मौद्रिक नीति समीक्षा: रिज़र्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को घटाया, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया है.

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Mumbai: RBI Governor Urjit Patel (2nd L) with deputy governors arrive for a post-monetary policy press conference, in Mumbai, Friday, Oct 5, 2018. (PTI Photo/Shirish Shete) (PTI10_5_2018_000090B)
Mumbai: RBI Governor Urjit Patel (2nd L) with deputy governors arrive for a post-monetary policy press conference, in Mumbai, Friday, Oct 5, 2018. (PTI Photo/Shirish Shete) (PTI10_5_2018_000090B)

रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया है.

Mumbai: RBI Governor Urjit Patel (2nd L) with deputy governors arrive for a post-monetary policy press conference, in Mumbai, Friday, Oct 5, 2018. (PTI Photo/Shirish Shete) (PTI10_5_2018_000090B)
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल व अन्य. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: रिज़र्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम में असामान्य रूप से नरमी को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को घटाया है.

केंद्रीय बैंक ने चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति में कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है. इसको देखते हुए इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई दर वृद्धि अनुमान को कम किया गया है.

उसने कहा, ‘वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महंगाई दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में 3.9 से 4.5 प्रतिशत तथा 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके ऊपर जाने का कुछ जोखिम है.’

रिज़र्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआई ने एक बयान में कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ की जगह ‘सधे ढंग से सख्त करने’ के अनुरूप है. इसका मकसद वृद्धि को समर्थन देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत रखने के लक्ष्य को हासिल करना है.’

एमपीसी ने मध्यम अवधि में सकल मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर रखने की प्रतिबद्धता दोहरायी है. अगर आवास किराया भत्ता (एचआरए) को ध्यान में नहीं रखा जाता है, आरबीआई का अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर और नीचे आएगी.

आरबीआई के अनुसार अगर एचआरए प्रभाव को हटा दिया जाए तो सीपीआई मुद्रास्फीति 2018-19 की दूसरी तिमाही में 3.7 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 3.8 से 4.5 प्रतिशत तथा 2019-20 की पहली तिमाही में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

शीर्ष बैंक ने यह भी कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती से भी खुदरा महंगाई दर नरम होगी. आरबीआई के अनुसार हालांकि वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव का मुद्रास्फीति परिदृश्य पर नकारात्मक प्रभाव जारी है.

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बिजली के दाम बढ़ने के साथ कच्चे माल की लागत में तीव्र वृद्धि से वस्तुओं एवं सेवाओं के खुदरा मूल्य का भार आगे बढ़ाने का जोखिम है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर अगले कुछ महीनों में नजर रखने की जरूरत है क्योंकि इसके ऊपर जाने को लेकर कई जोखिम बने हुए हैं.

पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

रिज़र्व बैंक की नीति की मुख्य बातें

    •  रिज़र्व बैंक ने मुख्य नीतिगत दर (रेपो) को 6.50 प्रतिशत पर कायम रखा.
    •  रिवर्स रेपो दर 6.25 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत तथा सीआरआर 4 प्रतिशत पर.
    •  खुदरा मुद्रास्फीति के अक्टूबर-मार्च के दौरान बढ़कर 3.8 से 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान.
    •  चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर कायम रखा.
    •  वैश्विक आर्थिक गतिविधियां असमतल हैं, परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता.
    •  पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से खुदरा मुद्रास्फीति कम होगी.
    •  तेल कीमतों में बढ़ोतरी से खर्च योग्य आय पर असर पड़ेगा, कंपनियों का मुनाफा मार्जिन भी प्रभावित होगा.
    •  कच्चे तेल की कीमतों के और ऊपर जाने का दबाव.
    •  वैश्विक, घरेलू वित्तीय परिस्थितियां सख्त, निवेश गतिविधियां प्रभावित होंगी.
    •  केंद्र और राज्यों के स्तर पर राजकोषीय लक्ष्यों से चूक से मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर असर होगा. साथ ही इससे बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा.
    •  अगले कुछ माह के दौरान मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर नजदीकी नजर रखने की जरूरत. इसके ऊपर की ओर जाने के कई जोखिम.
    •  व्यापार का लेकर तनाव, उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल के बढ़ते दाम और सख्त होती वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों की वजह से वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर जोखिम.
    •  केंद्रीय बैंक ने घरेलू वृहद आर्थिक बुनियाद को और मजबूत करने पर जोर दिया.
    • एमपीसी की अगली बैठक 3-5 दिसंबर को.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)