2011 से 2018 तक में करीब तीन करोड़ खेतिहर मज़दूरों का रोज़गार छिना: एनएसएसओ रिपोर्ट

एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए सर्वेक्षण से ये पता चला है कि 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच खेत में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों में 40 फीसदी की गिरावट आई है. खात बात ये है कि सरकार ने इस सर्वेक्षण को जारी करने से मना कर दिया है.

Baska: Farmers plant paddy saplings in a field at Boglamari, in Baska district of Assam on Wednesday, July 11, 2018. (PTI Photo) (PTI7_11_2018_000049B)
Baska: Farmers plant paddy saplings in a field at Boglamari, in Baska district of Assam on Wednesday, July 11, 2018. (PTI Photo) (PTI7_11_2018_000049B)

एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए सर्वेक्षण से ये पता चला है कि 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच खेत में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों में 40 फीसदी की गिरावट आई है. खात बात ये है कि सरकार ने इस सर्वेक्षण को जारी करने से मना कर दिया है.

Baska: Farmers plant paddy saplings in a field at Boglamari, in Baska district of Assam on Wednesday, July 11, 2018. (PTI Photo) (PTI7_11_2018_000049B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: ग्रामीण भारत में 2011-12 और 2017-18 के बीच करीब 3.2 करोड़ अस्थायी मजदूरों (कैजुअल लेबरर) से उनका रोजगार छिन गया. इनमें से करीब तीन करोड़ मजदूर खेतों में काम करने वाले लोग थे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है. इस रिपोर्ट में एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के हवाले से बताया गया है कि 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच खेत में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों में 40 फीसदी की गिरावट आई है.

खास बात ये है कि सरकार ने इस सर्वेक्षण को जारी करने से मना कर दिया है. बता दें कि अस्थायी मजदूर (कैजुअल लेबरर) उन्हें कहते हैं जिन्हें जरूरत के मुताबिक समय-समय पर यानि कि अस्थायी रूप से काम पर रखा जाता है.

एनएसएसओ के आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 के बाद से ग्रामीण अस्थायी श्रम खंड (खेत और गैर-खेती) में पुरुष मजदूरों के रोजगार में 7.3 प्रतिशत और महिला मजदूरों के रोजगार में 3.3 प्रतिशत की कमी आई है. इसकी वजह से कुल 3.2 करोड़ रोजगार छिन गया है.

इस नुकसान का एक बड़ा हिस्सा लगभग तीन करोड़ कृषि पर निर्भर है. वहीं गैर-कृषि क्षेत्र में मामूली गिरावट (13.5 प्रतिशत से 12.9 प्रतिशत तक) आई है.

बता दें कि दिसंबर 2018 में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद भी अभी तक सरकार ने एनएसएसओ की रिपोर्ट को जारी नहीं किया है. एनएससी के दो सदस्यों, जिसमें इसके कार्यवाहक अध्यक्ष पीएन मोहनन शामिल हैं, ने रिपोर्ट को जारी नहीं करने के विरोध में इस साल जनवरी के अंत में इस्तीफा दे दिया था.

इससे पहले ये रिपोर्ट आई थी कि देश में 1993-1994 के बाद पहली बार पुरुष कामगारों की संख्या घटी है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुरुष कामगारों की संख्या घट रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आये हैं. इस रिपोर्ट में एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के हवाले से बताया गया है कि देश में पुरुष कामगारों की संख्या तेजी से घट रही है.

2017-18 में पुरुष कामगारों की संख्या में 28.6 करोड़ थी, जो कि 2011-12, जब एनएसएसओ द्वारा पिछले सर्वे किया गया था, में 30.4 करोड़ थी. उससे पहले साल 1993-94 में यह संख्या 21.9 करोड़ थी.

यानी आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले पांच सालों की तुलना में 2017-18 में देश में रोजगार अवसर बहुत कम हुए हैं.

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