गुजरात: स्कूल में हाजिरी के समय बच्चों को ‘यस सर’ के बजाय कहना होगा ‘जय हिंद-जय भारत’

राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बचपन से छात्रों के बीच देशभक्ति को बढ़ावा देना है.

Allahabad: Children attend a class at a Government school on the occasion of 'World Literacy Day', in Allahabad, Saturday, Sept 8, 2018. (PTI Photo) (PTI9_8_2018_000090B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बचपन से छात्रों के बीच देशभक्ति को बढ़ावा देना है.

Allahabad: Children attend a class at a Government school on the occasion of 'World Literacy Day', in Allahabad, Saturday, Sept 8, 2018. (PTI Photo) (PTI9_8_2018_000090B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: गुजरात में स्कूल के छात्र एक जनवरी से हाजिरी (अटेंडेंस) के समय ‘यस सर’ और ‘प्रजेंट सर’ के बजाय ‘जय हिंद’ या ‘जय भारत’ कहेंगे. बीते सोमवार को सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि बच्चों में देशभक्ति जगाने के लिए ये नियम लागू किए जाएं.

प्राथमिक शिक्षा निदेशालय और गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (जीएसएचएसईबी) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सरकारी, अनुदान प्राप्त और स्व-वित्तपोषित स्कूलों में कक्षा एक से 12 के छात्रों को एक जनवरी से अटेंडेंस के वक्त ‘जय हिंद’ या ‘जय भारत’ कहना होगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि इसका उद्देश्य बचपन से छात्रों के बीच देशभक्ति को बढ़ावा देना है. एक जनवरी से इसे लागू करने के निर्देश के साथ अधिसूचना की प्रतियां जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजी गई हैं.

अधिसूचना के अनुसार, सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने यह फैसला लिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चूड़ास्मा जालोर जिले के एक इतिहास शिक्षक संदीप जोशी से प्रेरित होकर ये फैसला लिया है. जोशी ने अपने छात्रों पर अटेंडेंस के समय ‘जय हिंद’ और ‘जय भारत’ कहने का नियम लागू किया था.

इस बात को लेकर हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा शिक्षा में उनके काम के लिए सराहा गया था.

चूड़ास्मा ने कहा, ‘इतनी अच्छी पहल से प्रेरणा लेने में कुछ बुरा नहीं है. दशकों पहले गुजरात में इसका अनुसरण किया गया था लेकिन कहीं न कहीं इसे भुला दिया गया था.’