जज लोया मामला: दो पीठ द्वारा मना करने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट सुनवाई को तैयार

जज बीएच लोया की मौत से जुड़ी याचिका वकील सतीश उके ने दायर की है. अपनी याचिका में उके ने आरोप लगाया है कि जज लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स का इस्तेमाल करके जहर दिया गया था.

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सीबीआई जज बृजगोपाल लोया. (फोटो साभार: द कारवां)

जज बीएच लोया की मौत से जुड़ी याचिका वकील सतीश उके ने दायर की है. अपनी याचिका में उके ने आरोप लगाया है कि जज लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स का इस्तेमाल करके जहर दिया गया था.

Judge Loya
जज बीएच लोया.

मुंबई: जज बीएच लोया की मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने से बॉम्बे हाईकोर्ट की दो खंडपीठ द्वारा खुद को अलग करने के बाद आखिरकार मंगलवार को तीसरी पीठ सुनवाई करने को तैयार हो गई.

यह याचिका वकील सतीश उके ने दायर की है. अपनी याचिका में उके ने आरोप लगाया है कि जज लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स का इस्तेमाल करके जहर दिया गया था.

सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सुनील मनोहर ने अदालत में इस मामले को खारिज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले को खारिज कर चुकी है और जज लोया की मौत को प्राकृतिक बता चुकी है.

हालांकि उके ने कहा कि वह इस मामले में एक पीड़ित हैं और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में वह वादी नहीं थे. जस्टिस प्रदीप देशमुख और जस्टिस रोहित देव की विशेष खंडपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया.

पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद का वक्त दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

अपनी याचिका में उके ने महाराष्ट्र के सरकारी गेस्ट हाउस से मिले सुबूतों सहित लोया की संदिग्ध मौत से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को सुरक्षित रखे जाने की मांग की है. इसके साथ ही वह नागपुर के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट से पहले ही लोया की मौत की जांच की मांग कर चुके हैं.

बता दें सोहराबुद्दीन कथित फर्जी मुठभेड़ मामले, जिसमें भाजपा प्रमुख अमित शाह और कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरोपी थे, की सुनवाई कर रहे लोया जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था.

वकील सतीश उके की यह तीसरी याचिका है जिस पर सुनवाई होने जा रही है. इससे पहले उन्होंने अपनी पहली याचिका जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एसएम मोदक की पीठ के समक्ष नागपुर में 26 नवंबर, 2018 को दाखिल की थी.

हालांकि दोनों जजो ने सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले को नहीं सुन सकते हैं. इसके बाद उके की याचिका जस्टिस पीएन देशमुख और जस्टिस स्वप्ना जोशी की पीठ के पास गई.

इस बार 29 नवंबर 2018 को जस्टिस स्वप्ना जोशी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. लाइव लॉ के अनुसार, जजों द्वारा खुद को सुनवाई से अलग करने के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है. हालांकि लोया की मौत के समय तीनों जज जस्टिस स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में नागपुर में ही मौजूद थे.

वहीं इससे पहले पिछले साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों द्वारा की गई अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कुछ खास मामलों को कुछ खास जजों को सौंपे जाने का आरोप लगाया था.

दरअसल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने लोया की मौत से जुड़े मामले की याचिकाओं को जस्टिस अरुण मिश्रा को सौंप दिया था जो कि वरिष्ठता क्रम में बहुत नीचे थे.

बता दें कि जज लोया का मामला तब सामने आया जब कारवां पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जज लोया की बहन ने उनकी मौत की परिस्थितियों को लेकर संदेह जताया है और उन्होंने इसका संबंध सोहराबुद्दीन शेख के मामले से बताया था.

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