अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ दायर की अवमानना की अर्ज़ी

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक फरवरी को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को लेकर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने शीर्ष अदालत को गुमराह किया.

New Delhi: Supreme Court lawyer Prashant Bhushan addresses the media, at Supreme Court premises in New Delhi, Thursday, Sept 6, 2018. The Supreme Court on Thursday extended till September 12, the house arrest of five rights activists in connection with the violence in Koregaon-Bhima in the west central state of Maharashtra. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI9_6_2018_000097B)
प्रशांत भूषण (फोटो: पीटीआई)

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक फरवरी को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को लेकर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने शीर्ष अदालत को गुमराह किया.

New Delhi: Supreme Court lawyer Prashant Bhushan addresses the media, at Supreme Court premises in New Delhi, Thursday, Sept 6, 2018. The Supreme Court on Thursday extended till September 12, the house arrest of five rights activists in connection with the violence in Koregaon-Bhima in the west central state of Maharashtra. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI9_6_2018_000097B)
प्रशांत भूषण (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सीबीआई के अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव की नियुक्ति पर एक गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण के हाल के बयानों (ट्वीट) से अदालत को कथित रुप से घसीटे जाने को लेकर उनके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में सोमवार को अदालत की अवमानना की अर्जी दायर की है.

अवमानना की याचिका में भूषण के एक फरवरी के बयानों का हवाला दिया गया है. भूषण ने एक फरवरी को ट्वीट कर कथित रुप से कहा था कि ऐसा जान पड़ता है कि सरकार ने शीर्ष अदालत को गुमराह किया और शायद, प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का मनगढंत विवरण पेश किया.

एक फरवरी की सुनवाई के बाद प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा था, ‘मैंने निजी रूप से विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है और उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया.’

उन्होंने कहा, ‘मालूम पड़ता है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उच्चाधिकार प्राप्त समिति बैठक की मनगढ़ंत मिनट ऑफ मीटिंग पेश कर उसे गुमराह करने का प्रयास किया है.’

उच्चाधिकार प्राप्त समिति में प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत के न्यायाधीश होते हैं.

वेणुगोपाल ने अपनी याचिका में कहा कि भूषण ने जानबूझकर अटार्नी जनरल की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर संदेह प्रकट किया. उन्होंने कहा कि एक फरवरी को सुनवाई के दौरान, उन्होंने नौ और 10 जनवरी को आयोजित उच्चस्तरीय समिति की बैठक के मिनट्स बेंच को सौंपें थे.

वेणुगोपाल ने अपनी दलील में कहा, ‘मिनट्स ऑफ मीटिंग मात्र पढ़ने से ही पता चलता है कि उक्त बैठक में उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने केंद्र सरकार को एक उपयुक्त अधिकारी को सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक कार्यभार संभालने की अनुमति देने का निर्णय लिया था.’

याचिका में कहा गया है कि समिति के तीनों सदस्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी (मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नामित के रूप में) और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जो पैनल द्वारा लिए गए निर्णय में शामिल थे.

अटार्नी जनरल ने ही एक फरवरी को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के समक्ष उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का ब्योरा दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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