आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले भाजपा को दिल्ली में मिली दो एकड़ ज़मीन

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले केंद्र सरकार ने भाजपा को इसके मुख्यालय के लिए अतिरिक्त 2 एकड़ ज़मीन देने के तीन साल पुराने प्रस्ताव को मंज़ूरी दी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (रॉयटर्स)

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले केंद्र सरकार ने भाजपा को इसके मुख्यालय के लिए अतिरिक्त 2 एकड़ ज़मीन देने के तीन साल पुराने प्रस्ताव को मंज़ूरी दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (रॉयटर्स)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (रॉयटर्स)

नई दिल्लीः देश में आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने भाजपा को दिल्ली में इसके मुख्यालय के लिए दो एकड़ जमीन आवंटित की.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान से एक दिन पहले नौ मार्च को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर 2.189 एकड़ भूमि के उपयोग के लिए एक मसौदा अधिसूचना (ड्राफ्ट नोटिफिकेशन) जारी किया.

इस नोटिफिकेशन में भूमि उपयोग को ग्रुप हाउसिंग से बदलकर पब्लिक एंड सेमी पब्लिक फैसिलिटीज (सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक सुविधा) कर दिया गया.

भाजपा को अतिरिक्त 2 एकड़ जमीन आवंटित करने का वह प्रस्ताव तीन साल पुराना है, जिसे आदर्श अचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले मंजूरी दी गयी.

यह प्लॉट 3बी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर भाजपा के मुख्यालय के ठीक सामने है. भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना के साथ सरकार ने  2015 में शुरू की गई आवंटन की प्रक्रिया का निपटारा भी किया.

भाजपा इस दो एकड़ जमीन के लिए 2.08 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. साल 2006 में यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए राजनीतिक दलों के लिए भूमि आवंटन नियमों के मुताबिक, संसद में 101 से 200 सांसदों वाली पार्टी दो एकड़ भूमि की हक़दार है.

अगर किसी पार्टी के पास 200 से अधिक सांसद हैं तो वह चार एकड़ जमीन मिलने की हक़दार है. हालांकि, इन नियमों में यह नहीं बताया गया है कि अगर पार्टी को इन चुनावों में कम सीटें मिलती हैं तो क्या होगा.

मई 2014 में सांसद बढ़ने की वजह से भाजपा चार एकड़ भूमि मिलने की हक़दार है, जिसमें से दो एकड़ भूमि 6ए दीन दयाल उपाध्याय मार्ग है, जिसे आवंटित कर दिया गया है.

अतिरिक्त दो एकड़ के लिए लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एल एंड डीओ) ने 3बी प्लॉट को चुना था, हालांकि जमीनी स्तर पर कुछ बाधाओं के चलते फाइनल आवंटन तयशुदा पात्रता से 6 प्रतिशत ज्यादा था.

अख़बार के अनुसार ऐसे में यह 1.98 एकड़ के बजाय 2.22 एकड़ होता। अख़बार को मिले आधिकारिक दस्तावेज़ों के मुताबिक, फरवरी 2015 में आवास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि आवंटन के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने इस आवंटन की सिफारिश की और एल एंड डीओ ने दो एकड़ भूमि भाजपा को आवंटित कर दी.

जुलाई 2016 में भाजपा एल एंड डीओ को पत्र लिखते हुए कहा था कि जमीनी बाधाओं के कारण  इस प्लॉट को भौतिक रूप से लेना (पज़ेशन) संभव नहीं है. पार्टी ने साथ ही प्लॉट के परिमाण (डायमेंशन) में बदलाव का आग्रह भी किया था.

सितंबर 2016 में स्क्रीनिंग कमेटी ने फिर इस मामले को उठाया और तीन विकल्पों में से एक को चुनने की सोची। इसके लिए शहरी विकास मंत्री द्वारा उनकी विशेष शक्तियों को लागू करने की ज़रूरत होती क्योंकि यह भूमि तयशुदा 4 एकड़ से ज़्यादा थी.

हालांकि चुनाव से पहले सरकार फुर्ती में आयी और दिसंबर 2018 में इस प्लॉट के भूमि उपयोग को बदलने का फैसला लिया गया. 21 और 25 फरवरी को उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई डीडीए की बैठक में इस प्रस्ताव को मंज़ूरी मिली और 9 मार्च को इसे सार्वजनिक किया गया.

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