सरकार को बुलेट ट्रेन के बजाय मौजूदा रेल मार्गों पर ध्यान देना चाहिए: कर्मचारी संगठन

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन की ओर से कहा गया है कि बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिन्होंने इसके आर्थिक पहलुओं के बारे में विचार नहीं किया. जबसे वह प्रधानमंत्री बने हैं, निजी कंपनियों के हितों की रक्षा का प्रयास कर रहे हैं.

(फोटो: रायटर्स)

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन की ओर से कहा गया है कि बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिन्होंने इसके आर्थिक पहलुओं के बारे में विचार नहीं किया. जबसे वह प्रधानमंत्री बने हैं, निजी कंपनियों के हितों की रक्षा का प्रयास कर रहे हैं.

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वडोदरा: नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध किया है. संगठन का कहना है कि अनावश्यक परियोजनाओं पर खर्च करने की बजाए सरकार को देश में मौजूदा रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम करना चाहिए.

एनएफआईआर के महासचिव एम. राघवैया ने संवाददाताओं से बात करते हुए आरोप लगाया कि बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है, लेकिन उन्होंने इसके आर्थिक पहलुओं के बारे में विचार नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘1.08 लाख करोड़ रुपये की बुलेट ट्रेन परियोजना अनावश्यक है. चूंकि, भारत विकसित देश नहीं है इसलिए इसकी जरूरत नहीं है. विकसित देश बन जाने पर 2040 के बाद इस पर सोचा जा सकता है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिन्होंने इसके आर्थिक पहलुओं के बारे में विचार नहीं किया. जबसे वह प्रधानमंत्री बने हैं, वह निजी कंपनियों के हितों की रक्षा का प्रयास कर रहे हैं.’

राघवैया ने कहा, ‘सरकार को बुलेट ट्रेन परियोजना पर ध्यान देने के बजाय मौजूदा रेल मार्गों पर काम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए. बुलेट ट्रेन चलाने की शुरुआत करने से पहले यह जरूरी है कि देशभर के ट्रैकों की मरम्मत और रखरखाव का काम किया जाए.

उन्होंने कहा, ‘आर्थिक या सार्वजनिक सेवा के लिहाज से इस परियोजना का बहुत ही मामूली या कोई औचित्य नहीं है. उच्च आय और कम जनसंख्या वाले केवल मुट्ठीभर देशों के पास हाई स्पीड रेल (एचआरएस) है. उनमें से भी कई देशों में यह परियोजना विफल हो गई जबकि बाकी देशों ने अध्ययन करने के बाद उसे छोड़ दिया है.

एनएफआईआर के एक अन्य सदस्य जेजी. महुरकर ने चेतावनी देते हुए कहा कि कर्मचारियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ता सहित उनकी मांगों को न मानने पर रेलवे कर्मचारी एनडीए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं.

बता दें कि पिछले साल सितंबर में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास किया था.

इस परियोजना के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में करीब 1,400 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी, जिसमें से 1,120 हेक्टेयर निजी तौर पर स्वामित्व में है. लगभग 6,000 भूमि मालिकों को मुआवजा देना होगा.

क्या है बुलेट ट्रेन परियोजना

इस परियोजना की कुल लंबाई 508.90 किमी है. जिसमें 487 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर और 22 किमी सुरंग बननी है. प्रस्तावित 12 स्टेशन में से आठ का निर्माण गुजरात में होना है. गुजरात में इसकी लंबाई 349.03 किमी है जबकि महाराष्ट्र में 154.76 किमी है. वहीं 4.3 किमी यह दादरा एवं नगर हवेली से गुजरेगी.

इस पूरी परियोजना के लिए गुजरात में 612.17 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 246.42 हेक्टेयर और दादरा नगर हवेली में 7.52 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक शुरू कर देना चाहती है.

गौरतलब है कि उच्च गति से चलने वाली यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद की 500 किमी की दूरी को तीन घंटे से कम समय में पूरा करेगी, जिसके लिए अभी सात घंटे लगते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)