आलोक वर्मा मामला: मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, सरकार ने जस्टिस पटनायक रिपोर्ट नहीं साझा की

आलोक वर्मा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई चयन समिति का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनके द्वारा मांग करने के बावजूद सरकार ने जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट को साझा नहीं किया.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)

आलोक वर्मा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई चयन समिति का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनके द्वारा मांग करने के बावजूद सरकार ने जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट को साझा नहीं किया.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आलोक वर्मा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते शनिवार को कहा कि सरकार ने समिति के साथ जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट को साझा नहीं किया था.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने एके पटनायक को आलोक वर्मा मामले में सीवीसी जांच की निगरानी के लिए चुना था. खड़गे ने कहा कि उनके द्वारा मांग करने के बावजूद सरकार ने एके पटनायक की रिपोर्ट को उनसे साझा नहीं किया.

जस्टिस पटनायक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, ‘भ्रष्टाचार को लेकर वर्मा के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. पूरी जांच सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की शिकायत पर की गई थी. मैंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीवीसी की रिपोर्ट में कोई भी निष्कर्ष मेरा नहीं है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट को जस्टिस एके सीकरी के साथ भी साझा नहीं किया गया था. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एके सीकरी को चयन समिति का सदस्य नामित किया था. इस बारे में पूछे जाने पर जस्टिस सीकरी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

खड़गे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैंने वहां चयन समिति की बैठक में यही सवाल उठाया था कि क्या उन्होंने कार्यवाही दर्ज की है या नहीं. क्योंकि कार्यवाही अभी तक नहीं आई थी. मैंने उनसे कहा कि मुझे जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट नहीं मिली है और आपको आलोक वर्मा को सीवीसी द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए. वे सही हैं या झूठे हैं. उन्होंने उन रिकॉर्ड को समिति के सामने नहीं रखा.’

खड़गे ने आगे कहा, ‘पटनायक की रिपोर्ट नहीं रखी गई थी और वह स्वयं अब यह बता रहे हैं कि रिपोर्ट 50 पन्नों की है जबकि एनेक्सचर 1,000 पन्नों का है. उन्होंने ये सब पेश नहीं किया. उन्होंने जल्दबाजी में फैसला लिया है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें विश्वास है कि सरकार ने जानबूझकर रिपोर्ट साझा नहीं की है, खड़गे ने कहा, ‘जब हम इसकी मांग कर रहे हैं, तो आप अनुमान लगा सकते हैं. आप किस शब्द का प्रयोग कर सकते हैं ये आपके ऊपर है. जब मैंने विशेष रूप से यह जानने की कोशिश की कि वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को जो जवाब भेजा है उसमें क्या है?. उन्होंने क्यों साझा नहीं किया ये मुझे नहीं पता है. यह गलत है.’

यह पूछे जाने पर कि जब उन्होंने जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट मांगी तो सरकार ने क्या जवाब दिया, खड़गे ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे अदालत को दिया है और अदालत ने पहले ही देखा और निर्णय में जिक्र किया है. फैसले में जिक्र करना अलग बात है. उन्होंने रिपोर्ट नहीं सौंपी और उन्होंने वर्मा को कमेटी के सामने नहीं बुलाया.’

उन्होंने कहा, ‘वर्मा का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह एक विशेष उद्देश्य के लिए एक चयनित पद है, जो कि सीबीआई है. उसे कैसे ट्रांसफर किया जा सकता है? दिल्ली विशेष पुलिस अधिनियम में कोई अन्य पद नहीं हैं. यह अधिनियम में नहीं लिखा है कि अगर वे ट्रांसफर या हटाना चाहते हैं तो वे एक समकक्ष पद पर कर सकते हैं. वह एक विशेष उद्देश्य के लिए चुने गए थे.वे उन्हें कैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. वह पहले ही अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं.’

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अंतरिम निदेशक की नियुक्ति करने के लिए बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई थी. हालांकि प्रशासनिक आदेश के जरिए एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया है. कांग्रेस ने मांग किया है कि फिर से उच्चस्तरीय समिति की बैठक बुलाया जाना चाहिए.