सीबीआई ने कहा है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के बारे में बैंक से जब शिकायत मिली तब तक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भारत छोड़े एक महीना हो चुका था.
नई दिल्ली: सीबीआई ने बीते 15 सितंबर को कहा कि पंजाब नेशनल बैंक के दो अरब रुपये से ज़्यादा के घोटाले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के फ़रार होने में उसके अधिकारियों का कोई हाथ नहीं है.
कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने एजेंसी पर भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर को जान-बूझकर कमज़ोर करने का आरोप लगाया है. बहरहाल, एजेंसी ने कहा है कि फैसला इसलिए किया गया क्योंकि उसे हिरासत में लेने या गिरफ़्तार करने के लिए ठोस वजह नहीं थी.
राहुल गांधी ने ट्वीट कर दावा किया, ‘सीबीआई के संयुक्त निदेशक एके शर्मा ने माल्या के लुकआउट नोटिस को कमज़ोर किया जिससे माल्या भागने में कामयाब रहा. शर्मा गुजरात कैडर के अधिकारी हैं और वह सीबीआई में प्रधानमंत्री के बेहद पसंदीदा हैं. यही अधिकारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के भागने की योजना के प्रभारी थे.’
CBI Jt. Director, A K Sharma, weakened Mallya’s “Look Out” notice, allowing Mallya to escape.
Mr Sharma, a Gujarat cadre officer, is the PM’s blue-eyed-boy in the CBI.
The same officer was in charge of Nirav Modi & Mehul Choksi’s escape plans. Ooops…
investigation!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 15, 2018
सीबीआई ने कहा है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के बारे में बैंक से जब शिकायत मिली तब तक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भारत छोड़े एक महीना हो चुका था.
एजेंसी के एक प्रवक्ता ने बीते 12 सितंबर को जारी विज्ञप्ति में कहा, ‘इसलिए उनके देश से फ़रार होने में सीबीआई के किसी अधिकारी का हाथ होने का सवाल ही नहीं उठता. बैंक से शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने मामले में तुरंत क़दम उठाया.’
मीडिया की कुछ ख़बरों में माल्या के मामले में एके शर्मा का नाम आया है. शर्मा अभी सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक हैं.
शर्मा का बचाव करते हुए सीबीआई ने कहा है कि वह संस्था में तीसरे नंबर पर हैं. सर्कुलर में बदलाव उचित स्तर पर लिया जाता है. यह एक प्रक्रिया के तहत होती है और जैसा कि आरोप लगाया गया है कोई एक अधिकारी अकेले फैसला नहीं ले सकता.
सीबीआई ने अक्टूबर, 2015 में माल्या के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर जारी कर इमिग्रेशन अधिकारियों ने कहा था कि जब वह विदेश से लौटे तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा. कई हफ्तों बाद उसी साल नवंबर में इस सर्कुलर में बदलाव कर गिरफ़्तार करने की जगह संस्था को सिर्फ जानकारी देने की बात कही गई.
मालूम हो कि भारत की ओर से लंदन की अदालत में माल्या के प्रत्यर्पण कराने का केस लड़ा जा रहा है. दो मार्च 2016 को भारत से भागने के बाद माल्या ने ब्रिटेन में शरण ले रखी है.