नामांकन रद्द होने के ख़िलाफ़ दाख़िल तेज बहादुर यादव की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की

वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ सपा-बसपा गठबंधन के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने वाले बीएसएफ के बर्ख़ास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन चुनाव आयोग ने तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया था.

तेज बहादुर यादव. (फोटो साभार: फेसबुक)

वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ सपा-बसपा गठबंधन के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने वाले बीएसएफ के बर्ख़ास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन चुनाव आयोग ने तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया था.

तेज बहादुर यादव. (फोटो साभार: फेसबुक)
तेज बहादुर यादव. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने वाराणसी संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में सीमा सुरक्षा बल के बर्ख़ास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.

तेज बहादुर यादव ने बीते छह मई को अपना नामांकन रद्द होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने तेज बहादुर यादव की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘हमें इस याचिका पर विचार करने का कोई आधार नज़र नहीं आता है.’

यादव की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि आचार संहिता लागू होने के दौरान भी चुनाव याचिका दायर की जा सकती है.

दूसरी ओर, चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने भी शीर्ष अदालत के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि लोक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव याचिका दायर की जा सकती है.

सुनवाई के अंतिम क्षणों में भूषण ने न्यायालय से कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव याचिका दायर करने की छूट प्रदान की जाए.

इस पर पीठ ने कहा, ‘हम जो कर सकते थे, हमने किया. हमें इस याचिका पर विचार करने के लिए कोई आधार नजर नहीं आता.’

तेज बहादुर यादव को सीमा सुरक्षा बल में जवानों को मिलने वाले भोजन की शिकायत का वीडियो पोस्ट करने पर 2017 में बर्खास्त कर दिया गया था. यादव ने लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट पर नामांकन पत्र दायर किया था जिसे रिटर्निंग अधिकारी ने एक मई को रद्द कर दिया था.

यादव ने रिटर्निंग अधिकारी के फैसले को पक्षपातपूर्ण और तर्कहीन बताते हुए इसे निरस्त करने और वाराणसी सीट पर 19 मई को होने वाले चुनाव में शामिल होने की अनुमति देने का अनुरोध न्यायालय से किया था.

चुनाव अधिकारी का कहना था कि यादव जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यह अनिवार्य प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सके थे कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है.

शुरू में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले तेज बहादुर यादव को 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. वाराणसी संसदीय सीट के लिए समाजवादी पार्टी ने शुरू में शालिनी यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था.

निर्दलीय उम्मीदवार और समाजवादी पार्टी (सपा) उम्मीदवार रूप में पर्चा दाखिल करने के दौरान दोनों नामांकन पत्रों में अलग-अलग जानकारी देने को आधार बनाते हुए वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने यादव का नामांकन खारिज कर दिया था.

अब समाजवादी पार्टी की ओर से शालिनी यादव ही प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले में हैं.

यादव ने निर्वाचन अधिकारी के 29 अप्रैल के पहले नोटिस के जवाब में कहा था कि उसे अनुशासनहीनता के कारण सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया, जो चुनाव कानूनों के दायरे में नहीं आता है. अत: इस बारे में चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.

निर्वाचन अधिकारी ने 30 अप्रैल को दूसरा नोटिस दिया और याचिकाकर्ता से एक मई को सवेरे 11 बजे तक यह प्रमाण पत्र पेश करने के लिए कहा कि उसे भ्रष्टाचार या निष्ठाहीनता के लिये सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया है.

याचिका में कहा गया था कि यादव ने दूसरे नोटिस का भी जवाब दिया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान उसके मामले में लागू नहीं होते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)