संघ से जुड़े संगठन का दावा, पेट में ही बच्चे को संस्कारी और गोरा बनाएंगे

कोलकाता हाईकोर्ट ने आरएसएस की चिकित्सा शाखा आरोग्य भारती के ‘गर्भ संस्कार’ कार्यशाला को आयोजित किए जाने की अनुमति दी है.

कोलकाता हाईकोर्ट ने आरएसएस की चिकित्सा शाखा आरोग्य भारती के ‘गर्भ संस्कार’ कार्यशाला को आयोजित किए जाने की अनुमति दी है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की चिकित्सा शाखा बच्चों को गर्भ में ही सुसंतान या सुसंस्कारी बनाने का दावा कर रही है. इसके लिए शनिवार को कोलकाता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले हर जोड़े से 500 रुपये की फीस ली गई थी.

दो दिवसीय कार्यशाला में डॉक्टर करिश्मा नरवीन को गर्भ संस्कार स्पेशलिस्ट बताया गया. डॉक्टर नरवीन गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद विश्वविद्यालय में विजिटिंग लेक्चरर हैं.

विश्वविद्यालय में उनके सहयोगी डॉक्टर हितेश जानी ने एनडीटीवी से बताया कि गर्भ संस्कार के द्वारा प्रतिभाशाली बच्चों को पैदा किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गर्भ संस्कार के माध्यम से जेनेटिक इंजीनियरिंग करके गर्भ के अंदर ही बच्चे को संस्कारी बनाया जा सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दावा किया जा रहा है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से अब तक 450 संतानें जन्म ले चुकी हैं और 2020 तक हर राज्य में एक गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र खोला जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार, माता-पिता का तीन महीने का शुद्धिकरण, ग्रहों के मुताबिक संभोग, गर्भवती हो जाने के बाद पूरी तरह से परहेज और प्रक्रियात्मक व सही भोजन का पालन. गर्भ विज्ञान संस्कार के मुताबिक, एक महिला को एक परफेक्ट संतान पाने के लिए इन नियमों का पालन करना होगा.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हितेश जानी ने कहा, ‘कम शिक्षा या किसी अन्य कारण से अगर किसी माता-पिता का आईक्यू कम भी है तब भी उनकी संतान उज्जवल हो सकती है. अगर सही प्रक्रिया का पालन किया जाए तो कम लंबाई और सांवले अभिभावक भी लंबी और गोरी संतान पा सकते हैं.’

इस प्रोजेक्ट को करीब एक दशक पहले गुजरात में जारी किया गया था, जिसे 2015 में राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया गया.

‘गर्भविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ की वेबसाइट का कहना है, ‘गर्भ संस्कार, एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तथ्य है. यह गर्भावस्था के दौरान गर्भ में अजन्मेे बच्चे के साथ शिक्षण/शिक्षा और संबंध का एक अद्भुत तरीका है.’

एनडीटीवी के मुताबिक इस आयोजन को लेकर बंगाल के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आयोग ने इसे अवैज्ञानिक बताया, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका नामंजूर कर दी थी. हालांकि अदालत ने कहा कि व्याख्यान का वीडियो अदालत में पेश करना होगा.

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फोटो: Garbhsanskar.org

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष अनन्या चक्रवर्ती ने कहा कि ये विज्ञान पर अंधविश्वास की जीत है.

वहीं, दूसरी ओर शनिवार को आरोग्य भारती की अधिकारी जयश्री रक्षित ने आरोप लगाया कि कोलकाता हाई कोर्ट ने हमें कार्यक्रम करने की अनुमति दी थी. लेकिन अनन्या चक्रवर्ती ने कथित तौर पर ऑडिटोरियम में घुसने का प्रयास किया.

रक्षित ने आरोप लगाया, अगर उन्होंने उचित प्रक्रिया का पालन किया होता तो हम उन्हें अनुमति दे देते. लेकिन उन्होंने उसका पालन नहीं किया. वह हमें धमका रही थीं.

चक्रवर्ती ने दूसरी तरफ आरोग्य भारती के अधिकारियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया और पुलिस में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

उन्होंने कहा कि आयोजक पश्चिम बंगाल बाल अधिकार आयोग का अध्यक्ष होने के नाते कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने से उन्हें नहीं रोक सकते थे क्योंकि बच्चों से संबंधित हरेक मामले में उन्हें हस्तक्षेप करने का अधिकार है.

चक्रवर्ती ने पीटीआई से कहा, डब्ल्यूबीसीपीसीआर का अध्यक्ष होने के नाते मैं देखने गई कि क्या हो रहा है. मुझे ऐसा करने का पूरा अधिकार है. लेकिन उन्होंने मेरे साथ गाली-गलौज की और मुझे परेशान किया. मैंने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.

पुलिस ने कहा कि वह शिकायत की जांच कर रही है.

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