भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी. कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव ने भी मंत्री पद की शपथ ली.

भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. (फोटो साभार: ट्विटर/CMO Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी. कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव ने भी मंत्री पद की शपथ ली.

भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. (फोटो साभार: ट्विटर/CMO Chhattisgarh)
भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. (फोटो साभार: ट्विटर/CMO Chhattisgarh)

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रायपुर के बलबीर जुनेजा इंडोर स्टेडियम में भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. बघेल ने हिंदी में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली.

बघेल के साथ उनके सहयोगी ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव ने भी मंत्री पद की शपथ ली. सिंहदेव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. वह अंबिकापुर से विधायक हैं. वहीं ताम्रध्वज साहू पिछड़ा वर्ग के वरिष्ठ नेता हैं एवं दुर्ग ग्रामीण सीट से विधायक हैं. साहू दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद भी हैं.

भूपेश बघेल कांग्रेस के एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ में पार्टी को मज़बूत बनाने का काम किया. कांग्रेस ने पिछले 15 वर्षों से सत्तारूढ़ रही भाजपा को सत्ता से हटाया. कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत दिलाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की बड़ी भूमिका रही है.

राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाला कुर्मी समुदाय प्रभावशाली माना जाता है. राज्य की कुल आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी 14 फीसदी है. 57 वर्षीय भूपेश बघेल भूपेश बघेल राज्य के इसी बहुसंख्यक कुर्मी समाज से आते हैं, जो राज्य की राजनीति में काफी दख़ल रखता है.

बघेल ने वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था और पांच वर्ष तक वह लगातार मेहनत करते रहे. इन पांच वर्षों के मेहनत के बाद कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में सफल रही है.

राज्य में भूपेश बघेल की छवि तेज़तर्रार नेता की है जिन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के साथ मिलकर लगातार हार के कारण निराश संगठन में फिर से नई जान फूंकी.

बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 में दुर्ग ज़िले के सभ्रांत किसान परिवार में हुआ. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 80 के दशक में की थी. वह लगातार कांग्रेस के कार्यक्रमों और आंदालनों में शामिल होते रहे.

बघेल के कार्यों को देखकर पार्टी ने 1993 में उन्हें टिकट दिया और वह पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत गए. बाद में वह 1998 और 2003 में भी क्षेत्र से विधायक रहे. वर्ष 2008 में वह चुनाव हार गए थे. इस चुनाव में भाजपा के विजय बघेल ने उन्हें हराया था.

हार के बाद बघेल को वर्ष 2009 में रायपुर लोकसभा सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया लेकिन वह रमेश बैस से चुनाव हार गए. बघेल पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया और वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत मिली. इस वर्ष (2018 में) हुए चुनाव में बघेल ने पाटन विधानसभा सीट से जीत हासिल की है.

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायण सामी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ नेता शरद यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा, छत्तीसगढ़ के निवर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कांग्रेस के विधायक, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे.

भूपेश बघेल: छत्तीसगढ़ में दिखाया फर्श से कांग्रेस को अर्श तक पहुंचाने का माद्दा

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को फर्श से अर्श तक पहुंचाने का माद्दा दिखाने वाले भूपेश बघेल ने राज्य की बागडोर संभाल ली है. पिछले 15 बरसों से राज्य में जीत के लिए नरस रही कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत दिलाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की बड़ी भूमिका रही.

बघेल ने ऐसे समय पर कांग्रेस का राजनीतिक वनवास दूर किया है जब पांच साल पहले एक भीषण नक्सली हमले में राज्य कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो गया था.

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के दौरान भूपेश लगातार विवादों में रहे, लेकिन जनता की नज़र में कांग्रेस में वह एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ और ख़ासकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था.

वर्ष 2013 में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव होना था तब कांग्रेस की कमान नंद कुमार पटेल के हाथ में थी. पटेल को कांग्रेस का तेज़तर्रार नेता माना जाता था.

पटेल ने जनता के मत को भांप कर परिवर्तन यात्रा की शुरू की थी. इस यात्रा के दौरान 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सली हमले में पटेल समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की मृत्यु हो गई.

ऐसे में जब कांग्रेस की प्रथम पंक्ति मारी जा चुकी थी और राज्य में भाजपा ने एक बार फिर से सरकार बना ली थी, तब दिसंबर 2013 में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की ज़िम्मेदारी बघेल को सौंपी थी.

यह ऐसा समय था जब कांग्रेस के कायकर्ता निराश थे. वर्ष 2014 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तब कांग्रेस को यहां लाभ नहीं हुआ और मोदी लहर के कारण कांग्रेस यहां 11 में से 10 सीटों पर हार गई.

लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल पर भरोसा जताया और पांच वर्ष तक वह लगातार मेहनत करते रहे. भूपेश के सामने इस दौरान पार्टी के भीतर ही सबसे बड़ी चुनौती थी. यह चुनौती थी उनके पुराने प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी.

राज्य निर्माण के बाद जब यहां अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तब भूपेश राजस्व मंत्री बनाए गए. जोगी और बघेल के मध्य विवाद होता रहा. वर्ष 2013 में भूपेश के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जोगी ने इसका सबसे अधिक विरोध किया था.

जब वर्ष 2015-16 में अंतागढ़ उपचुनाव को लेकर कथित सीडी का मामला हुआ तब अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसे भूपेश बघेल की बड़ी जीत के रूप में देखा गया.

बाद में अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नाम से नई का पार्टी का गठन कर लिया. भूपेश बघेल इस पार्टी को हमेशा भाजपा की ‘बी’ टीम कहते रहे हैं.

जोगी पिता-पुत्र के पार्टी से बाहर जाने के बाद भी भूपेश बघेल के लिए परेशानी कम नहीं हुई और वह लगातार अपने ही विधायकों और नेताओं से लड़ते रहे. हालांकि इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का साथ भी उन्हें मिलता रहा.

इधर सरकार के मुखर विरोधी होने के कारण भूपेश बघेल को कठिनाई का सामना करना पड़ा. बघेल, उनकी पत्नी और मां के ख़िलाफ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा में मामला दर्ज हुआ तब बघेल परिवार समेत गिरफ़्तारी देने इस शाखा के दफ़्तर में पहुंच गए.

बघेल लगातार राज्य सरकार के ख़िलाफ़ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर आंदोलन करते रहे. वह भ्रष्ट्राचार, चिटफंड कंपनी और किसानों के मुद्दे उठाते रहे और पीडीएस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह और उसके परिवार पर लगातार निशाना साधते रहे.

इस दौरान उन्होंने पनामा पेपर का मामला उठाया और मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र को भी घेरने की कोशिश की.

इस बीच, विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. पिछले वर्ष जब राज्य के लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत का कथित अश्लील सीडी का मामला सामने आया तब वह पत्रकार विनोद वर्मा के साथ खड़े हो गए. वर्मा को राज्य की पुलिस ने सीडी मामले में गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था.

इस मामले में भूपेश बघेल के ख़िलाफ़ भी अपराध दर्ज हुआ और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. मामला जब अदालत में पहुंचा तब बघेल ने ज़मानत नहीं लेकर जेल जाना पसंद किया. उन्होंने जनता को यह बताने की कोशिश की कि सरकार के ख़िलाफ़ लड़ाई की वजह से वह जेल भेजे गए हैं.

राज्य में भूपेश बघेल की छवि कांग्रेस के तेज़तर्रार नेता की है जिन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव के साथ मिलकर लगातार हार के कारण निराश संगठन में फिर से नई जान फूंकी.

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