ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट में बदलाव की ज़रूरतः हामिद अंसारी

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को ‘बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्यान’ में प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और तटस्थता का हवाला देते हुए कहा कि ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के प्रावधान मौजूदा समय के अनुकूल नहीं है.

New Delhi: Former vice president Hamid Ansari speaks during the release of his book titled 'Dare I Question?', in New Delhi on Tuesday, July 17, 2018. (PTI Photo/Kamal Singh) (PTI7_17_2018_000158B)
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी. (फोटो: पीटीआई)

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को ‘बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्यान’ में प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और तटस्थता का हवाला देते हुए कहा कि ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के प्रावधान मौजूदा समय के अनुकूल नहीं है.

New Delhi: Former vice president Hamid Ansari speaks during the release of his book titled 'Dare I Question?', in New Delhi on Tuesday, July 17, 2018. (PTI Photo/Kamal Singh) (PTI7_17_2018_000158B)
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (सरकारी गोपनीयता कानून) को पुराना और अप्रासंगिक बताते हुए इसमें बदलाव की जरूरत पर जोर दिया.

अंसारी ने शनिवार को ‘बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्यान’ में प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और तटस्थता का हवाला देते हुए कहा कि गोपनीयता कानून के प्रावधान मौजूदा समय के अनुकूल नहीं है, इसलिए इनमें पर्याप्त बदलाव की जरूरत है.

उन्होंने मीडिया फांउडेशन द्वारा ‘सख्त राष्ट्रवाद के दौर में पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में गोपनीयता कानून के दुरुपयोग के खतरों पर चिंता जताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि इस कानून को मौजूदा परिस्थतियों के अनुरूप बनाया जाए.

अंसारी ने हाल ही में रफाल मामले में प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों से गोपनीयता कानून 1923 के उल्लंघन की सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट  में व्यक्त की गई आशंका के सवाल के जवाब में कहा, ‘हमारे तमाम पुराने कानूनों की तरह गोपनीयता कानून भी गुज़रे जमाने का है और मौजूदा दौर में अप्रासंगिक हो गया है.’

उन्होंने संचार क्रांति के दौर में सूचनाओं के सतत प्रसार का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून को मौजूदा परिस्थितियों की जमीनी हकीकत के मुताबिक बनाना जरूरी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मीडिया संस्थानों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लगाने की सरकार की चेतावनी के बारे में पूछने पर अंसारी ने कहा, ‘मेरी समझ में सरकारी गोपनीयता कानून हमारे उन कई अन्य कानूनों की तरह है, जो पुराने पड़ चुके हैं और आज के समय में प्रासंगिक नहीं है.’

उन्होंने कहा कि वास्तव में इस कानून से विद्वान और आम जनता पीड़ित है. उन्होंने कहा, ‘अभी भी कई सारी चीजें हैं जो गोपनीय होने के बावजूद लोगों की जानकारी में हैं. वे कहीं और छप चुकी हैं. तो इस पूरे मामले में पीड़ित कौन बना? हमारे अपने विद्वान और हमारी जनता.’

गौरतलब है कि सरकार ने रफाल मामले में कथित अनियमितता को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्टों को सुप्रीम कोर्ट में सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन बताया था. इस प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एडीटर्स गिल्ड ने कहा था कि गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है.

संगठन ने इस मामले में सरकार से अपील की थी कि वह ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर हो. इस अवसर पर अंसारी ने उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए बीबीसी इंडिया की युवा पत्रकार प्रियंका दुबे को चमेली देवी जैन सम्मान से सम्मानित किया. प्रियंका को यह पुरस्कार उनकी पत्रकारिता के लिए दिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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