हर साल कुष्ठ रोग के दो लाख मामले आते हैं सामने, इनमें से आधे से अधिक भारत में: डब्ल्यूएचओ

दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए क्षेत्रीय निदेशक पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग को समाप्त करने में भेदभाव, लांछन और पूर्वाग्रह सबसे प्रमुख बाधाएं हैं. अगर शुरू में इस बीमारी का पता लग जाए तो इसका शत प्रतिशत इलाज संभव है.

/
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए क्षेत्रीय निदेशक पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग को समाप्त करने में भेदभाव, लांछन और पूर्वाग्रह सबसे प्रमुख बाधाएं हैं. अगर शुरू में इस बीमारी का पता लग जाए तो इसका शत प्रतिशत इलाज संभव है.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बीते शुक्रवार को कहा कि दुनिया भर में हर साल कुष्ठ रोग के करीब दो लाख मामले सामने आते हैं और इनमें से आधे से अधिक भारत में होते हैं.

संगठन ने बताया है कि बीमारी को समाप्त करने में कुष्ठ-संबंधी ‘भेदभाव, लांछन और पूर्वाग्रह’ सबसे बड़ी बाधाएं हैं.

दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने दो कानूनों को निरस्त करने के लिए भारत की सराहना की. निरस्त किए गए इन कानूनों में एक कुष्ठ से पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव और दूसरा तलाक लेने के लिए कुष्ठ रोग को वैध आधार मानने का था.

उन्होंने कहा दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र, ब्राजील, उप सहारा अफ्रीका और प्रशांत में रोगियों का काफी संख्या का पता लगता है.

सिंह ने कहा कि अच्छे होने के लिए कुष्ठ रोग को समाप्त करने में कुष्ठ संबंधी भेदभाव, लांछन और पूर्वाग्रह सबसे प्रमुख बाधाएं हैं. विशेष रूप से शुरू में बीमारी का पता लगने पर इसका 100 प्रतिशत इलाज संभव है.

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कुष्ठ रोग के मामले में तेजी से गिरावट आई है. हालांकि दुनिया में एक अनुमान के मुताबिक हर साल दो लाख मामले सामने आते हैं जिसमें आधे मामले भारत में होते हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि सक्रियता से हर मामले का पता लगाने, उपचार के तरीकों में सुधार करने और निगरानी प्रणाली को मजबूत करने जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण कदम उठाने के कारण कुष्ठ रोग के मामलों में कमी लाने और उन्हें फैलने से रोकने में मदद मिली है.

सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की वैश्विक कुष्ठ कार्यनीति 2016-2020 के अनुसार, ‘सभी कुष्ठ कार्यक्रमों के केंद्र में ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो कुष्ठ रोग से संबंधित भेदभाव, कलंक और पूर्वाग्रह को समाप्त करने को बढ़ावा दें. यह न सिर्फ कुष्ठ संबंधी कार्यक्रमों के लिए अच्छा होगा बल्कि कुष्ठ मुक्त क्षेत्र और दुनिया बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी.’

कुष्ठ पीड़ित लोगों को सशक्तिकृत करके उन्हें सामाजिक बदलाव का एजेंट बनाने की बात पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि इसके तहत बड़ी संख्या में सामुदायिक समर्थन और कुष्ठ कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने के लिए उन्हें सामुदायिक वकालत और सामाजिक लामबंदी के लिए प्रशिक्षित किया जाना शामिल होगा.

उन्होंने कहा कि इसमें भावनात्मक और आर्थिक संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन नेटवर्क बनाने में उनकी मदद करना भी शामिल हो सकता है, जिससे समाज में कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलता है.

सिंह ने कहा कि अधिकांश देशों में पहले से ही कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण में शामिल किया जा रहा है और इन कार्यक्रमों का विस्तार जहां भी संभव हो, किया जाना चाहिए.

वहीं, इसके तहत हर योग्य व्यक्ति को इस संबंध में हरसंभव सूचना उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पीछे न रहे. कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के मानवाधिकारों को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq