अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने लगाई दिवालिया घोषित करने की गुहार

पैंतालीस हज़ार करोड़ रुपये के क़रीब क़र्ज़ को चुकाने में असफल रही रिलायंस कम्युनिकेशनंस ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत दिवालिया होने की अपील की है.

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अनिल अंबानी. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

पैंतालीस हज़ार करोड़ रुपये के क़रीब क़र्ज़ को चुकाने में असफल रही रिलायंस कम्युनिकेशनंस ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत दिवालिया होने की अपील की है.

अनिल अंबानी. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)
अनिल अंबानी. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने लगभग 45,000 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए अपनी संपत्तियों को बेचने में असफल रहने पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच में दिवालिया याचिका दायर करने का फैसला किया.

इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कंपनी के बोर्ड द्वारा दिवालिया होने की अपील की गयी है. इसके लिए वह एनसीएलटी के जरिए फास्ट ट्रैक रिजॉल्यूशन के लिए गुहार लगाएगी.

आरकॉम ने शुक्रवार को कहा कि वह एनसीएलटी के प्रावधानों के जरिए जल्द अपने इस स्थिति का समाधान ढूंढेगी. कंपनी का कहना है कि कर्जदाताओं को अपनी परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजनाओं (एसेट मोनेटाइजेशन प्लान्स) से कोई धनराशि नहीं मिली है और इसकी पूरी कर्ज समाधान प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कंपनी ने अपने बयान में कहा, आरकॉम के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के जरिए ऋण समाधान योजना लागू करने का फैसला  किया है. आरकॉम के निदेशक मंडल ने शुक्रवार को कंपनी के ऋण निपटान योजना की समीक्षा की.

आरकॉम की मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की कंपनी रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम बेचने की योजना से बात नहीं बनी, स्वीडन की दूरसंचार कंपनी एरिक्सन आरकॉम को दिवालिया घोषित करने के लिए एनसीएलटी के समक्ष याचिका दायर कर चुकी है.

रिलायंस द्वारा जारी किया गया बयान (साभार: ट्विटर)

बयान के मुताबिक, आरकॉम निदेशक मंडल ने बताया कि 18 से अधिक महीने होने के बाद भी कर्जदाताओं को प्रस्तावित एसेट मोनेटाइजेशन प्लान्स से कोई लाभ नहीं हुआ है और यह पूरी कर्ज समाधान प्रक्रिया किसी ओर जाती नहीं दिखती.

आरकॉम ने कहा है, ‘बीते 12 महीनों में 45 से कर्जदाताओं के साथ सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर 45 से अधिक बैठकों में सहमति नहीं बनने की वजह से इन अनसुलझी चुनौतियों की वजह से यह दुर्भाग्यपूर्ण नतीजा हमारे सामने है.’

बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि उच्च न्यायालय, दूरसंचार विवाद एवं अपील अधिकरण ( टीडीसैट) और उच्चतम न्यायालय में विभिन्न कानूनी मुद्दे विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं.

आरकॉम और इसकी दो सब्सिडिरी कंपनियों रिलायंस टेलीकॉम लि. और रिलायंस इन्फ्राटेल लि. बोर्ड के फैसलों को लागू करने में जल्द उचित कदम उठाएंगे. हालांकि इससे कंपनी की अन्य सब्सिडिरी कंपनियों के कामकाज और संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

आरकॉम ने सितंबर 2018 में कहा था कि वह भविष्य में रियल एस्टेट क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए दूरसंचार कारोबार से पूरी तरह से बाहर हो जाएगा. आरकॉम ने उस समय कहा था कि वह अपने कर्जदाताओं के हितों के अनुरूप लगभग 25,000 करोड़ के परिसंपत्ति मौद्रिकरण कार्यक्रम (एसेट मोनेटाइजेशन प्रोग्राम) को पूरा करने को लेकर आश्वस्त है.

आरकॉम पर मार्च 2017 तक सात अरब डॉलर का कर्ज है.

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