रेलवे सुनिश्चित करे कि उसकी ज़मीन पर सब्ज़ी उगाने वाले सीवर का पानी उपयोग न करें: हाईकोर्ट

एक एनजीओ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि रेलवे ने अपनी ज़मीन पर खेती के लिए कुछ लोगों को लाइसेंस दिया है, जिनमें से कई लोग सिंचाई के लिए सीवर के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे पानी में मौजूद विषाक्त तत्व सब्ज़ियों में पहुंच रहा है.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

एक एनजीओ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि रेलवे ने अपनी ज़मीन पर खेती के लिए कुछ लोगों को लाइसेंस दिया है, जिनमें से कई लोग सिंचाई के लिए सीवर के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे पानी में मौजूद विषाक्त तत्व सब्ज़ियों में पहुंच रहा है.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट  (फोटो : पीटीआई)

मुंबई:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सीवर का पानी (गंदा और दूषित जल) का इस्तेमाल देशभर में रेलवे पटरियों के आसपास की ज़मीन पर उगने वाली सब्जियों की खेती में न हो सके.

बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस एनएम जमदार की पीठ ने भारतीय रेल के महाप्रबंधक को यह निर्देश देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करें कि अदालत के आदेशों को लागू किया जाए और इसका उल्लंघन करने वालों का लाइसेंस रद्द किया जाए.

मुंबई के एक एनजीओ ने वकील जेपी खड़गे के ज़रिये एक जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह निर्देश दिया.

खड़गे ने आरोप लगाया कि पश्चिम और मध्य रेलवे ने मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क में आसपास की ज़मीन पर खेती के लिए कुछ लोगों को लाइसेंस दिया था.

खड़गे ने कहा कि इनमें से कई लोग सिंचाई के लिए सीवेर के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं और इस तरह के पानी में मौजूद विषाक्त तत्व वहां उगने वाली सब्जियों में पहुंच रहे हैं.

खड़गे ने अदालत को बताया कि रेल पटरियों के आसपास वाली ज़मीन पर उगने वाली कुछ सब्जियों के रासायनिक विश्लेषण में इनमें शीशा, आर्सेनिक, तांबा और अन्य धातुओं का स्तर बेहद उच्च मिला.

उन्होंने कहा कि इन धातुओं का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है.

पश्चिमी और मध्य रेलवे के वकील सुरेश कुमार ने अदालत को बताया कि रेलवे ने अपने ग्रेड सी और डी स्तर के कुछ कर्मचारियों को शहर में रेलवे पटरियों के आसपास की ज़मीन पर खेती करने के लिए लाइसेंस दिए हैं लेकिन नियम उन्हें अपशिष्ट जल के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देते.

अदालत ने कहा कि रेलवे पटरियों के आसपास की ज़मीन का इस्तेमाल खेती के लिए करने का विचार अच्छा है, लेकिन रेलवे यह सुनिश्चित करने के प्रतिबद्ध है कि जनता के स्वास्थ्य के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो.

अदालत ने प्रशासन को निर्देश देकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि देशभर के लाइसेंसधारी इस तरह के अपशिष्ट पानी का इस्तेमाल न करें और उन्हें मिले लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन न करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)