गंगा सफाई के लिए आंदोलन कर रहे संत गोपाल दास लापता, चार दिन बाद भी कोई जानकारी नहीं

संत गोपाल दास पिछले 24 जून से आंदोलनरत हैं और इस दौरान तबियत बिगड़ने पर उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. गोपाल दास के सहयोगियों का आरोप है कि वे लापता नहीं हुए हैं बल्कि उन्हें लापता कराया गया है.

संत गोपाल दास. (फोटो साभार: फेसबुक)

संत गोपाल दास पिछले 24 जून से आंदोलनरत हैं और इस दौरान तबियत बिगड़ने पर उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. गोपाल दास के सहयोगियों का आरोप है कि वे लापता नहीं हुए हैं बल्कि उन्हें लापता कराया गया है.

संत गोपाल दास. (फोटो साभार: फेसबुक)
संत गोपाल दास. अस्पताल प्रशासन ने इनके दोनों हाथ बांध दिए थे ताकि वे भोजन वाली नली को न निकाल पाएं. (फोटो साभार: फेसबुक)

देहरादून: गंगा संरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे संत गोपाल दास को लापता हुए चार दिन बीत जाने के बावजूद अब तक उनकी कोई खबर नहीं मिली है. देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने कहा, ‘हम उनकी तलाश कर रहे हैं और उनके बारे मे अब तक कुछ पता नहीं चला है.’

उन्होंने कहा कि अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि आंदोलनकारी बुधवार की शाम खुद ही कहीं चले गए.

गंगा संरक्षण को लेकर संत गोपाल दास पिछले 24 जून से आंदोलनरत हैं और इस दौरान तबियत बिगड़ने पर उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पडा. हाल ही में उन्हें सरकारी दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

दून अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक केके तम्ता ने गुरुवार को बताया था, ‘उन्हें 4-5 दिसंबर की आधी रात को यहां एक शख्स द्वारा भर्ती कराया गया था जिसने कहा था कि वो गोपाल दास का सहयोगी है. हालांकि उन्होंने बुधवार की रात को 8.30 बजे के करीब हास्पिटल छोड़ दिया था और हास्पिटल के स्टाफ ने बताया कि वो लापता हो गए हैं.’

संत गोपाल दास उत्तराखंड के मातृ सदन संस्था में रहते थे. मातृ सदन का कहना है गोपाल दास लापता नहीं हुए हैं उन्हें लापता किया गया है. सदन के एक सदस्य दयानंद ने कहा, ‘पूरे मामले में सरकार गोपनीयता बरत रही है. हमें नहीं पता है कि स्वामी जी कहां हैं. ये अभूतपूर्व चुप्पी है. हमें किसी बड़ी अनहोनी की आशंका है.’

मातृ सदन के लोगों का कहना है कि हमें इस बात का प्रमाण नहीं मिला है कि उन्हें उत्तराखंड कैसे लाया गया, लाया गया भी या नहीं. दयानंद का कहना है कि जिस दिन संत गोपाल दास को एम्स दिल्ली से उत्तराखंड शिफ्ट कराया जाना था उस समय उनके साथ हॉस्पिटल में रहने वाले लोगों को साथ नहीं आने दिया गया था.

पुलिस और दून अस्पताल प्रशासन का दावा है कि दास को उनके एक सहयोगी द्वारा अस्पताल लाया गया था. हालांकि कार्यकर्ताओं और सहयोगियों का कहना है कि गोपाल दास को एम्स प्रशासन के किसी व्यक्ति द्वारा लाया गया था. दिल्ली के एम्स ने ये स्पष्ट किया है कि उन्हें बीते चार दिसंबर को यहां से डिस्चार्ज कर दिया गया था.

हालांकि ये मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एमके ओहरी और जस्टिस हिमा कोहली की डिविजन बेंच ने बीते गुरुवार को एम्स दिल्ली और दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि वे दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर उस पूरे घटनाक्रम को बताएं कि किस तरह से संत गोपाल दास को डिस्चार्ज किया गया था.

प्रवीन सिंह नाम के एक शख्स द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने ये भी बताने के लिए कहा है कि उन्हें क्यों डिस्चार्ज किया गया जब उन्हें देहरादून के अस्पताल में भर्ती कराना था और गोपाल दास के साथ एम्स दिल्ली से देहरादून तक कौन गया था.

संत गोपाल दास के सहयोगियों का ये भी आरोपी है कि जिस दिन से उन्हें दिल्ली के एम्स से डिस्चार्ज किया गया था उसी दिन से उनका फोन स्विच ऑफ या कवरेज एरिया से बाहर बता रहा है.

बता दें कि बीते 11 अक्टूबर को प्रख्यात पर्यावरणविद और 112 दिनों तक गंगा सफाई के लिए आमरण अनशन करने वाले प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का निधन हो गया था. अग्रवाल ने गंगा सफाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन बार पत्र लिखा था लेकिन उन्होंने एक बार भी जवाब नहीं दिया.

जीडी अग्रवाल भी मातृ संदन संस्था के सदस्य थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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