समय बीतता जा रहा है, पेपर ट्रेल के लिए तुरंत धन जारी करे केंद्र: चुनाव आयोग

मुख्य चुनाव आयुक्त ने सरकार से आग्रह किया है कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समयबद्ध खरीद के लिए तुरंत धन जारी करे ताकि लोकसभा चुनाव में इन मशीनों को उपयोग में लाया जा सके.

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मुख्य चुनाव आयुक्त ने मौजूदा माहौल का हवाला देते हुए सरकार से आग्रह किया है कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समयबद्ध खरीद के लिए तुरंत धन जारी करे ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन मशीनों को उपयोग में लाया जा सके.

Election Commission PTI
निर्वाचन आयोग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखे ताज़ा पत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने यह भी कहा कि अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आयोग को वह समयसीमा बताने का निर्देश दिया है जिसके भीतर वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीन की पूरी प्रणाली अमल में लाई जाएगी.

ज़ैदी  ने स्पष्ट नहीं किया कि मौजूदा माहौल से उनका क्या तात्पर्य है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह विपक्ष की ओर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने का हवाला दे रहे थे.

बसपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गड़बड़ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. देश के 16 दलों ने हाल ही में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मत पत्र वाली व्यवस्था फिर शुरू करने का आग्रह किया था.

अपने पत्र में ज़ैदी ने यह याद दिलाया था कि वह पहले ही सरकार को सूचित कर चुके हैं कि वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए ऑर्डर फरवरी, 2017 तक नहीं दिया गया तो सितंबर, 2018 तक इसकी आपूर्ति के लिए विनिर्माण मुश्किल होगा.

2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को सभी मतदान केंद्रों को कवर करने के लिए 16 लाख से अधिक पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी. इस पर 3,174 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है.

बीते 22 मार्च को कानून मंत्री को लिखे पत्र में ज़ैदी ने कहा कि आयोग ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि ज़रूरी संख्या में वीवीपीएटी को निर्माण के लिए धन जारी किए जाने से 30 महीने के भीतर विनिर्माण किया जा सकता है.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज़ैदी ने कहा, ‘वीवीपीएटी की खरीद की प्रक्रिया में मौजूदा माहौल को देखते हुए देर नहीं की जा सकती… आयोग भविष्य के चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपीएटी मुहैया कराने को प्रतिबद्ध है ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके, मतदाता की निष्ठा को सुरक्षित रखा जा सके और मतदान की प्रक्रिया में मतदाताओं के भरोसे को बढ़ाया जा सके.’

चुनाव आयोग जून, 2014 से वीवीपीएटी के बारे में सरकार को कम से कम 11 बार याद दिला चुका है. पिछले साल नसीम ज़ैदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संदर्भ में पत्र लिखा था.

बीते सात अप्रैल को कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, वीवीपीएटी के संदर्भ में चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है.

वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल (वीवीपीएटी)

भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय के अनुसार, मतदाता पावती रसीद यानी वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी या वीवी पैट) मतपत्र रहित मतदान प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को फीडबैक देने का तरीका है. इसका उद्देश्य इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की स्वतंत्र पुष्टि है.

यह व्यवस्था मतदाता को इस बात की पुष्टि करने की अनुमति देती है कि उसकी इच्छानुसार मत पड़ा है या नहीं. इसे वोट बदलने या वोटों को नष्ट करने से रोकने के अतिरिक्त उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

वीवीपीएटी के तहत प्रिंटर की तरह का एक उपकरण इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा होता है. जब वोट डाला जाता है तब इसकी एक पावती रसीद निकलती है इस पावती पर क्रम संख्या, नाम और उम्मीदवार का चुनाव चिह्न दर्शाया जाता है.

यह उपकरण वोट डाले जाने की पुष्टि करता है और इससे मतदाता ब्योरों की पुष्टि कर सकता है. रसीद एक बार दिखने के बाद ईवीएम से जुड़े कंटेनर में चली जाती है. दुर्लभतम मामलों में केवल चुनाव अधिकारी की ही इस तक पहुंच हो सकती है.

यह प्रणाली पहली बार प्राप्त रसीद के आधार पर मतदाता को अपने वोट को चुनौती देने की अनुमति देती है. नए नियम के अनुसार मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी को मतदाता की अस्वीकृति दर्ज करनी होगी और इस अस्वीकृति को गिनती के समय ध्यान में रखना होगा.

वीवीपीएटी प्रणाली का निर्माण ईवीएम पर संदेहों के कारण नहीं बल्कि प्रणाली को उन्नत बनाने के हिस्से के रूप में हुआ था.