मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग आरक्षण की निर्णय प्रक्रिया का ब्योरा देने इनकार किया: आरटीआई

केंद्र सरकार ने एक फरवरी 2019 से केंद्रीय सरकारी पदों और सेवाओं में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi during a ceremonial reception of Norwegian Prime Minister Erna Solberg at Rashtrapati Bhawan, in New Delhi on Tuesday, Jan.8,2019.(PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI1_8_2019_000018B)

केंद्र की मोदी सरकार ने एक फरवरी 2019 से केंद्रीय सरकारी पदों और सेवाओं में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के कैबिनेट दस्तावेजों और मंत्रियों की बातचीत के रिकार्डोंं के खुलासे पर रोक संबंधी उपबंध का हवाला देते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण पर निर्णय की प्रक्रिया का ब्योरा साझा करने से इनकार कर दिया.

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के साथ सूचना तक पहुंच कार्यक्रम के समन्वयक वेंकटेश नायक ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से प्राप्त पत्राचार के अलावा कैबिनेट नोट की प्रतिलिपि जैसी जानकारियां मांगी थी.

केंद्र सरकार ने एक फरवरी 2019 से केंद्रीय सरकारी पदों और सेवाओं में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है.

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नायक की आरटीआई के जवाब में कहा कि मांगी गई जानकारी मुहैया नहीं कराई जा सकती है क्योंकि इसे पारदर्शिता कानून की धारा आठ (1) (आई) के तहत छूट मिली हुई है.

धारा ‘मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्शों के रिकार्डों सहित कैबिनेट दस्तावेजों’ का खुलासा करने से रोकती है.

हालांकि, इसी उपबंध में आगे कहा गया है कि निर्णय लेने और मामले के पूरा होने या समाप्त होने के बाद मंत्रिपरिषद के निर्णयों, इसके कारण और जिस आधार पर यह निर्णय लिया गया है वह सार्वजनिक और मुहैया कराया जाएगा.

नायक ने कहा कि पत्र सूचना कार्यालय या सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर इस विषय के बारे में कोई प्रेस विज्ञप्ति नहीं है.

बता दें कि आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक को पिछले महीने 8 और 9 जनवरी को संसद के दोनों सदनों से पास कर दिया गया था और तीन दिन में राष्ट्रपति ने उसे अपनी मंजूरी दे दी थी.

राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण संबंधी इस प्रावधान को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी.