अपनी ही बात काट रहे हैं ओलांद, राफेल सौदा रद्द करने का सवाल नहीं: जेटली

राफेल सौदे को लेकर एक फेसबुक पोस्ट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है रिलायंस डिफेंस चुनने में भारत और फ्रांस दोनों ही सरकारों की कोई भूमिका नहीं है.

New Delhi: Finance Minister Arun Jaitley speaks during a press conference, in New Delhi, Monday,17 Sep2018. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI9_17_2018_000178B)
New Delhi: Finance Minister Arun Jaitley speaks during a press conference, in New Delhi, Monday,17 Sep2018. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI9_17_2018_000178B)

राफेल सौदे को लेकर एक फेसबुक पोस्ट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है रिलायंस डिफेंस चुनने में भारत और फ्रांस दोनों ही सरकारों की कोई भूमिका नहीं है.

New Delhi: Finance Minister Arun Jaitley speaks during a press conference, in New Delhi, Monday,17 Sep2018. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI9_17_2018_000178B)
वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद इस सौदे पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं.

जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि न भारत और न ही फ्रांस सरकार की डास्सो (Dassault) द्वारा रिलायंस को भागीदार चुनने में कोई भूमिका रही है.

राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान के बाद भारत में भारी राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया. ओलांद ने कहा था कि राफेल लड़ाकू जेट निर्माता कंपनी डास्सो ने आॅफसेट भागीदार के रूप में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इसलिए चुना क्योंकि भारत सरकार ऐसा चाहती थी.

विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उंगली उठाई है और साथ ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की है.

जेटली ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा है कि ओलांद और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान में कुछ जुगलबंदी लगती है.

जेटली ने कहा, ‘मुझे हैरानी है कि 30 अगस्त को राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि राफेल सौदे पर फ्रांस में धमाका होने वाला है. उन्हें इस बारे में कैसे पता चला?’

जेटली ने कहा, ‘हालांकि मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन संदेह पैदा होता है. निश्चित रूप से कुछ है. एक बयान (ओलांद से) आता है, उसके बाद में उसका खंडन आता है. लेकिन उन्होंने (गांधी) 20 दिन पहले ही यह कह दिया था.’

जेटली ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा रद्द करने का सवाल नहीं उठता. यह सौदा देश की रक्षा ज़रूरत को पूरा करने के लिए किया गया है.

जेटली ने कहा, ‘सौदा रद्द करने का कोई प्रश्न नहीं उठता. यह फौज की आवश्यकता है. ये देश में आना चाहिए और ये आएगा. रक्षा बलों को इसकी ज़रूरत है.’

इससे पहले फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का पहला बयान राहुल गांधी ने जो अनुमान जताया था उससे मेल खाता है. उन्होंने कांग्रेस नेता पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सार्वजनिक संवाद करना कोई ‘लाफ्टर चैलेंज’ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘आप जाकर किसी के गले मिलते हैं. उसके बाद आप आंख मारते हैं. 4-6-10 बार झूठ बोलते हैं. आपकी भाषा में बुद्धिमत्ता दिखनी चाहिए. आपत्तिजनक भाषा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ठीक नहीं है.’

जेटली ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान के आधार पर एक विवाद खड़ा किया जाता है. ओलांद ने कहा कि डस्सो एविएशन के साथ रिलायंस डिफेंस की भागीदारी भारत सरकार के सुझाव के तहत की गई.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘उन्होंने (ओलांद) ने बाद में अपने वक्तव्य में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि भारत सरकार ने रिलायंस डिफेंस के लिए कोई सुझाव दिया. भागीदारों का चुनाव ख़ुद कंपनियों ने किया. सच्चाई दो तरह की नहीं हो सकती है.’

हालांकि, बाद में फ्रांस सरकार और डस्सो एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के पहले दिए बयान को गलत ठहराया है.

जेटली ने कहा, ‘फ्रांस सरकार ने कहा है कि डस्सो एविएशन के आॅफसेट क़रार पर फैसला कंपनी ने किया है और इसमें सरकार की भूमिका नहीं है.’

जेटली ने कहा कि डस्सो ख़ुद कह रही है कि उसने आॅफसेट क़रार के संदर्भ में कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ अनेक क़रार किए हैं और यह उसका ख़ुद का फैसला है.

मालूम हो कि वर्ष 2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान ख़रीदने का समझौता किया था. उस समय ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की ख़रीद का ऐलान किया था. करार पर अंतिम रूप से 23 सितंबर 2016 को मुहर लगी थी.

तभी से यह सौदा विवादों के घेरे में है. विपक्षी दलों ने इस सौदे में करोड़ों रुपये का घोटाला होने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस और पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी आरोप लगाते आ रहे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने 36 राफेल विमानों का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी ख़जाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया था कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा इतना बड़ा घोटाला है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.

उन्होंने आरोप लगाया था कि आॅफसेट क़रार के ज़रिये अनिल अंबानी के रिलायंस समूह को ‘दलाली (कमीशन)’ के रूप में 21,000 करोड़ रुपये मिले.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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