महाराष्ट्र: एचआईवी पॉज़िटिव होने के चलते नौकरी से निकाली गई महिला की नौकरी बहाल

पुणे की एक फार्मा कंपनी द्वारा तीन साल पहले एचआईवी पॉज़िटिव होने की वजह से महिला कर्मचारी का इस्तीफ़ा मांगा गया था. श्रम अदालत ने उनकी नौकरी बहाल करते हुए कंपनी को बीते 3 सालों का वेतन और सुविधाएं देने का आदेश दिया है.

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फोटो: पीटीआई

पुणे की एक फार्मा कंपनी द्वारा तीन साल पहले एचआईवी पॉज़िटिव होने की वजह से महिला कर्मचारी का इस्तीफ़ा मांगा गया था. श्रम अदालत ने उनकी नौकरी बहाल करते हुए कंपनी को बीते 3 सालों का वेतन और सुविधाएं देने का आदेश दिया है.

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पुणे: पुणे की एक श्रम अदालत ने एचआईवी होने की वजह से नौकरी से निकाली गई महिला को वापस नौकरी पर रखने और उसकी कंपनी को महिला को अभी तक का सारा वेतन देने का आदेश दिया है.

करीब तीन वर्ष पहले एचआईवी संक्रमण होने के बाद कंपनी ने महिला से जबरन इस्तीफा लिया था.

श्रम अदालत की पीठासीन अधिकारी कल्पना फटांगरे ने सोमवार को यह आदेश सुनाते हुए फार्मास्युटिकल कंपनी से महिला की नौकरी बहाल करने और उसका अभी तक का पूरा वेतन देने और अन्य लाभ मुहैया कराने को कहा.

अदालत में दी जानकारी के अनुसार महिला के चिकित्सीय लाभ हासिल करने के लिए बीमारी के दस्तावेज कंपनी में जमा कराने के बाद वर्ष 2015 में उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इस महिला ने बताया, ‘अपने मेडिकल क्लेम के लिए मुझसे एक दस्तावेज जमा करने को कहा गया था, जब मैंने वो दिया तो उन्होंने मुझसे एचआईवी के बारे में पूछा. मैंने उन्हें बताया कि मुझे यह मेरे पति से हुआ और 30 मिनट के अंदर दबाव बनाकर मुझसे इस्तीफ़ा ले लिया गया. मैं वहां 5 साल से काम कर रही थी.’

हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी द्वारा उन्हें हटाने की वजह एचआईवी कही गई थी, लेकिन कागज पर उनके ‘अनुपस्थित’ रहने की बात लिखी थी.

वकील विशाल जाधव के जरिए महिला ने अदालत का रुख किया था.

लेबर कोर्ट के फैसले के बाद उनके वकील विशाल जाधव ने बताया’,अदालत ने पाया कि किसी भी कर्मचारी को एचआईवी पॉजिटिव होने के चलते काम से नहीं निकाला जा सकता. नौकरी से निकलने के लिए कोई कानूनी आधार होना चाहिए, जैसा इस मामले में नहीं था. परिणामस्वरूप कंपनी को मेरी मुवक्किल की उसी पद पर नौकरी बहाल करने और पिछले वेतन देने का आदेश दिया गया.’

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया, ‘अब जब अदालत ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है, तब कंपनी को या तो ये आदेश मानना होगा, या इसे चुनौती देनी होगी. हम इस केस को आखिर तक लड़ने के लिए दृढ़ हैं.’

जाधव ने बताया कि महिला को एचआईवी होने की बात पता चलने के बाद एचआर अधिकारियों ने उस पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला, जबकि महिला ने कई बार कहा कि वे काम करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं और काम करते समय सभी एहतियात बरत रही हैं.

महिला ने अदालत से कहा कि वह विधवा हैं और उन्हें नौकरी की जरूरत है. उनके आवेदन में कहा गया था कि उसे नौकरी, सामाजिक,आर्थिक सहयोग और गैर पक्षपातपूर्ण रवैये की आवश्यकता है, लेकिन महिला के एचआईवी संक्रमित होने के बाद कंपनी ने उसके साथ भेदभाव किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)