वित्तीय संकट में फंसे ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा, पत्र लिखकर कहा- सबका क़र्ज़ चुकाऊंगा

एस्सेल और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने वित्तीय संकट के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर आक्रामक तरीके से दांव लगाने और वीडियोकॉन का डी2एच कारोबार ख़रीदने के निर्णय को ज़िम्मेदार बताया.

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एस्सेल समूह और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

एस्सेल और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने वित्तीय संकट के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर आक्रामक तरीके से दांव लगाने और वीडियोकॉन का डी2एच कारोबार ख़रीदने के निर्णय को ज़िम्मेदार बताया.

एस्सेल समूह और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)
एस्सेल समूह और ज़ी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुंबई: एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने बीती 25 जनवरी को कहा कि उनकी कंपनी वित्तीय संकट में घिर गई है. उन्होंने इसके लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर आक्रामक तरीके से दांव लगाने और वीडियोकॉन का डी2एच कारोबार ख़रीदने के निर्णय को ज़िम्मेदार बताया.

चंद्रा ने क़र्ज़दाताओं से खेद जताते हुए कहा कि कुछ नकारात्मक ताक़तें उन्हें ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज की हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री के ज़रिये पूंजी जुटाने के प्रयासों से रोक रही हैं.

चंद्रा ने यह तथ्य ऐसे समय स्वीकार किया है जबकि ज़ी का शेयर बीते 25 जनवरी को 26.43 प्रतिशत टूटकर 319.35 रुपये पर आ गया. वहीं समूह की अन्य कंपनी डिश टीवी का शेयर 32.74 प्रतिशत गिरकर 22.60 रुपये पर आ गया.

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चंद्रा ने एक पत्र में कुल क़र्ज़ की जानकारी देने से बचते हुए कहा कि आईएलएंडएफएस संकट के बाद से मुश्किलें बढ़ गयी हैं. उन्होंने कहा कि समूह दिसंबर तक क़र्ज़ की किस्तें चुका पाया है.

उन्होंने कहा, ‘मैं बैंकरों, एनबीएफसी तथा म्यूचुअल फंडों से माफ़ी मांगने को बाध्य हूं क्योंकि मेरा मानना है कि मैं आप लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया.’

उन्होंने किसी देनदारी की चूक की जानकारी दिए बिना क़र्ज़दाताओं से अनुरोध किया कि वे ज़ी एंटरटेनमेंट की हिस्सेदारी की बिक्री तक धैर्य रखें.

चंद्रा ने कहा, ‘बिक्री के बाद हम सारा बकाया चुकाने में सक्षम होंगे लेकिन यदि क़र्ज़दाता हड़बड़ी करेंगे तो इससे उन्हें भी और हमें भी नुकसान होगा.’

पत्र के अनुसार, ‘सबसे पहले तो मैं अपने वित्तीय समर्थकों से दिल की गहराई से माफी मांगता हूं. मैं हमेशा अपनी ग़लतियों को स्वीकार करने में अव्वल रहता हूं. अपने फैसलों की जवाबदेही लेता रहा हूं. आज भी वही करूंगा. 52 साल के करिअर में पहली बार मैं अपने बैंकर, म्यूचुअल फंड, गैर बैकिंग वित्तीय निगमों से माफी मांगने के लिए मजबूर हुआ हूं. मैं उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा हूं. कोई अपना क़र्ज़ चुकाने के लिए मुकुट का हीरा नहीं बेचता है. जब प्रक्रिया चल रही है तब कुछ शक्तियां हमें कामयाब नहीं होने देना चाहती हैं. यह कहने का मतलब नहीं कि मेरी तरफ से ग़लती नहीं हुई है. मैं उसकी सज़ा भुगतने के लिए तैयार हूं. मैं हर किसी का क़र्ज़ चुकाऊंगा.’

उन्होंने दावा किया कि वह एक भी रुपया पचाना नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी प्रवर्तक ने अपनी सबसे शानदार कंपनी को बेचने की पहल नहीं की है लेकिन वह कर रहे हैं.

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चंद्रा ने दावा किया कि उन्होंने हाल ही में लंदन में बैठकें की हैं और इसमें उन्हें सफलता मिली है. उन्होंने कंपनी के शेयर के 26.43 प्रतिशत टूटने का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह बिक्री की कोशिशों को रोकने की चाल है.

उन्होंने अपनी कुछ ग़लतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि इसके कारण सिर्फ़ एस्सेल इंफ्रा को ही चार से पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘अधिकांश बुनियादी ढांचा कंपनियों की तरह हमने भी कुछ ग़लत दांव आज़माए. सामान्यत: ढांचागत क्षेत्र की कंपनियां ऐसी स्थिति में हाथ खड़े कर देती हैं और क़र्ज़ देने वालों को एनपीए के साथ छोड़ देती हैं. लेकिन हमारे मामले में किसी स्थिति से नहीं भागने की हमारी ज़िद से हमें चार हजार से पांच हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.’

सुभाष चंद्रा का पूरा पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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