नॉर्थ ईस्ट डायरी: पूर्वोत्तर के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने छोड़ी पार्टी

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

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इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

Northeast Congress leaders Collage
मिजोरम के कांग्रेस नेता आर लालजिरलियाना और 4 बार मेघालय के मुख्यमंत्री रहे डीडी लपांग (फोटो साभार: ट्विटर/द शिलॉन्ग टाइम्स)

शिलॉन्ग/आइजोल: पूर्वोत्तर के दो राज्यों में कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. मेघालय में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके डीडी लपांग ने पार्टी और मिजोरम के गृहमंत्री आर लालजिरलियाना ने प्रदेश की सरकार से इस्तीफा दे दिया.

80 वर्षीय डोनवा देथवेल्सन लपांग ने पार्टी से इस्तीफे के लिए पार्टी नेतृत्व पर ‘वरिष्ठ नेताओं’ को दरकिनार करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गुरुवार रात भेजे इस्तीफे में लपांग ने कहा कि वह ‘अनिच्छा और भारी मन से इस्तीफा दे रहे हैं.’

मेघालय प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के पूर्व प्रमुख ने एआईसीसी पर वरिष्ठ एवं बुजुर्ग लोगों को दरकिनार करने की नीति पर चलने का आरोप लगाया. पत्र में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब वरिष्ठ एवं बुजुर्ग लोगों की सेवा एवं योगदान पार्टी के लिए उपयोगी नहीं रह गई हैं.’

लपांग ने कहा, ‘इस प्रतिबंध ने मुझे निराश कर दिया और मुझे पार्टी से अलग होने पर मजबूर कर दिया.’

लपांग पहली बार 1992 में मेघालय के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद वह 2003, 2007 और 2009 में मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए.

एआईसीसी के मेघालय के प्रभारी महासचिव लुइजिन्हो फलेरो ने कहा कि वह पिछले तीन साल से लपांग से नहीं मिले हैं. वहीं एमपीसीसी के अध्यक्ष सेलिस्टिन लिंग्दोह ने लपांग के पार्टी छोड़ने के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया है.

उन्होंने कहा, ‘हम कोशिश करेंगे और देखेंगे अगर जल्द से जल्द मामले को निपटाया जा सके.’

वहीं दूसरी ओर मिजोरम के गृहमंत्री आर लालजिरलियाना ने भी शुक्रवार को सरकार से इस्तीफा दे दिया है.

लालजिरलियाना ने बताया कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है. मिजोरम में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. उनके इस्तीफे ने प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस में आंतरिक लड़ाई को उजागर कर दिया है .

उन्होंने कहा कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र तावी के लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके क्योंकि लाल थनहवला सरकार ने अलग सैतुअल जिला बनाने का वादा करने के बावजूद ऐसा नहीं किया .

प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे लालजिरलियाना को पार्टी की अनुशासन समिति ने मंगलवार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनके विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में शामिल होने की खबरों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं किया जाए.

सत्तारूढ़ कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि उनका इस्तीफा संभवत: स्वीकार कर लिया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि लालजिरलियाना ने अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव लालरामथांगा को अपना त्यागपत्र सौंपा क्योंकि मुख्यमंत्री बाहर थे.

गृहमंत्री को अपना पक्ष रखने के लिए शुक्रवार को तीन बजे तक का समय दिया गया था लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और अपने इस्तीफे की घोषणा की.

कांग्रेस भवन में शुक्रवार को हुई पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान उन्होंने संकेत दिया कि उन्हें मंत्री पद और मिजोरम प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद से हटाने की साजिश की जा रही है .

उन्होंने कहा, ‘मेरी मंशा कारण बताओ नोटिस पर स्पष्टीकरण और जवाब देने की नहीं थी क्योंकि ऐसा करने की आवश्यकता नहीं थी.’

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2008 में विधानसभा चुनावों के दौरान उनके विधानसभा क्षेत्र के लोगों से वादा किया था कि अगर वह (लालजिरलियाना) निर्वाचित किये जायेंगे तो अलग सैतुअल जिला बनेगा.

लालजिरलियाना ने 1998 में तत्कालीन सैतुअल विधानसभा क्षेत्र (अब तावी सीट) से तब जीत हासिल की थी जब एमएनएफ-मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस गठबंधन ने कांग्रेस को बुरी तरह हराया था.

40 सदस्यीय सदन में कांग्रेस को छह सीटें मिली थी, जिसमें वह भी शामिल थे. आइजोल जिले में वे कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे .

उन्होंने इस सीट से लगातार चार बार जीत हासिल की थी और 2008 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद वह मंत्री बने. 2013 में एक बार फिर उन्हें मंत्री बनाया गया था.

मणिपुर: वाहन चोरी के संदेह में व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या, पांच गिरफ्तार

((प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
((प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इम्फाल: मणिपुर के इम्फाल पश्चिम जिले में वाहनों की चोरी करने के संदेह में भीड़ ने कथित तौर पर एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले के संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

अधिकारी ने कहा कि पीड़ित के दो सहयोगी घटनास्थल से भाग गए. इम्फाल पश्चिम जिले के पुलिस अधीक्षक जोगेशचंद्र हाओबिजाम ने कहा कि यह घटना गुरुवार को थौरोइजाम अवांग लेइकई इलाके में हुई.

उन्होंने बताया कि भीड़ हत्या में शामिल होने के संदेह में चार लोगों के साथ एक दोपहिया वाहन के मालिक को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया. उसने गैराज में अपना वाहन पार्क कर रखा था.

दोपहिया वाहन के मालिक को गिरफ्तार करने के कारण का पुलिस अधिकारी ने खुलासा नहीं किया.

पांच आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. नगर की एक अदालत ने शनिवार को चार दिन के लिये उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया.

मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने घटना के सिलसिले में मामले का स्वत: संज्ञान लिया और राज्य के पुलिस महानिदेशक को मामले की जांच करने और 22 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा.

थौरोइजाम गांव के लोगों ने शुक्रवार को पटसोई थाने का शुक्रवार को घेराव किया और गिरफ्तार लोगों को रिहा करने की मांग की.

गांव के एक क्लब के प्रवक्ता ने बताया कि भाग गए दो वाहन चोरों को गिरफ्तार करने की जगह पुलिस ने एक दोपहिया वाहन के मालिक समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

मेघालय: खासी और गारो भाषाओं को संविधान की अष्टम सूची में शामिल करने के लिए प्रयासरत है सरकार

शिलॉन्ग: मेघालय सरकार खासी और गारो भाषाओं को संविधान की अष्टम सूची में शामिल कराने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव लाएगी.

मुख्यमंत्री कर्नाड के संगमा ने कहा कि उनकी सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम इस पर काम कर रहे हैं. मुझे आशा है कि हम विधानसभा में इसे (प्रस्ताव) ला पायेंगे.’

मेघालय भाषा अधिनियम, 2005 खासी और गारो को राज्य की संबद्ध सरकारी भाषाओं के रूप में मान्यता देता है.

इसी हफ्ते विधानसभा अध्यक्ष दोनकुपर राय ने खासी लेखकों से कहा था कि वह खासी को इस सूची में शामिल किये जाने का पुरजोर समर्थन करते हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार मेघालय और पड़ोसी राज्य असम में 14.3 लाख से अधिक लोग खासी बोलते हैं. इनमें 10.3 लाख ऐसे लोग हैं जिन्होंने खासी को अपनी मातृभाषा बताया है.

अरुणाचल प्रदेश: बाढ़ में गई 4 लोगों की गई जान

फोटो: पीटीआई
फाइल फोटो: पीटीआई

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश की राजधानी में शुक्रवार की सुबह बादल फटने से आयी भीषण बाढ़ के चलते कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी जबकि दो अन्य लापता हो गये.

अधिकारियों ने बताया कि दोनों लापता व्यक्तियों को ढूंढ़ने के लिए तलाशी और बचाव अभियान चलाया जा रहा है,जबकि बचाये गये दो व्यक्तियों का एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

पुलिस ने बताया कि पापु नाला इलाके से एक बालक का शव बरामद किया गया जबकि नीरजुलील इलाके से एक अन्य व्यक्ति के शव को बरामद किया गया.

उन्होंने बताया कि दोन्यी पोलो इलाके से गंभीर हालत में एक महिला को बचाया गया, जिसने यहां स्थित आर के मिशन अस्पताल में दम तोड़ दिया.

ईटानगर के उपायुक्त प्रिंस धवन ने बताया कि बाढ़ प्रभावित मोदीरिजो, दोन्यी पोलो इलाके, चंद्र नगर, लोबी, जीएसएस पुलिस कॉलोनी, प्रेस कॉलोनी जैसे इलाकों में 26 घर बाढ़ में बह गये जबकि 60 से अधिक घर पूर्ण या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये.

उन्होंने कहा, ‘असम के लखीमपुर जिले के हरमट्टी के निकट डिकरोंग नदी से एक व्यक्ति का शव बरामद किया गया है.’

मोदीरिजो से जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह टूट चुकी है, जबकि दोन्यी पोलो इलाके में एक पुलिया का आधा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है.

धवन ने बताया कि एनडीआरएफ की पांच और एसडीआरएफ की चार टीमें दो लापता लोगों की सुबह से तलाश कर रहीं हैं.

मोदीरिजो की ओर जाने वाला मार्ग पानी में बह गया है वहीं दोनी पोलो क्षेत्र में आधी से ज्यादा पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई है. बाढ़ के पानी में कुछ कार और बाइकों के बह जाने की भी सूचना है.

उन्होंने बताया कि राजधानी कॉम्प्लेक्स के अनेक स्कूलों में राहत शिविर चलाएं जा रहे हैं. मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इन मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया है.

उन्होंने तुरंत प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि जारी करने की घोषणा की और घायलों के जल्द से जल्द ठीक होने के लिए प्रार्थना की.

सरकार की तरफ से हरसंभव मदद सुनिश्चित करते हुये खांडू ने जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग को स्थिति पर लगातार निगरानी रखने का निर्देश दिया.

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव सत्य गोपाल से व्यक्तिगत तौर पर बचाव अभियान का निरीक्षण करने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्देश दिया है.

असम: सोशल मीडिया पोस्ट पर हुआ विवाद

तिनसुकिया: असम के तिनसुकिया में शुक्रवार को एक सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी विवादास्पद पोस्ट को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई और पुलिस को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हवा में गोलियां चलानी पड़ी.

पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी. डूमडूमा थानाक्षेत्र में लोंगसोवाल और बुरा हापजान क्षेत्रों के लोगों के बीच संघर्ष हुआ. पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलानी पड़ी.

पुलिस सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर तीन दिन पहले पोस्ट करने को लेकर एक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी है.

कुछ लोगों ने मामले को पोस्ट करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शुक्रवार को एनएच 37 जाम कर दिया और बुरा हापजान में उनके घर का घेराव भी किया.

उसके बाद बुरा हापजान और लोंगसोवाल इलाकों के लोगों के बीच झड़प हुई . लोगों ने एक दूसरे पर पथराव किया.

सूत्रों के अनुसार मौके पर पुलिस पहुंची ने हालात को नियंत्रित करने के लिए हवा में गोलियां चलायी. पुलिस की दो कंपनियां इलाके में तैनात की गयी है.

मामले का आरोपी फरार है. सूत्रों के अनुसार संघर्ष में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

सिक्किम: भारी बारिश से भूस्खलन, कई इलाकों से सड़क संपर्क टूटा

प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई
प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई

गंगटोक: पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के चलते सिक्किम और दार्जिलिंग में कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है, जिसके चलते कई स्थानों पर सड़क संपर्क टूट गया है.

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि उत्तर जिले में द्जोंगू, मंगन, लाचेन और मंगशिला में भूस्खलन हुआ और सिलिगुड़ी शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर सेवोक के नजदीक दो स्थानों में भी भूस्खलन हुआ.

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को तड़के करीब तीन बजे 29वें माइल और 10वें माइल क्षेत्र में दो स्थानों पर भूस्खलन हुआ. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने दो स्थानों से छोटी कारों के जरिये आवागमन का इंतजाम किया है, लेकिन बड़े वाहनों का रास्ता बाधित है.

अम्बिथांग में भूस्खलन के चलते उत्तरी सिक्किम जिले के मुख्यालय मंगन का संपर्क गंगटोक से टूट गया है. राफोंग खेला में एक पुल बह जाने के बाद मंगन और चुंगथांग को जोड़ने वाली सड़क भी टूट गयी है.

अम्बिथांग झरना उफान पर है जिससे पुलियों और तूंग के समीप नवनिर्मित बैली पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया है. द्जोंगु में कई स्थानों पर भूस्खलन से सड़क नेटवर्क भी प्रभावित हुआ है.

मंताम झील के समीप भूस्खलन के कारण ऊपरी द्जोंगु के सारे इलाकों का संपर्क शेष इलाकों से टूट गया है. जिले में बारिश और कई स्थानों पर भूस्खलन से करीब 50 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं.

राफोंग झोरा के समीप कई मकान लोगों के रहने लायक नहीं बचे हैं और उन मकानों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के निर्देश दिए गए हैं.

जिला कलेक्टर कर्मा आर बोन्पो ने मंगन और द्जोंगू उपमंडलों के उपमंडल अधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस और परिवहन अधिकारियों के साथ शुक्रवार को मंगन, मंगशिला, द्जोंगू के प्रभावित इलाकों में स्थिति का आकलन किया.

उत्तरी जिले में स्कूलों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. सीमा सड़क संगठन जिले में सड़क नेटवर्क बहाल करने के लिए काम कर रहा है.

अधिकारी ने बताया कि प्रभावित लोगों को नियमों के अनुसार राहत और अनुग्रह राशि दी जाएगी.

उत्तर सिक्किम में भारी बारिश के कारण सिंगतम और रांगपो जैसे निचले इलाकों में जलस्तर बढ़ने की आशंका के कारण नागरिक सुरक्षा एजेंसियों, स्वयंसेवकों और जनता को सतर्क कर दिया गया है.

मिजोरम: आईएलपी उल्लंघन मामले में हज़ार से ज़्यादा गिरफ्तार

आइजोल: मिजोरम में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) नियम के कथित उल्लंघन मामले में 1,000 से ज्यादा गैर आदिवासी लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

पुलिस के उप महानिरीक्षक एल खियांगते ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग राज्य में या तो बिना वैध इनर लाइन परमिट या अनुमति का गलत इस्तेमाल करके रह रहे थे.

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों को राज्य के अलग-अलग पुलिस थानों में रखा गया है.

डीआईजी ने बताया कि असम में एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के बाद राज्य में आईएलपी का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है.

असम: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, डिटेंशन सेंटर में रखे विदेशियों को परिजनों से अलग क्यों रखा?

असम की 10 जिला जेलों में डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं. गोलपाड़ा जिला जेल. (फोटो: अब्दुल गनी)
असम की 10 जिला जेलों में डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं. गोलपाड़ा जिला जेल. (फोटो: अब्दुल गनी)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विदेशी नागरिकों को उनके परिजनों से ‘अलग’ कर असम में हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) में रखे जाने पर नाखुशी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले को शीघ्रता से देखना चाहिए ताकि परिवार ‘टूटे नहीं.’

जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने असम की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता से कहा, ‘आप उन्हें उनके परिवारों से इस तरह से अलग नहीं कर सकते.’

पीठ असम में डिटेंशन सेंटर की स्थिति के मुद्दे पर विचार कर रही थी. पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा पेश किए गए तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि नजरबंद किए गए इन लोगों को परिवारों से अलग नहीं किया जा सकता.

एएसजी ने अदालत से कहा कि नजरबंद लोगों के साथ परिवारों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर ‘स्थान की बाधा’ थी.

उन्होंने कहा कि हिरासत केंद्र में परिवारों के लिए आवश्यक इंतजाम किए जा सकते हैं, लेकिन ये वहां स्थान की उपलब्धता के अधीन होंगे. वह इस मुद्दे पर निर्देश ले लेंगे.

पीठ ने राज्य से हिरासत केंद्र में गैस सिलेंडर समेत अन्य आवश्यक सविधाएं प्रदान करने के लिए कहा.

हालांकि केंद्र की ओर से पेश हुए एएसजी एएनएस नादकर्णी ने अदालत को बताया कि पूरे देश में विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर वे एक नियमावली को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं.

पीठ ने सरकार से कहा कि वह नियमावली को जल्द से जल्द तैयार करे. केंद्र ने सरकार को बताया कि असम में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए 46.51 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.

मेहता ने पीठ को बताया कि असम के गोलपाड़ा जिले में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई है. साल भर में काम पूरा होने की उम्मीद है.

भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव देने के लिए एनआरसी समन्वयक की आलोचना की

गुवाहाटी: असम में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने उच्चतम न्यायालय को सुझाव देने के लिए एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की तीखी आलोचना की है.

हजेला ने सुझाव दिया था कि राज्य के नागरिकों की सूची में दावा करने के लिये दावेदार सूची ‘ए’ में प्रदत्त कुल 15 दस्तावेजों की सूची से 10 में से किसी भी एक दस्तावेज को आधार बना सकते हैं.

पांच सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने असम में एनआरसी के लिये दावे और आपत्तियां स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू करने की तारीख को अगले आदेश तक के लिये टाल दिया था और आदेश दिया था कि दावेदार विरासत साबित करने के लिये प्रयुक्त 15 दस्तावेजों में से दस में से किसी भी एक दस्तावेज का इस्तेमाल कर सकते हैं.

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद यह आदेश दिया था.

इस रिपोर्ट में हजेला ने सुझाव दिया था कि राज्य के नागरिकों की सूची में दावा करने के लिये दावेदार सूची ‘ए’ में प्रदत्त कुल 15 दस्तावेजों की सूची से 10 में से किसी भी एक दस्तावेज को आधार बना सकते हैं. पीठ समन्वयक के इस सुझाव से सहमत थी.

पीठ ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल नहीं किये गये लोगों के दावे स्वीकार करने के तरीके के बारे में समन्वयक की रिपोर्ट की प्रति केन्द्र के साथ साझा करने में यह कहते हुये असहमति व्यक्त की कि यद्यपि सरकार की ‘बहुत अधिक दिलचस्पी’ है परंतु न्यायालय को ‘संतुलन कायम करना’ है.

शीर्ष न्यायालय ने असम में एनआरसी के लिये दावे और आपत्तियां स्वीकार करने की प्रक्रिया अगले आदेश तक स्थगित कर दी. न्यायालय ने केंद्र और दूसरे हितधारकों से मामले को लेकर जवाब भी मांगे हैं. मामले में अगली सुनवाई 19 सितम्बर को होनी है.

भाजपा की असम इकाई के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हजेला के सुझाव असम समझौता, 1985 के तहत लिए गए फैसलों को अप्रभावी करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम प्रतीक हजेला से पूछना चाहते हैं कि उन्हें दावे एवं आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान पहचान साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेजों की संख्या कम करने के लिए इस तरह का सुझाव देने का अधिकार किसने दिया है?’

दास ने हजेला पर शीर्ष न्यायालय में चल रहे एनआरसी मामले में पक्षकार समूहों से विचार विमर्श न करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘हजेला ने राज्य सरकार तक से संपर्क नहीं किया. मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भी पुष्टि की कि वह जब मुद्दे को लेकर हजेला से मिले तो उनसे भी विचार विमर्श नहीं किया गया.’

उन्होंने कहा, ‘अगर इन दस्तावेजों को एनआरसी में शामिल करने के लिए (2015 में) आवेदन स्तर पर मंजूरी दी गयी थी तो उन्हें अब नामंजूर कैसे किया जा सकता है? यह किसी खेल के खत्म होने से 15 मिनट पहले उसके नियम बदलने जैसा है.’

विपक्ष ने भी की हजेला की आलोचना

सत्तारूढ़ दल के साथ विपक्षी दलों ने भी प्रतीक हजेला द्वारा शीर्ष अदालत को दिए सुझाव को लेकर उनकी आलोचना की है.

असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने शीर्ष अदालत को दावों और आपत्तियों के संबंध में 1951 एनआरसी और 1971 से पहले की मतदाता सूची में छूट के सुझाव पर हाजेला को पद से हटाने की मांग की.

वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई के महासचिव दिलीप सैकिया ने एनआरसी प्रदेश समन्वयक के सुझाव की आलोचना करते हुए दावा किया कि इसने ऐसे समय स्थिति को जटिल बना दिया है, जब लाखों भारतीय गोरखा, बंगाली, हिन्दी भाषी तथा कई अन्य समुदायों के लोगों के नाम एनआरसी मसौदे में शामिल नहीं हैं.

मेघालय: केंद्र ब्रू राहत शिविरों को एक अक्तूबर से नहीं देगा सहायता

Bru Refugee camp Tripura Reuters
त्रिपुरा के ब्रू रिफ्यूजी कैंप में एक परिवार (फाइल फोटो: रॉयटर्स )

आइजोल: केंद्र ने त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे ब्रू परिवारों से वापस मिजोरम लौटने की अपील की है क्योंकि उन्हें दी जा रही सहायता एक अक्तूबर से बंद कर दी जाएगी.

राज्य के गृह विभाग, पुलिस और केंद्र के बीच सोमवार को आइजोल में एक बैठक हुई जिसमें नागरिक समाज और राहत शिविरों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) सत्येंद्र गर्ग ने कहा कि ब्रू नेता राहत शिविरों में उन लोगों की पहचान करेंगे जो वापस जाना चाहते हैं और उनके नाम केंद्र तथा मिजोरम सरकार को सौंपेंगे.

त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे ब्रू विस्थापितों को फिलहाल निशुल्क राशन और केंद्र से प्रति व्यक्ति पांच रुपये प्रतिदिन गुजारा भत्ता मिलता है.

अधिकारियों ने बताया कि यह बैठक 25 अगस्त से 25 सितंबर के बीच ब्रू विस्थापितों की घर वापसी की चल रही प्रक्रिया पर उदासीन प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि में हुई थी. इस प्रक्रिया के तहत अबतक सिर्फ तीन परिवार ही मिजोराम लौटे हैं.

हजारों ब्रू परिवार 1997 के अंत से त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे हैं. 21 अक्तूबर को 1997 को दम्पा बाग अभयारण्य में ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादियों ने एक वन गार्ड की हत्या कर दी थी जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव व्याप्त हो गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)