आधार एक्ट असंवैधानिक, मनी बिल के रूप में इसे पास करना संविधान के साथ धोखेबाज़ी: जस्टिस चंद्रचूड़

शीर्ष अदालत में पांच जजों की पीठ में से चार ने आधार को संवैधानिक ठहराया, वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक है और इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है.

/

शीर्ष अदालत में पांच जजों की पीठ में से चार ने आधार को संवैधानिक ठहराया, वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक है और इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है.

DY Chandrachud aadhar Allahabad High Court Wiki PTI
(जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (फोटो साभार: इलाहाबाद हाईकोर्ट/विकिपीडिया/पीटीआई)

नई दिल्ली: जहां एक तरफ पांच जजों की पीठ में से चार जजों ने आधार की वैधता को संवैधानिक ठहराया, वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक है और इसे मनी बिल के रूप में इसे पास करना संविधान के साथ फ्रॉड है.

अपने सहयोगी जजों के फैसले के विरोध में फैसला सुनाते हुए चंद्रचूड़ ने कहा, ‘संवैधानिक गारंटी को तकनीकि के उलटफेर से समझौता नहीं किया जा सकता है.’

हालांकि बता दें कि बहुमत के विरोध में दिए गए फैसले (डिसेंटिंग जजमेंट) को कानूनी रूप नहीं दिया जाता है, फिर इससे संभावना होती है कि आने वाले समय में किसी बड़ी पीठ के पास इस मामले को भेजा जा सकता है.

चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम का उद्देश्य वैध है, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें सूचित सहमति और व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त मजबूत सुरक्षा उपाय नहीं हैं.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार के जरिए आम जनता की निगरानी का संभावना है और ये जिस तरीके से तैयार किया गया है उसके डेटाबेस जानकारी लीक होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, ‘डाटा व्यक्ति के साथ हर समय निहित होना चाहिए. प्राइवेट कंपनियों को आधार का उपयोग करने की इजाजत देने से प्रोफाइलिंग हो जाएगी, जिसका इस्तेमाल नागरिकों के राजनीतिक विचारों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है.’

जज ने ये भी कहा कि आधार नहीं होने के कारण सामाजिक कल्याण से जुड़ी योजनाओं से इनकार करना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था.

उन्होंने कहा कि नागरिकों के आंकड़ों की रक्षा के लिए यूआईडीएआई की कोई संस्थागत ज़िम्मेदारी नहीं है, उन्होंने कहा कि मजबूत डेटा संरक्षण प्रदान करने के लिए नियामक तंत्र नहीं है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 110 का उल्लंघन करने के मामले में आधार कानून को खारिज किया जाना चाहिए. इसमें राज्यसभा को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था. आधार कानून को पारित कराने के लिए राज्यसभा को दरकिनार करना एक प्रकार का छल है.

उन्होंने कहा कि आधार कार्यक्रम सूचना की निजता, स्वनिर्णय और डेटा सुरक्षा का उल्लंघन करता है. यूआईडीएआई ने स्वीकार किया है कि वह महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र और जमा करता है औ यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

इन आंकड़ों का व्यक्ति की सहमति के बगैर कोई तीसरा पक्ष या निजी कंपनियां दुरूपयोग कर सकती हैं.

बता दें कि संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस एके सीकरी, मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अशोक भूषण ने आधार को संवैधानिक बताया और कहा कि इस मनी बिल की तरह पास किया जा सकता था.

हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी बिल को मनी बिल की तरह पास किया जाएगा या नहीं, इसके लिए स्पीकर का फैसला ही पर्याप्त नहीं है. अगर ऐसी कोई स्थिति आती है तो फैसले को कोर्च में चुनौती दी जा सकती है.

आधार पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला यहां पढ़ें.

Aadhaar Judgment by on Scribd

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq