असम फ़र्जी एनकाउंटर: पांच युवाओं की हत्या मामले में सात सैनिकों को उम्रकैद

असम के तिनसुकिया ज़िले में 1994 में यह एनकाउंटर हुआ था. आर्मी कोर्ट द्वारा सजा पाने वालों में एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिक शामिल हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

असम के तिनसुकिया ज़िले में 1994 में यह एनकाउंटर हुआ था. आर्मी कोर्ट द्वारा सजा पाने वालों में एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिक शामिल हैं.

Pallanwal: Army soldiers patrol near the highly militarized Line of Control dividing Kashmir between India and Pakistan, in Pallanwal sector, about 75 kilometers from Jammu on Tuesday.PTI Photo(PTI10_4_2016_000284B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: पूर्व मेजर जनरल एके लाल सहित सात सैन्यकर्मियों को आर्मी कोर्ट ने 24 साल पुराने असम में पांच युवाओं के फर्जी एनकाउंटर मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है.

उम्रकैद की सजा पाने वालों में मेजर जनरल एके लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, आरएस सिबिरेन, दिलीप सिंह, कैप्टन जगदेव सिंह, नायक अलबिंदर सिंह और नाइक शिवेंद्र सिंह शामिल हैं.

दरअसल, असम के तिनसुकिया जिले में 1994 में यह एनकाउंटर हुआ था. जिसमें सभी आरोपी सेना के अफसरों का कोर्ट मार्शल हुआ.

18 फरवरी 1994 में एक चाय बागान के एक्जेक्यूटिव की हत्या की आशंका पर सेना ने नौ युवाओं को तिनसुकिया जिले से पकड़ा था. इस मामले में बाद में सिर्फ चार युवा ही छोड़े गए थे, बाकी लापता चल रहे थे.

इस पर पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता जगदीश भुयन ने हाई कोर्ट के सामने याचिका के जरिए इस मामले को उठाया था. उस वक्त सैन्यकर्मियों ने फर्जी एनकाउंटर में पांच युवाओं को मार गिराते हुए उन्हें उल्फा उग्रवादी करार दिया था. जगदीश भुयान ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में 22 फरवरी को उसी वर्ष याचिका लगा कर गायब युवाओं के बारे में जानकारी मांगी.

हाई कोर्ट ने भारतीय सेना को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के सभी नेताओं को नजदीकी पुलिस थाने में पेश करने का आदेश दिया. जिस पर सेना ने धौला पुलिस स्टेशन पर पांच युवाओं का शव पेश किया. जिसके बाद सैन्य कर्मियों का 16 जुलाई से कोर्ट मार्शल शुरू हुआ और 27 जुलाई को निर्णय कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया.

सजा की घोषणा शनिवार को हुई. यह जानकारी सेना के सूत्रों ने रविवार को दी. भुयन ने कहा, ‘इस फैसले से अपने न्यायतंत्र, लोकतंत्र और सेना में अनुशासन और निष्पक्षता में भरोसा और मजबूत हुआ है.’

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