यूपी के मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं हैं. इसलिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकायुक्त के दायरे में लाने की जरूरत है.

/
Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath talks on a phone during an event, in Lucknow on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (PTI8_6_2018_000127B)
योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं हैं. इसलिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकायुक्त के दायरे में लाने की जरूरत है.

Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath talks on a phone during an event, in Lucknow on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (PTI8_6_2018_000127B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है वह कानून में संशोधन कर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय को लोकायुक्त के दायरे में लाए.

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1975 की मौजूदा स्थिति लोकायुक्त को पर्याप्त शक्तियां नहीं देतीं हैं, जिस उद्देश्य और लक्ष्य के लिए इसे बनाया गया था.

वकील शिव कुमार त्रिपाठी की तरफ से दायर जनहित याचिका में 43 साल पुराने कानून को संशोधित करने का निर्देश देने की मांग की गई है जिससे भ्रष्टाचार की गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री को इसके दायरे में लाया जा सके.

याचिका में कहा गया, ‘उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त किसी भी भ्रष्ट कार्यवाही में मुख्यमंत्री को पक्षपात, भाई-भतीजावाद या अक्षुणता दिखाने में विफल रहने की स्थिति में मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए मुख्यमंत्री को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकायुक्त के दायरे में लाने की जरूरत है.’

याचिका में यह मांग भी की गई है कि राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों, निजी संस्थानों, समितियों, बोर्डों, आयोग, प्रदेश के कानूनों के तहत आने वाले प्रतिष्ठानों को भी लोकायुक्त अधिनियम के दायरे में लाने का निर्देश दिया जाए.

लोकायुक्त के लिए जांच और जब्त करने की शक्ति मांगने के अलावा, याचिका में कहा गया है कि लोकपाल को जांच के लिए राज्य पुलिस पर प्रशासनिक नियंत्रण भी प्रदान किया जाना चाहिए.

याचिका में कहा गया, ‘लोकायुक्त/उप-लोकायुक्त को स्वतंत्र पुलिस फोर्स दिया जाना चाहिए जो सीधे उनके प्रशासनिक नियंत्रण में होगा. यूपी लोकायुक्त की शक्तियां भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की जांच के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि उन्हें पुलिस अधिकारियों पर निर्भर होना पड़ता है, जो कि राज्य सरकार के नियंत्रण में हैं.’

याचिका में यह भी कहा गया है कि आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए ताकि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी लोकायुक्त के समक्ष सभी संपत्तियों और देनदारियों की वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत कर सकें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)