हिजाब के चलते परीक्षा की अनुमति न देने पर यूजीसी को अल्पसंख्यक आयोग का नोटिस

नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया की एक छात्रा उमैया ख़ान को हिजाब पहनने की वजह से यूजीसी नेट-परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी.

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उमैया (फोटो: एएनआई ट्वीट)

नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया की एक छात्रा उमैया ख़ान को हिजाब पहनने की वजह से यूजीसी नेट-परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी.

उमैया (फोटो: एएनआई ट्वीट)
उमैया (फोटो: एएनआई ट्वीट)

नई दिल्ली: दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को एक नोटिस जारी करके पूछा है कि हिजाब पहनने वाली छात्रा को यूजीसी-नेट परीक्षा देने की अनुमति क्यों नहीं दी गई. जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा उमैया ख़ान ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि उन्हें हिजाब पहनने की वजह से परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी.

उमैया ने दावा किया था जब 20 दिसंबर को वो नेट-जेआरएफ की परीक्षा देने नई दिल्ली के रोहिणी स्थित ओजस टेक्निकल इंस्टिट्यूट पहुंचीं, तो उन्हें परीक्षा में बैठने से पहले हिजाब उतारने को कहा गया.

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने यूजीसी सचिव को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘यह धार्मिक अल्पसंख्यक के खिलाफ भेदभाव का स्पष्ट मामला है और उसे मुख्यधारा से दूर रखने का एक प्रयास है.’

आयोग ने केरल हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘हिजाब पहनकर परीक्षा न देने की नियम का कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है. केरल उच्च न्यायालय हिजाब (सिर पर स्कार्फ और पूरी आस्तीन के कपड़े) पहने मुस्लिम महिलाओं को परीक्षा देने की इज़ाज़त दे चुका है.’

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश जारी करके कहा था कि मुस्लिम और सिख महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए.

आयोग के एक अधिकारी ने बताया, ‘दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने यूजीसी के सचिव से पूछा है कि क्यों भेदभाव होने दिया गया और हिजाब पहनी मुस्लिम महिला को नेट परीक्षा देने से रोककर की गई नाइंसाफी को वे कैसे ठीक करेंगे और भविष्य में इस तरह की नाइंसाफी का दोहराव रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम का कहना है कि आयोग ने पिछले महीने आदेश जारी कर मुस्लिम और सिख महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का सम्मान करने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किए हैं.

मालूम हो कि इसी तरह की एक घटना गोवा में सामने आई थी, जहां एक 24 वर्षीय छात्रा सफ़ीना ख़ान सौदागर ने आरोप लगाया था कि उन्होंने हिजाब उतारने से मना किया तो अधिकारियों ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी.

सफ़ीना ने आरोप लगाया था कि जब वह 18 दिसंबर को पणजी में परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं, तो वहां के पर्यवेक्षक ने उन्हें अपना हिजाब उतारने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)