मोदी-शाह को मिली पांच क्लीनचिट का चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने किया था विरोध

इन पांच शिकायतों में से चार शिकायतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी हैं. सभी मामलों का फैसला 2-1 के बहुमत से हुआ है. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने इन मामलों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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चुनाव आयुक्त अशोक लवासा. (फोटो साभार: ट्विटर)

इन पांच शिकायतों में से चार शिकायतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी हैं. सभी मामलों का फैसला 2-1 के बहुमत से हुआ है. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने इन मामलों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा. (फोटो साभार: ट्विटर)
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन की पांच अलग-अलग शिकायतों के मामले में बहुमत से अलग मत रखा है. इन पांच शिकायतों में से चार शिकायतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शनिवार को चुनाव आयोग ने आचार संहिता के तहत मोदी के एक अन्य भाषण को क्लीनचिट दे दी. यह उनकी 21 अप्रैल को गुजरात के पाटन स्थित रैली में दिए गए भाषण से जुड़ी थी.

अपने उस भाषण में मोदी ने दावा किया था कि उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने वायुसेना पायलट अभिनंदन वर्धमान को वापस नहीं किया तो उसके बुरे नतीजे भुगतने पड़ेंगे.

लवासा ने 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा और 6 अप्रैल को नांदेड़ में दिए गए मोदी के भाषण को क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया था. इसके साथ ही 9 अप्रैल को लातुर और चित्रदुर्ग में बालाकोट हवाई हमला और पुलवामा हमले का उल्लेख करते हुए पहली बार वोट देने वालों से की गई अपील को भी क्लीनचिट देने का विरोध किया था.

उन्होंने 9 अप्रैल को नागपुर में दिए गए शाह के भाषण को भी क्लीनचिट देने पर अपने सहयोगियों से असहमति जताई थी. इस भाषण में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दूसरी सीट की तुलना पाकिस्तान से की थी.

हालांकि चुनाव आयोग ने अभी चित्रदुर्ग की शिकायत के निपटारे की आधिकारिक घोषणा नहीं की है. बता दें कि अशोक लवाला के अलावा चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा हैं.

ऊपर जितने भी मामलों का जिक्र किया गया है उनका फैसला 2-1 के बहुमत से हुआ है. इंडियन एक्सप्रेस के संपर्क करने पर इन मामलों पर कोई टिप्पणी करने से लवासा ने इनकार कर दिया.

वहीं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा, असहमति उद्देश्यपूर्व विचार-विमर्श का एक स्वस्थ्य संकेत है. चुनाव आयोग को लेकर मेरी उम्मीद बरकरार है.

चुनाव आयोग की धारा 10 (नाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस) अधिनियम, 1991 के अनुसार, चुनाव आयोग के सभी काम जहां तक संभव हो सर्वसम्मति से होने चाहिए.

यह प्रावधान यह भी कहता है कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के विचारों में मतभेद होता है तो ऐसे मामलों का निपटारा बहुमत के आधार पर होगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वह मोदी और शाह पर कांग्रेस द्वारा दर्ज सभी आचार संहिता उल्लंघन के मामलों का निपटारा सोमवार तक करे. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने शिकायतों पर चुनाव आयोग द्वारा तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.