बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए मिलने वाला आरक्षण ख़त्म

बीते अप्रैल महीने में छात्र-छात्राओं और बेरोज़गार युवाओं ने ढाका में प्रदर्शन किया था. कई दिनों तक चले प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने आरक्षण ख़त्म करने का आश्वासन दिया था.

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Students protest in Dhaka University demanding a cut in job reservations in civil service exams. Credit: Nabiullah Nabi
Students protest in Dhaka University demanding a cut in job reservations in civil service exams. Credit: Nabiullah Nabi

बीते अप्रैल महीने में छात्र-छात्राओं और बेरोज़गार युवाओं ने ढाका में प्रदर्शन किया था. कई दिनों तक चले प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने आरक्षण ख़त्म करने का आश्वासन दिया था.

Students protest in Dhaka University demanding a cut in job reservations in civil service exams. Credit: Nabiullah Nabi
सरकारी नौकरियों में आरक्षण ख़त्म करने की मांग को लेकर छात्र-छात्राओं ने बीते अप्रैल महीने में ढाका में प्रदर्शन किया था. (फोटो: नबीउल्लाह नबी)

ढाका: बांग्लादेश ने सिविल सेवा की नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था को बीते बुधवार को समाप्त कर दिया. इस आरक्षण व्यवस्था के ख़िलाफ़ पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे.

कैबिनेट ने दशकों से चली आ रही नीति को समाप्त किए जाने की घोषणा की. इस नीति के तहत आधी से ज़्यादा सरकारी नौकरियां देश के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के बच्चों और वंचित जातीय अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं.

कैबिनेट सचिव मोहम्मद शफीउल आलम ने कहा कि लोक सेवा के शीर्ष स्तरीय पदों के लिए कोटा व्यवस्था पूरी तरह से ख़त्म होगी लेकिन निचले स्तर पर कुछ आरक्षण रहेगा.

उन्होंने कहा कि सबसे अधिक मांग वाली नौकरियों के लिए भर्ती केवल परीक्षा द्वारा होगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकारी आदेश इसी सप्ताह जारी किया जाएगा.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अभी की आरक्षण व्यवस्था के तहत सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत कोटा स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों, महिला, जातीय अल्पसंख्यक, शारीरिक रूप से अक्षम और पिछड़े ज़िलों के नागरिकों के लिए था. प्रदर्शनकारियों की मांग इसे घटाकर 10 प्रतिशत करने की थी.

मालूम हो कि विवादास्पद कोटा व्यवस्था के ख़िलाफ़ बीते अप्रैल में हज़ारों छात्र-छात्राओं और बेरोज़गार युवाओं ने राजधानी ढाका में कई रैलियां आयोजित कर प्रदर्शन किया था. इसे प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के एक दशक लंबे कार्यकाल में हुआ सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जाता है.

इन प्रदर्शनों की वजह से तकरीबन 16 करोड़ की आबादी वाले इसे मुस्लिम बहुल देश की जनजीवन थम गया था. प्रदर्शनकारियों ने ढाका के सभी मुख्य मार्गों पर चक्काजाम कर दिया. इन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग घायल भी हुए थे.

छात्र-छात्राओं ने ढाका विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के घर पर हमला भी कर दिया था. राजधानी ढाका में बीते आठ अप्रैल को छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू किया था, जिसके तकरीबन चार दिन बाद 12 अप्रैल को प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने संसद को संबोधित करते हुए कहा था, ‘आरक्षण व्यवस्था को ख़त्म किया जाएगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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