योगी सरकार में फर्जी एनकाउंटर को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चिंतित

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने भारत सरकार को पत्र लिख कर उत्तर प्रदेश में न्यायिक हिरासत में हुई हत्याओं में कार्रवाई की मांग की है.

Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने भारत सरकार को पत्र लिख कर उत्तर प्रदेश में न्यायिक हिरासत में हुई हत्याओं में कार्रवाई की मांग की है.

Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने भारत सरकार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा न्यायिक हिरासत में हत्याओं के 15 मामलों की जानकारी के साथ पत्र लिखा है. उन्होंने संभावित 59 फर्जी एनकाउंटर मामलों का भी संज्ञान लिया है. शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने इस पूरे मामले को बेहद चिंता का विषय बताया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय (ओएचसीएसआर) के अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार ने अभी तक उनके पत्र का कोई जवाब नहीं दिया है और उन्हें इन हत्याओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो रही है.

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने जिन मामलों को लेकर भारत सरकार को पत्र लिखा है और उनमें पीड़ित मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारीयों ने पत्र में कहा है, ‘हम इन घटनाओं के स्वरूप से चिंतित हैं कि पीड़ित की हत्या करने से पहले उसे गिरफ्तार किया जा रहा है या उसका अपहरण हो रहा है. पीड़ित के शरीर पर निशान यातनाओं को बयान कर रहे हैं.’

2017 में यूपी पुलिस ने बताया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के छह महीनों में 420 एनकाउंटर हुए जिसमें 15 लोग मारे गए. 2018 तक यूपी पुलिस ने 1,038 एनकाउंटर किए थे जिसमें 32 मारे गए थे.

पिछले साल द वायर ने उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर में मारे गए 14 परिवारों से संपर्क किया था, जिसमें पुलिस की कहानी को झुठलाते हुए परिवारों ने सभी एनकाउंटर को नियोजित हत्या बताया था.

छह महीने पहले ओएचसीएसआर ने मणिपुर में कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर को लेकर भारत सरकार को पत्र लिखा था. मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के समय सीमा के निर्देश के बावजूद भी जांच पूरी नहीं हुई.

उस समय मानवाधिकार संगठन ने कहा था, ‘हम बेहद चिंतित हैं कि विलंब जानबूझकर और अनुचित मालूम पड़ता है. हम मामले में सरकार के रवैये की निंदा करते हैं.’

इसी महीने में सुप्रीम कोर्ट में एक मामला सामने आ सकता है, जिसमें यूपी एनकाउंटर हत्याओं की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की जाएगी. शीर्ष न्यायालय पहले ही मणिपुर के मुठभेड़ हत्या मामलों की जांच की निगरानी कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सरकार उल्लंघन कर रही है

ओएचसीएसआर का कहना है कि सबूतों के और मामलों के स्वरूप के अनुसार, ये सभी मामले हिरासत में हत्या का मालूम पड़ते हैं. पुलिस अक्सर इन मामलों में मौत का कारण मुठभेड़ (एनकाउंटर) या आत्मरक्षा का मामला बताती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में भारतीय सुरक्षा बलों के मानवीय आचरण और सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या की जांच के आदेश दिए हैं.

ओएचसीएचआर के विशेषज्ञ ‘पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र’ (2014) मामले का हवाला देते हुए कहते हैं कि भारत सरकार इस मामले में निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है कि कैसे जांच की जाए.

उदाहरण के रूप में 2014 के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस को परिवार के सदस्यों को हत्याओं के बारे में सूचित करना होगा, उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट देना होगा और मामलों को स्वतंत्र जांच एजेंसियों को स्थानांतरित करना होगा. ओएचसीएचआर विशेषज्ञों का मानना है कि इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस पीड़ितों की हत्याओं से पहले उन्हें रिहा करने के लिए परिजनों से पैसे की मांग करते हैं ऐसी जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है. वे इस बात से भी चिंतित हैं कि परिवार के सदस्यों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है और उन्हें धमकाया जा रहा है, यहां तक कि मौत की धमकी और झूठे मामलों में फंसाने की संभावना का डर दिखाया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने हत्याओं की समीक्षा करने के लिए कहा

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि इन एनकाउंटर में हुए हत्याओं की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि यह पता चल सके कि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं. इन मौतों की त्वरित स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए, ताकि इन मामलों में कारवाई की जाए.

उन्होंने परिवार और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखने को कहा है.

ओएचसीएचआर अधिकारी सरकार और पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों से भी चिंतित हैं, जो हत्याओं को सही ठहराने, उचित ठहराने या मंजूरी देने के लिए स्पष्टीकरण देते हैं.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq