अशोक लवासा के विरोध के कारण नीति आयोग, पीएमओ को दिए क्लीनचिट पर पुनर्विचार करेगा आयोग

नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पर नीति आयोग के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए बीते एक मई को कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.

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चुनाव आयुक्त अशोक लवासा. (फोटो: पीटीआई)

नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पर नीति आयोग के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए बीते एक मई को कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.

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चुनाव आयुक्त अशोक लवासा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के आग्रह पर आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन को लेकर नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को दिए गए क्लीनचिट पर पुनर्विचार का फैसला किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों को लेकर गोंडिया, वर्धा और लातूर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए पीएमओ द्वारा नीति आयोग के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने आयोग से शिकायत की थी. पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने इस मामले का निपटारा करते हुए नीति आयोग और पीएमओ को क्लीनचिट दे दिया था.

12 मई को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने पत्रकारों को सूचित किया था कि चुनाव आयोग ने पाया है कि इस मामले में की गई शिकायत में कोई दम नहीं है.

उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री को उस प्रावधान से छूट दी गई है जो मंत्रियों को प्रचार के साथ आधिकारिक यात्राएं करने से रोकते हैं. इस छूट का प्रावधान अक्टूबर 2014 में किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहा था कि इस मामले में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत स्पष्टीकरण पेश करें कि क्या नीति आयोग ने गोंडिया, वर्धा और लातूर के कलेक्टरों से जानकारी मांगी थी और क्या ये जानकारी प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों के लिए इस्तेमाल की जानी थी.

हालांकि लवासा के अनुरोध को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने नीति आयोग को क्लीनचिट दे दिया गया था. इसके बाद लवासा ने आपत्ति जताई की पूरा तथ्य प्राप्त किए बगैर कैसे ये फैसला ले लिया गया.

इसके बाद चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार को अमिताभ कांत को एक दूसरा पत्र लिखा और कहा कि वे स्पष्टीकरण पेश करें कि क्या नीति आयोग ने गोंडिया, वर्धा और लातूर के कलेक्टरों से जानकारी मांगी थी और क्या ये जानकारी प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों के लिए इस्तेमाल की जानी थी.

हालांकि कांत को जवाब देने की कोई समयसीमा नहीं दी गई है.

नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पर सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए बीते एक मई को कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.

दरअसल, कांग्रेस ने अपनी शिकायत में 10 अप्रैल की स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि मोदी की रैली से पहले नीति आयोग के अधिकारियों ने महाराष्ट्र के तीन जिलों के जिला अधिकारियों को पत्र लिखा था.

वहीं स्क्रॉल डॉट इन को ंमिले एक अन्य ईमेल से पता चला था कि नीति आयोग के एक अधिकारी ने 8 अप्रैल को सभी केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अधिकारियों को पत्र लिखा था.

कांग्रेस ने कहा था कि नीति आयोग का यह काम चुनाव आयोग के उन दिशानिर्देशों का उल्लंघन है जिसमें उसने चुनाव के दौरान सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर रोक लगाई थी.

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