सीबीआई: केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा-राकेश अस्थाना विवाद से जुड़े अधिकारी का कार्यकाल ख़त्म किया

केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई के डीआईजी अनीश प्रसाद का कार्यकाल बीच में ही समाप्त करते हुए उनके मूल कैडर वापस भेज दिया गया है. वे उन 14 अधिकारियों में शामिल थे, जिनका वर्मा-अस्थाना विवाद के बाद 24 अक्टूबर को तबादला किया गया था.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई के डीआईजी अनीश प्रसाद का कार्यकाल बीच में ही समाप्त करते हुए उनके मूल कैडर वापस भेज दिया गया है. वे उन 14 अधिकारियों में शामिल थे, जिनका वर्मा-अस्थाना विवाद के बाद 24 अक्टूबर को तबादला किया गया था.

सीबीआई मुख्यालय (फोटो: पीटीआई)
सीबीआई मुख्यालय (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो वरिष्ठ अधिकारियों का एजेंसी में कार्यकाल बीच में ही समाप्त कर दिया है. कार्मिक मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में एक आदेश जारी किया.

इनमें से त्रिपुरा कैडर के 2003 बैच के आईपीएस अधिकारी डीआईजी अनीश प्रसाद कथित रूप से सीबीआई के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना विवाद के केंद्र में थे.

मंत्रिमंडल की नियुक्त समिति (एसीसी) ने बुधवार को डीआईजी अनीश प्रसाद को उनके कैडर राज्य त्रिपुरा भेजने को मंजूरी दे दी. अभी उनका कार्यकाल पूरा होने में एक साल से भी अधिक समय बचा था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि एसीसी ने अनीश प्रसाद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें उनके कैडर राज्य भेजने को मंजूरी दे दी है.

प्रसाद के अलावा केंद्र सरकार ने एक और अधिकारी डीआईजी अभय सिंह के कार्यकाल में भी कटौती की है जबकि दो अधिकारियों का प्रमोशन किया गया है.

डीआईजी अभय सिंह का कार्यकाल बीच में ही समाप्त कर उन्हें गृह मंत्रालय में तैनात किया गया है लेकिन उनकी सेवाओं के संबंध में अभी केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करना है. वह मध्य प्रदेश कैडर के 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जो रांची में तैनात थे.

वर्मा और अस्थाना के बीच के विवाद के चरम पर रहने के दौरान प्रसाद एसयू-1 (विशेष) इकाई के डीआईजी थे. एसयू इकाई सीबीआई की खुफिया विंग है और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और जासूसी से जुड़ी है.

अस्थाना ने अक्टूबर, 2018 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सीबीआई उनके निजी जीवन में हस्तक्षेप कर रही है और उनकी उनके परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत को टैप कर रही है.

इसके बाद सीबीआई के कई अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की, जिसमें फोन टैपिंग की विस्तृत जानकारी थी और बताया कि हो सकता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे शीर्ष सरकारी अधिकारियों के फोन टैप किए जा रहे हों.

प्रसाद उन 14 अधिकारियों में शामिल थे, जिनका वर्मा और अस्थाना को आधी रात को छुट्टी पर भेजने के बाद 24 अक्टूबर को तबादला किया गया था. प्रसाद का उस समय प्रशासनिक विभाग में उपनिदेशक के तौर पर तबादला किया गया था.

यह आदेश ऋषि कुमार शुक्ला के सीबीआई के निदेशक का पदभार संभालने के दो दिन बाद आया है. शुक्ला को शनिवार को सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया था.

आदेश के अनुसार, कोयला घोटाला मामले की जांच को देख रहे सीबीआई के संयुक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा को अतिरिक्त निदेशक के रूप में प्रोन्नत किया गया है. सिन्हा गुजरात कैडर के 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

सीबीआई में उपमहानिरीक्षक के रूप में कार्य कर रहे अमित कुमार को संयुक्त निदेशक नियुक्त किया गया है. छत्तीसगढ़ कैडर के 1998 के बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार एजेंसी के नीति विभाग में कार्य कर रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)