और वह इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं.

18 नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बॉस्को स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की.

असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था. उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की.

उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

गोगोई को नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया. उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए.

जस्टिस रंजन गोगोई (63) जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे.

उन्होंने कहा था, ‘स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं.’ उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवा योग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की जरुरत है.

जस्टिस रंजन गोगोई तीन अक्टूबर को 46 वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे. वह 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे.

उन्होंने असम की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, सांसदों और विधायकों की विशेष तौर पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न विषयों पर अहम फैसले दिये हैं.